मप्र शासन द्वारा जमीन के डायवर्सन को लेकर जनवरी 2021 में आदेश दिए थे कि इसके लिए अलग से आदेश की जरूरत नहीं होगी। आवेदक आवेदन करेगा और शुल्क की गणना करके जमा करेगा, 15 दिन में ही डीम्ड डायवर्सन होगा। लेकिन इसके बाद भी सरकारी विभाग, बैंक, निकाय अलग आदेश मांग रहे थे। इसके चलते अलग ही विंडो शुरू हो गई थी। राजस्व में डायवर्सन के नाम पर सांठगांठ कर चल रही दुकान की शटर कलेक्टर आशीष सिंह ने इस आदेश से डाउन कर दी।
यह आदेश था डायवर्सन के लिए
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (भू-राजस्व का निर्धारण तथा पुनर्निधारण) नियम 2018 के अनुसार भूमि के डायवर्सन पर राजस्व विभाग के पत्र के अनुसार भूलेख पोर्टल डायवर्सन की सूचना की पुष्टि नहीं होने पर राजस्व अभिलेख में डीम्ड डायवर्सन के प्रावधान हैं। इसके लिए निर्धारित अधिकतम समयावधि 15 दिन है। एसडीओ यदि तय समय 15 दिन में कोई निर्णय नहीं लेते तो निर्धारित समय पूरा होने पर प्रविष्टि को दर्ज करते हुए रिकार्ड को अपडेट किया जाएगा। यानी मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (भू-राजस्व का निर्धारण तथा पुनर्निधारण) नियम 2018 के प्रावधान अनुसार 15 दिन के बाद ऑटोमेटिक डायवर्सन हो जाता है।
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कलेक्टर को यह मिली थी शिकायतें
कलेक्टर को शिकायतें मिली थी कि बैंक/वित्तिय संस्थान / स्थानीय निकाय एवं अन्य शासकीय विभागों द्वारा आवेदक से भूमि के डायवर्शन का आदेश पृथक से मांगा जाता है, खसरे के कॉलम 12 में अंकित डायवर्शन की टीप को डायवर्शन आदेश के रूप में वह मंजूर नहीं करते हैं। जबकि आवेदक को पृथक से एसडीओ द्वारा स्वीकृत आदेश की आवश्यकता नहीं होती हैं।
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कलेक्टर ने किया यह आदेश
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कलेक्टर ने आदेश दिया है कि- आदेशित किया जाता है कि खसरा प्रारूप एक के कॉलम 12 में डायवर्शन की टीप अंकित होने पर आवेदक से किसी भी बैंक / वित्तिय संस्थान / स्थानीय निकाय एवं अन्य शासकीय विभागों द्वारा पृथक से डायवर्शन आदेश न मांगा जाए। राजस्व अभिलेख खसरा की प्रमाणित प्रतिलिपी को ही डायवर्शन आदेश मानकर अग्रिम कार्रवाई की जाए।
इंदौर कलेक्टर | आईएएस आशीष सिंह | इंदौर
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