BHOPAL. विवादों से घिरे मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। बोर्ड के एक सहायक यंत्री ने अफसरों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव को दिए आवेदन में सहायक यंत्री ने आयुक्त द्वारा प्रताड़ित कर अधीनस्थों के नीचे काम कराने पर आपत्ति दर्ज कराई है। वहीं सेवानिवृत्ति से ठीक पहले ट्रांसफर आत्महत्या की चेतावनी भी दी है। अंतर्कलह के बाद हाउसिंग बोर्ड में अधिकारियों की खींचतान के पीछे की चर्चाएं भी गरमा गई हैं।
यह है मामला
हाउसिंग बोर्ड में सहायक यंत्री के पद पर कार्यरत अशोक गुप्ता की सेवानिवृत्ति को 8 माह शेष हैं। इस बीच उनका ट्रांसफर पहले गुना और फिर विदिशा कर दिया गया। गुप्ता की वरिष्ठता को अनदेखा किया गया जिस वजह से उन्हें अब विदिशा कार्यालय में अपने से जूनियर अफसरों के नीचे काम करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि तालमेल न बैठा पाने की वजह से बोर्ड के अफसरों अफसर गुप्ता से नाराज हैं। इसी वजह से उन्हें हाउसिंग बोर्ड के भोपाल कार्यालयों से बाहर रखा जा रहा है। बोर्ड के संभाग क्रमांक 2 और 6 में पद खाली हैं जिनमें गुप्ता की पोस्टिंग की जा सकती है, लेकिन यहां उनसे जूनियर को दोहरा प्रभार सौंप दिया गया है।
पीएस को लिखी चिट्ठी
सहायक यंत्री अशोक गुप्ता के आवेदनों के बाद भी हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर द्वारा भोपाल में पोस्टिंग नहीं दी गई। गुप्ता को पहले गुना और अब विदिशा कार्यालय आना-जाना पड़ रहा है। सहायक यंत्री गुप्ता ने नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव से की है। पीएस को लिखी चिट्ठी में गुप्ता ने हृदयरोग होने के बावजूद 150 किमी दूर जाने की मजबूरी का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा विदिशा कार्यालय में जूनियर इंजीनियर की पोस्टिंग हो सकती है लेकिन उन्हें वहां भेज दिया गया। जबकि भोपाल में उनके समकक्ष पद खाली हैं। वे सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत कर चुके हैं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही।
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आत्महत्या की दी चेतावनी
सहायक यंत्री ने हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की चेतावनी तक दे डाली है। पीएस को जो चिट्ठी भेजी गई है उसमें गुप्ता ने लिखा है कि अफसर उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। उनकी बात को कोई सुन नहीं रहा तो क्या वे आत्महत्या कर लें, तब अधिकारी समझेंगे। गुप्ता का कहना है कि नियम है कि सेवानिवृत्ति को 18 माह शेष रहे हों तो गृह जिले में पोस्टिंग मिल सकती है। उनके सेवानिवृत्त होने में तो केवल 8 महीने बचे तो फिर उन्हें क्यों बाहर भेजकर परेशान किया जा रहा है।
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दूसरे सहायक यंत्री भी लिख चुके चिट्ठी
करीब डेढ़ माह पहले भी हाउसिंग बोर्ड के एक सहायक यंत्री प्रवीण पोरवाल ने ऐसी ही चिठ्ठी लिखी थी। पोरवाल ने कार्यपालन यंत्री पर ठेकेदारों से अवैध वूसली करने का दबाव बनाने के आरोप लगाकर कमिश्नर से शिकायत की थी। तब भी हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों में हितों के टकराव के चलते खींचतान उजागर हुई थी। हांलाकि बाद में इस पर अधिकारियों दबाव में पर्दा डाल दिया गया था।
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