आईएएस संतोष वर्मा केस में बिना केस डायरी बुलाए ही दी टाइपिस्ट नीतू को जमानत, जज का ट्रांसफर

इंदौर में आईएएस संतोष वर्मा केस में विवाद बढ़ गया है। निलंबित जज विजेंद्र सिंह रावत के खिलाफ केस के बीच जज प्रकाश कसेर का ट्रांसफर हुआ है। जानें क्या है पूरा मामला...

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Sanjay Gupta
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INDORE. आईएएस संतोष वर्मा के फर्जी कोर्ट आदेश मामले में नया मोड़ आया है। पहले निलंबित जज विजेंद्रसिंह रावत और फिर टाइपिस्ट नीतू सिंह चौहान को जमानत देने वाले जज प्रकाश कसेर का ट्रांसफर हो गया है। इस ट्रांसफर आदेश ने पूरे मामले में हलचल मचा दी है। अब न्यायिक प्रणाली में इसका असर साफ दिखने लगा है।

सिंगल आदेश हुआ है

यह आदेश 21 दिसंबर को निकला है। जज प्रकाश कसेर को इंदौर से रामपुर सीधी ट्रांसफर किया गया है। रजिस्ट्रार जनरल धर्मिंदर सिंह के हस्ताक्षर से यह आदेश हुआ है।

यह हलचल 5 दिसंबर से ही शुरू हो गई थी

दरअसल, यह हलचल 5 दिसंबर से ही शुरू हो गई थी। जब जज प्रकाश कसेर के यहां इस मामले में उलझे निलंबित जज विजेंद्र सिंह रावत का अग्रिम जमानत आवेदन लगा था। इसमें पहली ही सुनवाई में यह आवेदन मंजूर हो गया था।

इसमें 50 हजार की गारंटी व अन्य शर्तों के साथ अग्रिम जमानत मंजूर हो गई थी। जबकि इसमें पुलिस की आपत्ति थी कि अभी तक मोबाइल व अन्य दस्तावेज जब्त नहीं हुए हैं। साथ ही, जमानत मिलने पर ये नष्ट किए जा सकते हैं, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था।

टाइपिस्ट नीतू सिंह चौहान का जमानत आदेश बिना केस डायरी के

19 दिसंबर को नीतू की जमानत बिना केस डायरी से

लेकिन इससे भी बड़ा विवाद तब हुआ जब रावत की कोर्ट में टाइपिस्ट रहे नीतू सिंह चौहान की जमानत हो गई। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और दो दिन की रिमांड पर लिया था। रिमांड समाप्ति पर उसे कोर्ट में पेश किया गया था। वहीं, नीतू ने जमानत आवेदन लगाया था।

इस दिन सुनवाई हुई लेकिन पुलिस की केस डायरी नहीं आई थी। वहीं, यह शायद सबसे दुर्लभ मामला था जब बिना केस डायरी के जमानत मंजूर की गई थी।

जज ने आदेश में लिखा कि भले ही केस डायरी पेश नहीं की गई है, लेकिन ऐसी स्थिति में जमानत याचिका पर सुनवाई के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में जमानत का लाभ दिया जाता है। इसके बाद नीतू को भी 50 हजार की मुचलके पर व विविध शर्तों के साथ जमानत दे दी गई।

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