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मध्य प्रदेश में 2017 से रुके छात्र संघ चुनावों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया। कोर्ट ने कहा, “यदि छात्रों को नेतृत्व का मौका नहीं मिलेगा, तो राज्य राष्ट्रीय नेतृत्व की दौड़ में पिछड़ जाएगा।”
प्रदेश की 16 यूनिवर्सिटी के खिलाफ लगी याचिका
यह याचिका NSUI मध्यप्रदेश के सेक्रेटरी अधिवक्ता अदनान अंसारी ने 2024 में दायर की थी। उन्होंने बताया कि सरकार से पत्राचार और धरना प्रदर्शन के बावजूद जब न्याय नहीं मिला, तो उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली। पहले यह याचिका केवल रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय तक सीमित थी।
अब इसमें संशोधन कर मध्य प्रदेश की सभी 16 विश्वविद्यालयों को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अक्षरदीप ने अदालत में कहा कि 2017 से प्रदेश में छात्र संघ चुनाव नहीं कराए गए, जो छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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एकेडमिक कैलेंडर के बाद भी नहीं बनी स्टूडेंट बॉडी
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 2024-25 के शैक्षणिक कैलेंडर में यह निर्देश है। सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को सितंबर 2025 से पहले स्टूडेंट बॉडी का गठन करना अनिवार्य है। इसके बावजूद कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई और चुनाव प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है।
MP में नहीं मिल रहा छात्र नेताओं को अवसर
मध्य प्रदेश की छात्र राजनीति का इतिहास गौरवशाली रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता छात्र राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में उभरे हैं। लेकिन 2017 के बाद से सरकार ने छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी है। तर्क दिया गया कि चुनावों में हिंसा की आशंका रहती है, लेकिन कई छात्र संगठन इसे राजनीतिक नियंत्रण और नेतृत्व के उभरने से जोड़कर देखते हैं।
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3 हफ्तों में दें जवाब, अगली सुनवाई 5 अगस्त को
हाईकोर्ट ने प्रदेश की सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि वे छात्र संघ चुनाव और कार्यकारिणी के गठन की जानकारी तीन सप्ताह में कोर्ट को दें। इस मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त 2025 को होगी।
NSUI और ABVP दोनों छात्र संघ चुनाव के पक्ष में
मध्य प्रदेश में दोनों प्रमुख छात्र संगठन छात्र संघ चुनाव के पक्ष में हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इसे छात्र राजनीति में नेतृत्व बढ़ाने से जोड़कर देखता है। NSUI का आरोप है कि सरकार अपने घोटालों पर उठने वाली आवाज को दबाने के लिए चुनाव से दूर रही है। NSUI के सचिन रजक ने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए चुनाव से भाग रही है।
छात्रों को मिलेगा उनका नेतृत्व का मंच
हाईकोर्ट की सख्ती ने उन लाखों छात्रों की उम्मीदें जगा दी हैं जो वर्षों से लोकतांत्रिक मंच की मांग कर रहे हैं। आपको बता दें की मुख्य मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव पहले ही प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव के लिए सकारात्मक संकेत दे चुके हैं। अब हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद छात्र संघ चुनाव इस शैक्षणिक वर्ष में होना लगभग तय माना जा रहा है।
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