कूनो के जंगल में बाघ और तेंदुओं के शिकारी धराए, चीतों की जान पर मंडराया खतरा

एसटीएसएफ ने तीन संदिग्ध शिकारियों को पकड़ा। इनमें दो राजस्थान और एक मध्यप्रदेश का है। इनके पास से 225 हड्डियां और जानवरों के शरीर के हिस्से बरामद किए गए हैं, जो कम से कम चार तेंदुओं के बताए जा रहे हैं। 

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Jitendra Shrivastava
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 Hunters of Kuno

Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के पास श्योपुर के जंगल में जानवरों का खून बहाने वाले तीन संदिग्ध शिकारियों को आखिरकार पकड़ लिया गया है। आरोप है कि ये गिरोह तेंदुओं और बाघ की हत्या में शामिल था। स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) ने 4 जून को मिली गोपनीय सूचना के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया। 
छापेमारी में तीन संदिग्ध पकड़े गए हैं, जिनमें दो राजस्थान और एक मध्यप्रदेश का है। इनके पास से 225 हड्डियां और जानवरों के शरीर के हिस्से बरामद किए गए हैं, जो कम से कम चार तेंदुओं के बताए जा रहे हैं। इसके अलावा, दो बाइक और तीन मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने कूनो नेशनल पार्क के आसपास के जंगलों में इन जानवरों का शिकार किया था। इस खुलासे के बाद कूनो नेशनल पार्क में चीतों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। 

KUNO
Photograph: (THESOOTR)

 

एक बाघ को भी बनाया निशाना 

ये शिकारी मध्यप्रदेश और राजस्थान में फैले बड़े शिकार और तस्करी गिरोह में शामिल हैं। इनके खिलाफ भारतीय वन अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत दो मामले दर्ज किए गए हैं। एक अधिकारी ने बताया, जब्त किए गए जानवरों के हिस्सों को फॉरेंसिक लैब में भेजा जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने जानवर मारे गए और ये किस प्रजाति के हैं। पूछताछ में शिकारियों ने एक बाघ की हत्या का भी खुलासा किया है, जिसे लेकर पड़ताल की जा रही है। 
पकड़े गए दो शिकारियों को 5 जून को शिवपुरी की विशेष वन अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें चार दिन की रिमांड पर भेज दिया गया। पुलिस और वन विभाग अब इस गिरोह के बाकी गुर्गों को पकड़ने की कोशिश में जुटे हैं। 

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कूनो में चीते की सुरक्षा पर सवाल 

दरअसल, कूनो नेशनल पार्क को चीतों की वापसी की ऐतिहासिक जगह माना गया है। अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए चीतों को यहां बसाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च हुए। महीनों की प्लानिंग की गई। इसे भारत के सबसे बड़े वन्यजीव प्रोजेक्ट्स में गिना गया। अब जो शिकारियों का गिरोह पकड़ा गया है, उसने सिर्फ बाघ और तेंदुओं को नहीं मारा, पूरे कूनो के भविष्य को खतरे में डाल दिया है।

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क्यों ये शिकारी चीतों के लिए भी खतरनाक?

अगर शिकारियों का नेटवर्क कूनो के आसपास सक्रिय है, तो इसका मतलब ये है कि चीतों के इलाके में किसी का भी बेरोकटोक घुसना संभव है। जब तेंदुए और बाघ नहीं बचे, तो अगला शिकार कौन होगा? इसके पीछे वजह यह है कि पकड़े गए शिकारियों ने कबूल किया है कि उन्होंने कूनो के आसपास के जंगलों में ही शिकार किया। इसका मतलब है कि चीता प्रोजेक्ट का कोर एरिया भी इनके रडार पर है। ऐसे में वन अमले को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करना होगा।

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