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BHOPAL. अब मध्यप्रदेश में चल रहे सरकारी और निजी होम्योपैथिक क्लीनिक के लिए बायो मेडिकल वेस्ट लाइसेंस बनवाना जरूरी नहीं है। पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इन क्लीनिकों की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है।
इस संबंध में बोर्ड ने होम्योपैथिक चिकित्सा परिषद को पत्र लिखा है। मेडिकल वेस्ट लाइसेंस बनवाने की अनिवार्यता खत्म होने से होम्योपैथिक डॉक्टरों को बड़ी राहत मिल गई है।
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नहीं निकलता बायो मेडिकल वेस्ट
अब तक होम्योपैथिक अस्पताल या क्लीनिक चलाने के लिए एलोपैथिक और आयुर्वेदिक अस्पताल की तरह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस की पाबंदी थी। मरीजों के उपचार के दौरान निकलने वाले बायो मेडिकल कचरे (medical waste) के निष्पादन के नियम के तहत यह लाइसेंस लेना जरूरी था।
जबकि होम्योपैथी से मरीजों के उपचार में किसी भी तरह का मेडिकल वेस्ट उत्पन्न नहीं होता। मेडिकल वेस्ट लाइसेंस की अनावश्यक अनिवार्यता पर होम्योपैथिक चिकित्सक सवाल उठाते आ रहे थे।
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होम्योपैथी काउंसिल को भेजी चिट्ठी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में भी होम्योपैथिक चिकित्सकों की मांग पर विचार किया जा रहा था। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Madhya Pradesh Pollution Control Board) की बैठक में होम्योपैथिक डॉक्टरों के हित में एक बड़ा फैसला लिया गया है। इस निर्णय के तहत अब प्रदेश के रजिस्टर्ड होम्योपैथिक क्लीनिकों को बोर्ड के प्रदूषण सर्टिफिकेट से पूरी तरह छूट मिल गई है।
साथ ही, इन क्लीनिकों को अब बायो मेडिकल वेस्ट प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता से भी बड़ी रियायत दी गई है। इस संबंध में बोर्ड की ओर से होम्योपैथी काउंसिल रजिस्ट्रार और स्वास्थ्य विभाग के संचालक को भी पत्र भेजा है।
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पाबंदियों से मिल गई निजात
मध्य प्रदेश में 213 सरकारी और हजारों होम्योपैथिक क्लीनिक हैं। इनके संचालन के लिए चिकित्सकों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेने की औपचारिकता पूरी करनी होती थी।
बायो मेडिकल वेस्ट लाइसेंस लेने की प्रक्रिया की जटिलता के कारण क्लीनिक के संचालन में खासी दिक्कत खड़ी होती थीं। इसके लिए संचालकों को अतिरिक्त शुल्क भी वहन करना होता था।
लेकिन अब होम्योपैथिक क्लीनिकों को इन पाबंदी और औपचारिकताओं से निजात मिल गई है। मध्य प्रदेश होम्योपैथी काउंसिल रजिस्ट्रार डॉ.आयशा अली द्वारा बोर्ड से मिली इस रियायत के संबंध में आयुष विभाग को भी अवगत कराया गया है।
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