नाराज चीफ जस्टिस सुरेश कैत बोले- उज्जैन नगर निगम को मर्ज कर दो

मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कैत ने उज्जैन नगर निगम की कार्यशैली पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की थी। अब इस मामले में बेंच का आदेश जारी हो गया है।

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Sanjay gupta
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INDORE. मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने उज्जैन नगर निगम की कार्यशैली पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की थी। एक भुगतान नहीं किए जाने पर उन्होंने कहा था कि महाकाल की नगरी में ही अकाल ढा रहे हो। अब इस मामले में बेंच का आदेश जारी हो गया है।

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यह कहा गया है औपचारिक आदेश में

ठेकेदार का 69.14 लाख के भुगतान को लेकर यह याचिका थी। इसमें था का साल 2020 से यह भुगतान उज्जैन निगम ने नहीं किया है। इस पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान निगम ने बताया कि 20 लाख दे चुके हैं और वित्तीय समस्या के चलते वह एक बार में पूरा भुगतान नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट के जारी आदेश में कहा गया है कि जो समस्या बताई गई है। उन्होंने कहा यदि ऐसा है तो फिर निगम के गजेटेड अधिकारियों का वेतन 50 फीसदी करते हुए ठेकेदार को पेमेंट किया जाए, और भुगतान के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है। अगली सुनवाई में यदि भुगतान नहीं होता है और निगम यह कहता है कि वित्तीय समस्या है तो फिर उज्जैन नगर निगम को मप्र शासन में मर्ज कर दिया जाना चाहिए और सारे लेन-देन का उत्तरदायित्व मप्र शासन का होगा। भुगतान नहीं होने पर निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। अगली सुनवाई 11 दिसंबर लगाई गई है। 

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इसलिए सख्त हुए  थे सीजे

चीफ जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच में मंगलवार को मेसर्स विमल जैन विरूद्ध मप्र शासन पीएस नगरीय विभाग व उज्जैन नगर निगमायुक्त के खिलाफ केस की सुनवाई हुई। जैन की ओर से अधिवक्ता लकी जैन ने तर्क रखे। उन्होंने कहा कि चार साल में भी उज्जैन निगम ने उनके काम के 70 लाख रुपए नहीं दिए हैं। इस पर बेंच ने कहा कि उज्जैन महाकाल की नगरी है और वहीं अकाल ढा रहे हो। इस पर तर्क दिया गया कि फंड की कमी है। अधिवक्ता जैन के साथ ही अधिवक्ता निमेष पाठक भी याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित थे। 

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फिर आपको तो वेतन मिल रहा है

जस्टिस ने यह भी कहा कि आप लोगों को तो वहां से वेतन मिल रहा है। इसमें तो कोई समस्या नहीं आ रही है फिर गरीब व्यक्ति की राशि क्यों रोकी जा रही है। चार सप्ताह में इसका क्रियान्वयन करें, अन्यथा निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। 

यह है मामला

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जैन और पाठक ने बताया कि फरियादी मेसर्स विमल जैन की ओर से नीलेश जैन की यह याचिका थी। उज्जैन नगर निगम ने गंधर्व तालाब के सौंदर्यीकरण का काम का टेंडर इन्हें दिया था, 70 लाख का काम दे दिया फिर निगम ने काम रोककर इसे स्मार्ट सिटी को दे दिया। लेकिन चार साल से काम की 70 लाख राशि नहीं दी। इसे लेकर याचिका लगाई गई थी जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी।

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