INDORE. मप्र शासन को हाईकोर्ट से फटकार लगने का सिललिला जारी है। अब ताजा मामला मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के ट्रांसफर का है। चीफ जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बैंच में हुई सुनवाई में बुधवार को हाईकोर्ट इंदौर ने आर्डर दिए। इसमें साफ कहा है कि एक मेडिकल कॉलेज से दूसरे में ट्रांसफर नहीं हो सकते हैं।
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यह बोला हाईकोर्ट
डॉ. शिवनारायाण लहरिया इंदौर मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड हैं। उनका ट्रांसफर अन्य जगह हुआ, जिस पर वह हाईकोर्ट गए और यहां से 26 जुलाई को आदेश हुआ और उनका ट्रांसफर आर्डर निरस्त किया गया। इसके बाद मप्र शासन अपील में गया। इस पर हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि जब पहले ही इस मामले में एक नहीं और भी फैसले आ चुके हैं और साफ है कि मेडिकल कॉलेज में एक जगह से दूसरी जगह पर ट्रांसफर नहीं हो सकते हैं फिर यह क्यों अनावश्यक अपील की गई है। इस तरह से बेवजह शोषण किया जा रहा है और इसके चलते याचिकाएं लग रही है।
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हैवी कॉस्ट लगाने की मांग पर यह कहा
इसमें याचिकाकर्ता द्वारा यह मांग भी हुई थी कि यह बार-बार ट्रांसफर आर्डर हो रहे हैं, ऐसे में शासन पर हैवी कॉस्ट लगाई जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि हम कॉस्ट नहीं लगा रहे हैं, लेकिन हम यह साफ कर रहे हैं कि यदि फिर इस तरह के आर्डर पास हुए तो संबंधित अथॉरिटी को अवमानना झेलना होगी।
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क्यों नहीं हो सकते ट्रांसफर
फैकल्टी का कहना है कि मेडिकल कॉलेज ऑटोनामस बॉडी है। यहां पर फैकल्टी की नियुक्ति की सेवा शर्तों में ही साफ है कि वह संबंधित कॉलेज की ऑटोनामस बॉडी में नियुक्त हुआ है, उसका अन्य जगह ट्रांसफर नहीं हो सकता है। लेकिन जब शासन कहीं ओर कॉलेज खोलता है तो फैकल्टी की कमी को पूरा करने के लिए वह फैकल्टी को यहां से वहां करता है, जो नियम के विरुद्ध है।
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