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MP News: वीआईटी यूनिवर्सिटीके 17 हजार से ज्यादा छात्रों को घटिया खाना परोसा जा रहा है। कई छात्रों की शिकायत के बाद फूड डिपार्टमेंट ने जो सैंपल लिए थे, उनकी जांच रिपोर्ट से इसकी पुष्टी हो गई है। हांलांकि वीआईटी यूनिवर्सिटी ने इस मामले को पूरी तरह भ्रामक बताया है।
हाल ही में छात्रों और यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच भारी तनाव हो गया था। साफ पानी और अच्छा भोजन न मिलने से नाराज छात्रों ने यूनिवर्सिटी की गाड़ियों में आग लगा दी थी। इस घटना के बाद सक्रिय हुए, प्रशासन के निर्देश पर FSSAI ने यूनिवर्सिटी कैंटीन से भोजन के सैंपल लिए थे।
FSSAI के अधिकारियों ने 5 कैटरिंग कंपनियों से 32 सैंपल लिए थे। जिनकी जांच में पता चला है कि अधिकांश भोजन छात्रों के लिए खतरनाक हैं। इससे छात्रों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है।
पांच प्वाइंट में समझें वीआईटी यूनिवर्सिटी पूरा मामला
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खाद्य सैंपल में पाए गए कीटनाशक
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 18 सैंपल लीगल कैटेगरी के थे, जबकि 14 सैंपल सर्विलांस के तहत लिए गए थे।
जांच में यह भी सामने आया कि कई खाद्य पदार्थ जैसे राजमा, उड़द दाल, तुअर दाल, आटा, मैदा और चावल में कीटनाशकों और इंसेक्टिसाइड्स के अवशेष पाए गए। इन्हें फेल और अनसेफ श्रेणी में डाला गया है, क्योंकि ये छात्रों की सेहत के लिए खतरनाक हो सकते थे।
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12 सैंपल अनसेफ पाए गए
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुल 32 सैंपलों में से 12 सैंपल अनसेफ पाए गए। इन सैंपलों को छात्रों की सेहत के लिए गंभीर खतरा माना गया। इससे फूड प्वाइजनिंग, दस्त, उल्टी, पेट दर्द, बुखार, आंतों का संक्रमण, टायफाइड और लिवर संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इस प्रकार की समस्याओं का जोखिम इन घटिया भोजन से बढ़ सकता था।
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फूड लाइसेंस निरस्त करने और कड़ी सजा की संभावना
खाद्य विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि VIT (वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के 4 कैटर्स के अनसेफ सैंपल के आधार पर उनके फूड लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे। मामले को कोर्ट में ले जाया जाएगा।
दोषियों को 3 साल की सजा के साथ 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, जो सैंपल सब स्टैंडर्ड पाए गए हैं, वे एडीएम कोर्ट में पेश किए जाएंगे।
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VIT प्रशासन ने आरोपों को नकारा
इस मामले पर प्रशासन ने सफाई दी कि वीआईटी यूनिवर्सिटी पर आरोप निराधार और भ्रामक हैं। वीआईटी ने यह भी दावा किया कि छात्रों को घटिया खाना परोसा जाना केवल अफवाह है। इससे जुड़े किसी भी बीमार छात्र का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया।
इसके बावजूद, जांच रिपोर्ट में पाया गया कि नवंबर महीने के बीच 14 से 24 तारीख के बीच 35 छात्रों को पीलिया हुआ था। वीआईटी ने इसका कोई मेडिकल रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया। इसके बाद अधिकारियों को कैंपस में रोका गया, और छात्रों से मारपीट और धमकी देने के वीडियो भी सामने आए थे।
वीआईटी में क्या हुआ था
यह पूरा विवाद तब और बढ़ा जब 25 नवंबर की रात को वीआईटी के कैंपस में एक हिंसक घटना हुई। इस घटना के बाद उच्च शिक्षा विभाग और एमपी निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग (MPURC) ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। हालांकि, प्रशासन ने इस हिंसक घटना के लिए शो-कॉज नोटिस का जवाब दिया और इसे निराधार बताया।
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