पूर्व CGM संजीव कुमार भोला को 15 दिन में नई दिल्ली जाकर ज्वाइन करने का HC ने दिया आदेश

केंद्र सरकार ने व्हीकल फैक्ट्री के सीजीएम का ट्रांसफर नई दिल्ली किया। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण बताते हुए रिटायरमेंट का हवाला दिया। इस आदेश को उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में चुनौती दी।

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Neel Tiwari
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former CGM Sanjeev Kumar Bhola
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व्हीकल फैक्ट्री के CGM को जबलपुर से आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड, नई दिल्ली में किए गए तबादले का विवाद अब हाईकोर्ट पहुंच गया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जबलपुर का 9 जून 2025 का आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने संजीव कुमार भोला को 15 दिन में नई दिल्ली जाकर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए। साथ ही, कोर्ट ने संजीव कुमार भोला के प्रतिवेदन पर विचार करने के लिए कैट को निर्देशित किया है।

तबादले के आदेश को दी थी चुनौती

व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर में सीजीएम संजीव कुमार भोला को 21 मई 2025 को केंद्र सरकार ने नई दिल्ली स्थानांतरित किया था। उन्होंने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी। कैट ने तबादले पर रोक लगाते हुए उन्हें पूर्व स्थिति में बहाल करने का निर्देश दिया। लेकिन इससे फैक्ट्री के कामकाज पर विपरीत असर पड़ा। प्रवीण कुमार पहले ही कार्यभार ग्रहण कर चुके थे। कुछ दिनों से फैक्ट्री के हालात ऐसे थे कि पूर्व सीजीएम ज्वाइन नहीं कर पा रहे थे और वर्तमान सीजीएम प्रवीण कुमार काम नहीं कर पा रहे थे।

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हाईकोर्ट ने कैट के आदेश को किया रद्द

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाने के लिए दुर्भावना का कोई प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थानांतरण आदेश में हस्तक्षेप की न्यायिक सीमा सीमित होती है। जब तक यह साबित न हो कि आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर या दुर्भावना से प्रेरित है, तब तक इसमें दखल नहीं दिया जा सकता।

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व्हीकल फैक्ट्री में पैदा हुआ प्रशासनिक संकट

भारत सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि नई दिल्ली की पोस्ट अभी भी खाली है। जबलपुर में कार्यभार ग्रहण कर चुके प्रवीण कुमार भी कार्य नहीं कर पा रहे, जिससे संस्थान का संचालन प्रभावित हो रहा है। कोर्ट ने माना कि इस स्थिति ने एक 'डोमिनो इफेक्ट' पैदा किया है, जो फैक्ट्री की कार्यक्षमता के लिए हानिकारक है।

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संजीव कुमार भोला ने तबादले को बताया गलत

संजीव कुमार भोला के वकील ने तर्क दिया कि उनके रिटायर होने में केवल आठ महीने बाकी हैं। जबलपुर की पोस्ट उनकी विशेषज्ञता के अनुकूल थी, जबकि नई दिल्ली की पोस्ट में विपणन कार्य करना होता। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों, जबलपुर में बन रहे अपने मकान और पारिवारिक स्थिरता को तबादले के खिलाफ कारण बताया। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि उनके प्रस्तुत मेडिकल दस्तावेज़ हृदय रोग से संबंधित नहीं थे, और कैट ने उस आधार पर निर्णय नहीं लिया था।

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कोर्ट का निर्णय और राहत

कोर्ट ने अधिकरण का आदेश रद्द करते हुए संजीव कुमार भोला को 15 दिन में नई दिल्ली में ज्वाइन करने का निर्देश दिया है। उनके परिवार को जबलपुर में मिल रही सुविधाओं के साथ बने रहने की अनुमति दी गई है, जब तक कि अधिकरण इस विवाद पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संजीव कुमार के द्वारा कैट में दायर की गई याचिका को उनके खिलाफ नहीं माना जाएगा, क्योंकि यह उनका वैधानिक अधिकार था।

कैट को 60 दिनों में निर्णय का निर्देश

कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) को निर्देश दिया कि वह 60 दिन में संजीव कुमार भोला के आवेदन पर विचार करे। कोर्ट ने कैट से हाईकोर्ट की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना स्वतंत्र निर्णय देने को कहा।

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