आमीन हुसैन @ रतलाम
मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए गठित जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रखने की मांग को लेकर दायर की गई पिटीशन को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने उच्च न्यायालय इंदौर में पिटीशन दायर की थी। कोर्ट ने किसानों पर फायरिंग की घटना को 6 से 7 वर्ष का समय हो जाने पर इसे खारिज किया है।
क्या था मामला?
बताया गया कि पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने 6 जून 2017 को किसान आंदोलन मंदसौर में पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच के लिए गठित जैन आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने के लिए मई 2022 में पिटीशन क्रमांक 10626/2022 दाखिल की थी।
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क्या कहा था सकलेचा ने
सकलेचा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जिला तथा पुलिस प्रशासन ने स्थिति तथा घटना के पूर्व समय से कदम उठाए थे या नहीं। पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई उचित है या नहीं, यदि नहीं तो उसके लिए कौन दोषी है। इस जांच के लिए 12 जून 2017 को गठित जैन आयोग ने 13 जून 2018 को रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।
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यह थी मांग
सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय से मांग की थी कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3/4 के अनुसार रिपोर्ट पर कार्रवाई कर उसे 6 माह में विधानसभा के पटल पर रखना आवश्यक है। अतः शासन को निर्देश दिए जाएं। अधिवक्ता प्रत्यूष मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लेख भी किया।
क्या कहा शासन ने?
इस मामले में शासन ने न्यायालय के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखना बंधनकारी नहीं है। उन्होंने इस संदर्भ में उच्च न्यायालय उड़ीसा, आंध्रप्रदेश तथा गुजरात के आदेशों का उल्लेख किया।
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क्या कहा कोर्ट ने
न्यायाधीश विवेक रूसिया तथा न्यायाधीश बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने पिटीशन खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में 6 से 7 वर्ष का समय गुजर चुका है, अब रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का आधार नजर नहीं आ रहा है।
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