अजब गजब : यहां बीवी नहीं प्रोडक्ट हैं लड़कियां, 1 लाख तक खरीदी जाती हैं घर के लिए बहू

मध्‍य प्रदेश के शिवपुरी में नोटरी पर बीवियां खरीदी जाती हैं। पसंद न आने पर इन्हें वापस या रीसेल भी कर सकते हैं। ये लड़कियां 10 हजार से शुरू होकर लाखों तक बिकती हैं...

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Shreya Nakade
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मध्य प्रदेश के शिवपुरी में नोटरी पर बीवियां खरीदने का कारोबार चल रहा है। यहां कई घरों में दूसरे शहरों से खरीदकर लाई पत्नियां और बहू एं दिखाई देंगी। हालांकि इन्हें घर में आज तक पत्नी का सम्मान नहीं, बल्कि पति की हिंसा और बस एक नौकरानी का दर्जा ही मिला है। 

दूसरे प्रदेशों से लाई गई गरीब, मजबूर और बेसहारा लड़कियों को यहां 10 हजार से 1 लाख रुपए में बेचा जाता है। इनमें से कई का सौ रुपए के स्टाम्प पर लिवइन भी साइन होता है। 

दूसरे प्रदेशों से आती हैं लड़कियां 

शिवपुरी में लाई गई ज्यादातर महिलाएं ओडिशा, बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की होती हैं। किसी को मां-बाप ही बेच देते हैं। किसी के मां-बाप गुजर जाने के बाद पीछा छुड़ाने परिवार वाले बिचौलियों के हवाले कर देते हैं। 

इनमें से कई औरतों की तो शादी भी नहीं होती। बिना शादी के ही इन्हें घर में ला लिया जाता है। परिवार वाले इन्हें घर के काम करने और बच्चे पैदा करने लाते हैं। कुछ मामलों में बस लड़का- लड़की एक दूसरे को वरमाला पहना देते हैं। 

लड़कियां

नोटरी पर बीवियां 

लड़कियों की खरीद बेच के लिए कई बिचौलिये हैं। इन्हीं के साथ इलाके में नोटरी बनाने वाले कुछ लोग भी मिल जाएंगे। नोटरी के पास एक कॉन्ट्रेक्ट होता है। इसे लिव-इन रिलेशनशिप करार कहते हैं। इसका भी एक तय फॉर्मेट है। हर कॉन्ट्रेक्ट के लिए इसी फॉर्मेट का इस्तेमाल होता है। इसमें कुछ तय बातें ही लिखी होती है।

इस कॉन्ट्रैक्ट में दिखाया जाता है कि लड़की अपनी मर्जी से किसी रिश्ते में आ रही है। कॉन्ट्रेक्ट में यह भी करार होता है कि लड़की जब अपने पिता या पति के घर से आ रही है तो उसके पास कोई गहने या कैश नहीं है। लड़कियों की खरीद बेच पैसों से होती है। हालांकि इस नोटरी पर पैसों का कोई जिक्र नहीं होता है। 

नोटरी1

रीसेल का भी ऑप्शन 

शिवपुरी में चल रहे महिलाओं की खरीद-बेच में रीसेल का भी ऑप्शन होता है। अगर लड़की लाने के बाद किसी खरीददार को वो नहीं भांति को बिचौलियों के जरिए इन्हें फिर बेच दिया जाता है। हालांकि फ्रेश लड़कियों की तुलना में रीसेल वाली लड़कियों के लिए कम कीमत मिलती है। 

कई ऐसे मामले होते हैं जहां लड़का-लड़की को एक-दूसरे की भाषा ही समझ नहीं आ रही। लड़की घर में एडजस्ट नहीं हो पाई। लाने के बाद लड़की पसंद नहीं आई। ऐसे मामलों में लड़कियों को रीसेल कर दिया जाता है। 

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कुछ औरतें भाग गईं 

रीसेल के अलावा कई औरतें इस खरीद बेच के चंगुल से भाग भी जाती है। यहां पर खरीदी जाने वाली कई औरतों के साथ खूब अत्याचार भी होता है। उन्हें बीवी कम नौकरानियां ज्यादा समझा जाता है। इसके अलावा इनसे मारपीट की जाती है। ऐसे अत्याचारों से परेशान कई लड़कियां अपने खरीदार का घर छोड़ भाग भी जाती हैं। 

क्यों होती है खरीद बेच 

इस तरह की खरीद बेच के पीछे भी वजह है। इसके दो कारण देखे जा सकते हैं। पहला लड़कियों की शादी की झंझट और परिवार की गरीबी से परेशान लोग अपने घर की लड़कियों को बेच देते हैं। कई बेसहारा लड़कियां जिनका कोई नहीं होता बिचौलियों के हाथ लग जाती है। 

दूसरी बात यह की खरीदार क्यों औरतों को खरीदते हैं। शिवपुरी की जिस तहसील पोहरी में इस तरह की खरीद-बेच की प्रथा चलती है वहां का सेक्स रेशो बहू त गड़बड़ है। यहां हर 1000 लड़कों पर 874 लड़कियां हैं। लड़कियों की इस कमी के चलते परिवारों को अपने बेटों के लिए बहू नहीं मिलती। ऐसे में वे घर के लिए बहू एं खरीद कर ला लेते हैं। 

लड़कियां शिवपुरी

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औरतें खरीदने की परंपरा 

शिवपुरी में कुछ साल पहले तक औरतों की खरीद-बेच की एक परंपरा चलती थी। इस परंपरा को धड़ीचा कहते हैं। इसमें औरतों को कागजी लिखा-पढ़ी कर खरीदा, बेचा और किराए पर भी दिया जाता  था। इसके रेट भी तय थे। अब ऊपरी तौर  पर तो इस परंपरा को बंद माना जाता है लेकिन लड़कियों की खरीद-बेच की यह प्रथा किसी न किसी रूप में अभी भी चल रही है। 

बिचौलियों के लिए प्रोडक्ट है लड़कियां 

यहां बिचौलियों के लिए लड़कियां प्रोडक्ट है। कस्टमर की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग दाम की लड़कियां होती है। जिसको पहले बेचा नहीं गया वो फ्रेश। रीसेल वाली एक या दो हाथ से गुजरी हुई। 

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कानून क्या कर रहा 

इस तरह के मामलों में सब कुछ लड़की पर निर्भर करता है। सबसे पहले तो अगर कोई इस खरीद-बेच की शिकायत करे तो मामला शुरू हो। फिर अगर बालिग लड़की कह दे कि वह मर्जी से किसी रिश्ते में है तब तो केस ही खत्म हो गया। लेकिन अगर लड़की बोले की उसे बेचा गया या उसके साथ अत्याचार होता है तो फिर मामला ह्युमन ट्रैफिकिंग, घरेलू हिंसा जैसे मुकदमों के अंदर आ जाएगा। 

इन लड़कियों की खरीद-बेच के लिए नोटरी होती है। लेकिन इससे खरीद-बेच कानूनी नहीं हो जाती। धड़ीचा की प्रथा पूरी तरह से गैरकानूनी है। जो नोटरी कागज बनते हैं उसके नीचे किसी वकील की साइन नहीं होती। यह लोग अपनी संतुष्टी के लिए बना लेते हैं। कोर्ट में इस तरह के दस्तावेज को मान्य करने की प्रतिबद्धता नहीं है। ऐसे में अगर खरीदारों के अत्याचारों से परेशान कोई लड़की खरीद-बेच, घरेलू हिंसा, प्रताड़ना की शिकायत करती है तो इस पर जरुरी कानूनी कार्रवाई होगी। 

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