नाराज चीफ जस्टिस सुरेश कैत बोले- उज्जैन नगर निगम को मर्ज कर दो

मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कैत ने उज्जैन नगर निगम की कार्यशैली पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की थी। अब इस मामले में बेंच का आदेश जारी हो गया है।

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
New Update
Ujjain Corporation merged
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

INDORE. मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने उज्जैन नगर निगम की कार्यशैली पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की थी। एक भुगतान नहीं किए जाने पर उन्होंने कहा था कि महाकाल की नगरी में ही अकाल ढा रहे हो। अब इस मामले में बेंच का आदेश जारी हो गया है।

INDORE HC

IPS GP Singh पर राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग केस में दर्ज तीनों FIR रद्द

यह कहा गया है औपचारिक आदेश में

ठेकेदार का 69.14 लाख के भुगतान को लेकर यह याचिका थी। इसमें था का साल 2020 से यह भुगतान उज्जैन निगम ने नहीं किया है। इस पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान निगम ने बताया कि 20 लाख दे चुके हैं और वित्तीय समस्या के चलते वह एक बार में पूरा भुगतान नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट के जारी आदेश में कहा गया है कि जो समस्या बताई गई है। उन्होंने कहा यदि ऐसा है तो फिर निगम के गजेटेड अधिकारियों का वेतन 50 फीसदी करते हुए ठेकेदार को पेमेंट किया जाए, और भुगतान के लिए चार सप्ताह का समय दिया जाता है। अगली सुनवाई में यदि भुगतान नहीं होता है और निगम यह कहता है कि वित्तीय समस्या है तो फिर उज्जैन नगर निगम को मप्र शासन में मर्ज कर दिया जाना चाहिए और सारे लेन-देन का उत्तरदायित्व मप्र शासन का होगा। भुगतान नहीं होने पर निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। अगली सुनवाई 11 दिसंबर लगाई गई है। 

जबलपुर हाईकोर्ट के जजों ने की हनुमान मंदिर में 108 दीपों से आरती

इसलिए सख्त हुए  थे सीजे

चीफ जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच में मंगलवार को मेसर्स विमल जैन विरूद्ध मप्र शासन पीएस नगरीय विभाग व उज्जैन नगर निगमायुक्त के खिलाफ केस की सुनवाई हुई। जैन की ओर से अधिवक्ता लकी जैन ने तर्क रखे। उन्होंने कहा कि चार साल में भी उज्जैन निगम ने उनके काम के 70 लाख रुपए नहीं दिए हैं। इस पर बेंच ने कहा कि उज्जैन महाकाल की नगरी है और वहीं अकाल ढा रहे हो। इस पर तर्क दिया गया कि फंड की कमी है। अधिवक्ता जैन के साथ ही अधिवक्ता निमेष पाठक भी याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित थे। 

PDS सप्लाई वाहनों में ओवरलोडिंग पर रोक लगाने HC ने दिया 1 माह का समय

फिर आपको तो वेतन मिल रहा है

जस्टिस ने यह भी कहा कि आप लोगों को तो वहां से वेतन मिल रहा है। इसमें तो कोई समस्या नहीं आ रही है फिर गरीब व्यक्ति की राशि क्यों रोकी जा रही है। चार सप्ताह में इसका क्रियान्वयन करें, अन्यथा निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। 

यह है मामला

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जैन और पाठक ने बताया कि फरियादी मेसर्स विमल जैन की ओर से नीलेश जैन की यह याचिका थी। उज्जैन नगर निगम ने गंधर्व तालाब के सौंदर्यीकरण का काम का टेंडर इन्हें दिया था, 70 लाख का काम दे दिया फिर निगम ने काम रोककर इसे स्मार्ट सिटी को दे दिया। लेकिन चार साल से काम की 70 लाख राशि नहीं दी। इसे लेकर याचिका लगाई गई थी जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी।

Thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

इंदौर न्यूज मध्य प्रदेश मप्र हाईकोर्ट मप्र हाईकोर्ट ऑर्डर एमपी हिंदी न्यूज मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत उज्जैन नगर निगम