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BHOPAL. सर्दी का असर मध्यप्रदेश में तेज हो गया है। अब दिसंबर और जनवरी में शीतलहर की संभावना जताई जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य विभाग ने मध्यप्रदेश में सतर्कता बढ़ा दी है। तापमान में 5 से 7 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट का अनुमान है।
ऐसे में शीतलहर के दौरान हाइपोथर्मिया जैसी बीमारियां गंभीर और जानलेवा साबित हो सकती हैं। इसको देखते हुए सरकार ने सभी शासकीय और निजी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों को अलर्ट मोड पर रखा है।
अधिकारियों को जारी किए गए दिशा-निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा कॉलेजों के डीन, सिविल सर्जन और सीएमएचओ को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश एनडीएमए और भारत सरकार के एनसीडीसी के जरिए जारी पब्लिक हेल्थ एडवाइजरी पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य इस दौरान कोई लापरवाही न होने देना है।
हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट हो सकती है जानलेवा
मध्यप्रदेश में शीतलहर के दौरान हाइपोथर्मिया और फ्रॉस्टबाइट जैसी बीमारियां गंभीर और जानलेवा हो सकती हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने जन-जागरूकता बढ़ाने और जोखिम वाले लोगों की सुरक्षा पर ध्यान देने की सलाह दी है।
जिन लोगों को अधिक खतरा है, उनमें 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग, 5 साल से छोटे बच्चे, हृदय और सांस के मरीज, और बेघर लोग शामिल हैं।
एमपी में हाइपोथर्मिया की खबर पर एक नजर...
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मेडिकल इमरजेंसी में तुरंत अस्पताल जाएं
स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हाइपोथर्मिया को एक मेडिकल इमरजेंसी माना जाए। यदि हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए।
इसके अलावा, फ्रॉस्टबाइट के लक्षण जैसे सुन्नता या सफेद या काले छाले दिखें, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
अस्पतालों को ये निर्देश
अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इमरजेंसी सेवाएं, दवाइयां, कंबल और जरूरी सामान रखें। ताकि आपातकालीन स्थिति में जल्दी मदद दी जा सके।
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सर्दी से बचने के लिए कुछ अहम सुझाव
स्वास्थ्य विभाग ने सर्दी से बचने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। ठंडी हवा से बचें और अनावश्यक यात्रा न करें। संतुलित आहार लें, विटामिन-सी युक्त फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थों का सेवन करें।
दिन-रात के तापमान में बड़ा फर्क
भोपाल में बुधवार, 17 दिसंबर को दिन का तापमान 26.6 डिग्री और रात का 5.1 डिग्री था। दिन और रात के तापमान में 21.1 डिग्री का अंतर था, जो सेहत के लिए चिंताजनक है।
जेपी अस्पताल के रिटायर्ड सर्जन डॉ. आरके बड़वे के मुताबिक, इस अंतर से त्वचा संक्रमण बढ़ सकता है। खासकर, दिन की धूप और रात की ठंडी हवा से यह समस्या हो सकती है।
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जानें हाइपोथर्मिया क्या है...
हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर का तापमान बहुत ज्यादा गिर जाता है, यानी 35°C से नीचे चला जाता है। जब शरीर बहुत ठंडे मौसम में लंबे समय तक रहता है, तो शरीर अपना तापमान सही रखने में नाकाम हो जाता है और इससे शरीर के अंगों पर असर पड़ने लगता है।
हाइपोथर्मिया के लक्षणों में शरीर का कांपना, थकावट, सिर का चकराना, या शारीरिक गतिविधि में कमी आना शामिल होते हैं। अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो ये जानलेवा भी हो सकता है।
अगर सर्दी में बहुत ज्यादा ठंड लगे, खासकर जब आप गीले कपड़े पहनकर या बिना गर्म कपड़ों के बाहर ज्यादा समय तक रहते हैं, तो हाइपोथर्मिया हो सकता है। इसे बचने के लिए हमेशा गर्म कपड़े पहनें, थोड़ा-बहुत चलते-फिरते रहें और ज्यादा ठंडी जगहों पर समय न बिताएं।
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