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Indore: देश में सफाई के सिरमौर के रूप में पहचान रखने वाले, इंदौर नगर निगम की छवि घोटालों के कारण लगातार दागदार हो रही है। अब तो हाल यह है कि हाईकोई इंदौर को ही निगम के कामों को लेकर तीखी टिप्पणी करना पड़ी। मामला कुत्तों की नसबंदी से जुड़ा हुआ है।
इस तरह भड़का हाईकोर्ट
इंदौर शहर में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ती समस्या को लेकर शुक्रवार यानी 19 दिसंबर को याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें नगर निगम से जवाब मांगा गया। इस पर निगम ने सफाई देते हुए बताया कि दो लाख 39 हजार से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी हो गई है। यह काम लगातार जारी है।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि- यह कुत्तों की नसबंदी के आंकड़े बताना बहुत बड़ा घोटाला है। हम खुद वॉक करने निकलते हैं तो जगह-जगह स्ट्रीट डॉग्स नजर आते हैं, पता नहीं पूरे शहर में क्या हाल है। जस्टिस विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस बीके द्विवेदी ने इस केस की सुनवाई की।
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बच्चों का घर से निकलना तक मुश्किल
बेंच ने कहा कि स्ट्रीट डॉग्स (STREET DOGS) की समस्या के चलते कॉलोनी में बच्चों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इस पर ठोस कार्रवाई कीजिए, नहीं तो हम नसबंदी अभियान, अब तक किए स्टरलाइजेशन के मामले में न्यायिक जांच बैठा देंगे।
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नसबंदी पर हो रहा इस तरह अनाप-शनाप खर्च
हाईकोर्ट ने कहा आप लोग दो हजार रुपए एक श्वान के लिए खर्च कर रहे हो, यह वास्तव में बड़ा घोटाला है। इंदौर आवारा कुत्तों का हब बनता जा रहा है। इसके पहले की सुनवाई में 25 नवंबर को निगम को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि कहीं कोई अभियान ही नहीं चलाया गया।
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निगम की हर सफाई हुई खारिज
निगम ने कहा कि लगातार शहर में कैंप चल रहे हैं। नसबंदी की जा रही है। इस पर हाईकोर्ट ने फिर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह तो पूरे शहर में असलियत दिख रही है। पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। सड़कों पर रात में निकलना मुश्किल है।
बाइक, स्कूटर वाले टकरा रहे हैं। कुत्तों के झुंड हमला कर रहे हैं। निगम ने कहा कि हम और तेजी व सख्ती के साथ अभियान चलाएंगे। इस मामले की सुनवाई अब 12 जनवरी को होगी। इससे पहले नगर निगम को प्रमुख स्थानों से आवारा श्वानों को हटाना होगा। वहीं हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट पीयूष माथुर को न्यायमित्र नियुक्त किया है। एडवोकेट मनीष यादव भी इंटरविनर के रूप में हैं।
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