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Photograph: (the sootr)
INDORE. इंदौर के विकास की गाड़ी एक बार फिर रसूख और राजनीति के ब्रेकर पर आकर रुक गई है। जंजीरवाला चौराहे से अटलद्वार तक बनने वाली सड़क अब चर्चा का विषय बन गई है। दो महीने पहले बड़े ताम-झाम के साथ इस सड़क का भूमिपूजन किया गया था।
सरकार ने 10 करोड़ का भारी-भरकम बजट भी मंजूर कर दिया और ठेकेदार भी तय हो गया। लेकिन जब काम शुरू करने की बारी आई, तो ज़मीन पर हालात कुछ और ही निकले।
सेंटर लाइन दिखी तो आयुक्त चौंके
निर्माण को सड़क सीमा में चलता देख आयुक्त आईएएस दिलीप कुमार यादव ने मौके पर ही नापजोख करवाई। फीता डला, माप हुई और गड़बड़ी साफ निकली। इसके बाद मौके पर ही निर्माण पर रोक लगवाई गई और जिम्मेदार अफसरों को फटकार पड़ी। इंदौर नगर निगम की भवन अधिकारी टीना सिसौदिया को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
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10 करोड़ की सड़क, पर ठेकेदार खाली
करीब 10 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली यह सड़क अब तक सिर्फ फाइलों में दौड़ रही है। कब्जे और निर्माण के कारण ठेकेदार काम शुरू ही नहीं कर पाया। निगम कहता है-जल्दी बनाना है, ज़मीन पर हालात कहते हैं-“पहले सेटिंग क्लियर हो।”
क्षेत्र नंबर 5 और ‘राजनीतिक छाया’
यह इलाका विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 में आता है-जहां “दादा-बाबा” के समर्थकों का दबदबा माना जाता है। रसूखदारों के निर्माण पर अब तक कोई हाथ नहीं पड़ा, जबकि सेंटर लाइन के बावजूद काम रुका रहा। सवाल यह है कि क्या सड़क से पहले राजनीतिक सहमति ज़रूरी है?
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आयुक्त की सख्ती से बदलेगा खेल?
आयुक्त यादव की कार्रवाई से संकेत तो साफ है-अब अतिक्रमण और मनमानी पर सख्ती होगी। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या यह रसूखदारों के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ एक दिन की है, या सच में सड़क बनेगी? भूमिपूजन से आगे बढ़ेगा काम-या फिर यह सड़क भी रसूख की फाइलों में दबी रह जाएगी?
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