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SATNA. मध्य प्रदेश में सीनियर अफसरों की फोटो से फर्जी प्रोफाइल बनाकर पैसे मांगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। राज्य साइबर सेल और जिला साइबर यूनिट को हर हफ्ते 25-30 शिकायतें मिल रही हैं। इसके बावजूद अब तक पुलिस किसी भी गैंग तक नहीं पहुंच पाई है। जिन अधिकारियों के कंधों पर लोगों को ठगी से बचाने की जिम्मेदारी है, वे खुद ही साइबर ठगों के निशाने पर हैं।
इसी कड़ी में सतना से एक मामला सामने आया है। जहां साइबर ठगों ने सतना कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस की तस्वीर से फर्जी व्हाट्सएप प्रोफाइल बनाई। फिर ठगों ने 50 हजार रुपए मांगने की कोशिश की है।
कलेक्टर बनकर ठगी की कोशिश
जानकारी के मुताबिक साइबर ठगों ने टीकमगढ़ के मनोज को कलेक्टर बनकर दिल्ली के बैंक खाते में पैसे भेजने को कहा। उन्होंने नीलिवी नामक एक अज्ञात खाते में 50 हजार रुपए तुरंत ट्रांसफर करने का दबाव बनाया।
जब मनोज ने नया नंबर पूछा तो ठग ने ऑफिस में मोबाइल छूटने का बहाना बनाया। बातचीत पर संदेह होने के कारण जागरूक मनोज ने पैसे नहीं भेजे और ठगी टल गई।
कलेक्टर ने जारी की चेतावनी
मामले की जानकारी मिलते ही सतना कलेक्टर सतीश कुमार एस ने साइबर ठगों के खिलाफ चेतावनी जारी की। उन्होंने बताया कि उनके नाम और फोटो का दुरुपयोग कर व्हाट्सएप पर पैसे मांगने के लिए विदेशी नंबरों से संपर्क किया जा रहा है। कलेक्टर ने साफ किया कि कोई भी इस तरह के कॉल या संदेश पर विश्वास न करें और तुरंत पुलिस या साइबर सेल को सूचित करें।
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इन अधिकारयों के भी बने फर्जी अकाउंट
इससे पहले कई और सीनियर ऑफिसरों के नाम की सोशल मीडिया फर्जी आईडी बन चुकी है। ठगों ने सतना के पूर्व कलेक्टर अनुराग वर्मा के नाम से तीन फर्जी फेसबुक अकाउंट बना लिए। साइबर ठगों ने आईपीएस वर्मा की पहचान बताकर कई लोगों से निजी जानकारी और पैसे मांगे। इसी तरह से छतरपुर के तत्कालीन डीआईजी ललित शाक्यवार के नाम से भी फर्जी फेसबुक आईडी बनाई गई थी।
ठगों ने उनके करीबियों को मैसेज भेजकर मोबाइल नंबर और अन्य विवरण मांगे। खंडवा के तत्कालीन एसपी अनुराग सुजानिया के नाम पर भी नकली अकाउंट बना था। जागरूक सुजानिया ने तुरंत जानकारी मिलते ही उस फर्जी अकाउंट को बंद करा दिया। एडीजीपी सुनील कुमार पांडेय के नाम से भी ठगों ने नकली आईडी तैयार की। इन सभी मामलों में ठग बड़े अधिकारियों का नाम लेकर लोगों को फंसाने की कोशिश कर रहे थे।
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सोशल मीडिया सुरक्षा पर ध्यान दें
जालसाज अक्सर दूसरों की प्रोफाइल पिक्चर कॉपी करके फर्जी प्रोफाइल बनाते हैं। फिर पैसे मांगने के लिए मैसेंजर का इस्तेमाल करते हैं। यह ठगी उन लोगों के साथ ज्यादा होती है, जिनकी प्रोफाइल पब्लिक होती है। पुलिस ने सलाह दी है कि अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल को प्राइवेट रखें, ताकि आपकी जानकारी और तस्वीरें सुरक्षित रहें।
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कैसे करते हैं साइबर ठगी?
साइबर ठगों के पास कई फर्जी सिमकार्ड होते हैं। जैसे ही एक प्रोफाइल ब्लॉक होती है, वे नया नंबर लेकर ठगी शुरू कर देते हैं। पुलिस इन फर्जी प्रोफाइल्स को ब्लॉक तो कर देती है, लेकिन ठगों तक नहीं पहुंच पाती है। इस वजह से ये जालसाज आसानी से अपनी ठगी की हरकतें जारी रखते हैं। इन दिनों ठगी सोशल मीडिया से सबसे ज्यादा हो रही है।
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