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आईएएस अफसर मीनाक्षी सिंह का एक विवादित वीडियो सामने आया है। इसमें वह जातिवाद को एक जरूरी सोच मानते हुए कह रही हैं कि सवर्ण समाज के लोग सरनेम देखकर पक्षपाती होते हैं। इसी सोच को अब आदिवासी समुदाय को अपनाना चाहिए। वहीं, आईएएस मीनाक्षी सिंह के इस विवादित बयान पर सवर्ण समाज ने विरोध जताया है।
संविधान की शपथ को भूल रहे अफसर: सवर्ण समाज
मीनाक्षी सिंह के बयान पर सवर्ण समाज ने कड़ी आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि आईएएस अफसर को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए।
मिश्रा ने कहा कि संतोष वर्मा के विवादित बयान के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब मीनाक्षी सिंह जैसे अफसर समाज को बांटने वाले बयान दे रहे हैं। मिश्रा ने यह भी कहा कि अफसरों को संविधान की शपथ याद रखनी चाहिए, जिसमें सर्वधर्म समभाव की बात होती है।
अब चुप नहीं बैठेंगे- सवर्ण समाज
पुष्पेंद्र मिश्रा ने चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं की गई, तो सवर्ण समाज चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपील की कि जातिवादी सोच वाले अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
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भोपाल में अजाक्स सम्मेलन में दिया था बयान
यह वीडियो 23 नवंबर को भोपाल के अंबेडकर पार्क में हुए अजाक्स सम्मेलन में रिकॉर्ड किया गया था। सम्मेलन में आईएएस मीनाक्षी सिंह ने कहा कि आजकल समाज में जाति पहचानना और सहयोग करना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि समाज को जोड़ने की शुरुआत परिवार से होती है। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि उनकी जाति क्या है। मीनाक्षी सिंह ने यह भी कहा कि इस समय जातिवादी सोच और जातिगत पहचान की सबसे ज्यादा जरूरत है।
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— TheSootr (@TheSootr) December 18, 2025
5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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संतोष वर्मा का बयान भी था विवादास्पद
बता दें कि आईएएस मीनाक्षी सिंह से पहले आईएएस संतोष कुमार वर्मा भी विवादों में घिरे थे। वर्मा को इसी सम्मेलन में अजाक्स संगठन के प्रांतीय अधिवेशन में नया प्रांताध्यक्ष चुना गया था।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक ब्राह्मण मेरे बेटे से संबंध नहीं बनाता, आरक्षण जारी रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि आरक्षण तब तक रहेगा, जब तक रोटी-बेटी का व्यवहार समान नहीं होता।
इसके बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था। साथ ही, सरकार ने उन्हें कृषि विभाग से हटा कर मंत्रालय अटैच कर दिया था।
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