आईएएस संतोष वर्मा केस में फर्जी आदेश टाइप करने वाली कोर्ट कर्मचारी गिरफ्तार, रिमांड अवधि में ही मिली जमानत

आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा की पदोन्नति मामले में नया मोड़ आया। पुलिस ने कोर्ट कर्मचारी नीतूसिंह को गिरफ्तार किया। उसे कोर्ट में पेश कर दो दिन के रिमांड पर सौंपा गया। रिमांड के दौरान 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई।

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Rahul Dave
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INDORE. आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा की पदोन्नति से जुड़े मामले में एक और मोड़ आ गया है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कोर्ट कर्मचारी नीतू सिंह को गिरफ्तार किया है। उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दो दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा गया। रिमांड अवधि के दौरान ही उसे कोर्ट से 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत भी मिल गई। 

कोर्ट ने जमानत देते हुए ने यह कहा

कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि पुलिस की यह धारणा गलत है कि रिमांड की स्थिति में जमानत याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। कोर्ट का मानना है कि मजिस्ट्रेट कोर्ट से रिमांड मिलने के बावजूद जमानत अर्जी पर सुनवाई की जा सकती है। प्रकरण चाहे जो भी हो, केस डायरी भी भले ही सुनवाई के दौरान पुलिस ने पेश नहीं की हो। लेकिन जमानत अर्जी की सुनवाई के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। 

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कुटुंब न्यायालय में है पदस्थ

 पुलिस द्वारा गिरफ्तार कोर्ट कर्मचारी नीतूसिंह चौहान वर्तमान में कुटुंब न्यायालय में पदस्थ है। चौहान पर आरोप है कि उसने पदोन्नति में लाभ दिलाने के लिए कोर्ट का ऐसा आदेश टाइप किया, जिसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं था।

बयान के लिए बुलाया, फिर हिरासत में लिया 

पुलिस के अनुसार नीतू सिंह चौहान को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था। लेकिन पूछताछ के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर उसे हिरासत में ले लिया गया। बाद में उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दो दिन के पुलिस रिमांड की अनुमति दी गई। इसी दौरान कोर्ट में जमानत के लिए याचिका भी लगाई गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए जमानत दे दी। 

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रिकार्ड में निर्णय दर्ज नहीं

 जांच अधिकारियों का कहना है कि यह कथित फर्जी आदेश स्पेशल जज विजेंद्र रावत की कोर्ट के नाम पर तैयार किया गया था। इस आदेश में यह दिखाया गया कि आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को एक आपराधिक प्रकरण में पूरी तरह बरी कर दिया गया, जबकि अदालत के रिकॉर्ड में ऐसा कोई निर्णय दर्ज नहीं है।

ऐसे गहराया था संदेह 

पुलिस के अनुसार वर्मा द्वारा पहले शासन को जो निर्णय प्रस्तुत किया गया था, उसमें प्रकरण के समझौते से समाप्त होने का उल्लेख था। चूंकि पदोन्नति प्रक्रिया में समझौते को आधार नहीं माना जाता। इसलिए बाद में दूसरा आदेश प्रस्तुत किया गया, जिसमें स्वयं को निर्दोष बताया गया। यहीं से पूरे मामले पर संदेह गहराया।

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रावत को मिल चुकी है अग्रिम जमानत

 इस प्रकरण में तत्कालीन स्पेशल जज विजेंद्र रावत पहले ही अग्रिम जमानत ले चुके हैं। आईएएस संतोष वर्मा सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर हैं। 

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जांच में नहीं मिल रहा सहयोग

एसीपी विनोद दीक्षित का कहना है कि वर्मा से पूछताछ और हस्ताक्षर के नमूने लेना जरूरी है। लेकिन जांच में उनका अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

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