दो सौ साल पुराने स्लीमनाबाद के कब्रिस्तान की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

कटनी के स्लीमनाबाद में कब्रिस्तान की जमीन को लेकर मुस्लिम और हिंदू संगठन आमने-सामने हैं। मुस्लिम समुदाय का दावा है कि खसरा नंबर 54 को पिछले डेढ़ सौ सालों से कब्रिस्तान है। हिंदू संगठन अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं। हाईकोर्ट ने मामले पर रोक लगा दी है।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. कटनी के स्लीमनाबाद में कब्रिस्तान की जमीन को लेकर मुस्लिम समुदाय-हिंदू संगठन आमने-सामने थे। दरअसल खसरा नंबर 53 मुस्लिम समुदाय को कब्रिस्तान के लिए आवंटित किया गया था। 0.44 हैक्टेयर के क्षेत्र में जगह कम पड़ने के बाद खसरा नंबर 54 का इस्तेमाल भी कब्रिस्तान की तरह ही होने लगा।

मुस्लिम समुदाय का दावा है की खसरा नंबर 54 को भी पिछले डेढ़ सौ सालो से इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरी ओर हिंदू संगठन यहां अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं। विवादों में रहे स्लीमनाबाद कब्रिस्तान पर जबलपुर हाईकोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

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अतिक्रमण हटाने का था आदेश

 यह विवाद तीन महीने पहले शुरू हुआ था। मुस्लिम समुदाय ने खसरा नंबर 54 की शासकीय भूमि कब्रिस्तान के लिए एलॉट करने की मांग की। इसके बाद हिंदू संगठनों ने इस अतिक्रमण बताते हुए कटनी कलेक्टर से शिकायत भी की थी। इसके बाद मामले में जांच हुई और पटवारी हल्का 14 के खसरा 54 के कुछ भाग में अतिक्रमण माना गया।

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तहसीलदार ने जारी किया था बेदखली आदेश 

स्लीमनाबाद तहसीलदार ने 12 दिसंबर 2025 को बेदखली आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार, पटवारी हल्का 14 के खसरा नंबर 54 की 2.75 हेक्टेयर जमीन सैनिक छावनी मध्यप्रदेश के नाम पर दर्ज है। इसके कुछ भाग में अतिक्रमण को सही पाते हुए बेदखली का आदेश जारी किया गया। 

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कब्रिस्तान को बचाने हाईकोर्ट पहुंचा समुदाय

इस मामले में सिविल कोर्ट के द्वारा पहले ही रोक लगाई गई थी पर उसकी समय सीमा समाप्त हो गई थी। इसके बाद नसीम बेग सहित अन्य याचिकार्ताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली। ववरिष्ठ अधिवक्ता नरिंदर पाल सिंह रूपराह और अधिवक्ता राहुल चौधरी ने अतिक्रमण हटाने के आदेश का हवाला दिया। उन्होंने मामले पर जल्द सुनवाई का निवेदन किया। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए आज कम समय होने के बाद भी चीफ जस्टिस ने मामले की सुनवाई की।

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1000 कब्र 5-10 साल में नहीं बन सकती : हाईकोर्ट

स्लीमनाबाद कब्रिस्तान विवाद: वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 7 एकड़ की इस जमीन के कुछ हिस्से पर कब्रिस्तान है। जहां लगभग 1000 कब्रें हैं। अधिवक्ताओं ने बताया कि प्रशासन कहता है कि खसरा नंबर 54 कुछ सालों से कब्रिस्तान के लिए इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, प्रशासन अपने आदेश में मानता है कि यहां लगभग 1000 कब्रें हैं। हाईकोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से कहा कि 1000 कब्रें 5-10 साल में संभव नहीं। हाईकोर्ट इस बात पर अस्वस्थ नजर आया कि कब्रिस्तान का उपयोग 150 साल से अधिक समय से हो रहा है।

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प्रशासन की कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक 

Chief Justice Sanjeev Sachdeva

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने कब्रिस्तान भूमि पर किसी भी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार को साइट प्लान प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इससे प्रशासन के अतिक्रमण हटाने के दावे की असलियत सामने आएगी। अगली सुनवाई 8 जनवरी 2025 को होगी। इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार, कटनी के कलेक्टर, एसडीएम और तहसीलदार को प्रतिवादी बनाया गया है। वे अगली सुनवाई में साइट मैप पेश करेंगे।

जबलपुर हाईकोर्ट स्लीमनाबाद चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा जस्टिस विनय सराफ स्लीमनाबाद कब्रिस्तान विवाद
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