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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने वीआईटी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की जांच रिपोर्ट के बाद जारी हुआ है।
इस जांच रिपोर्ट में आयोग की टीम ने वीआईटी प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति के अनुसार, प्रबंधन का छात्रों के लिए रवैया तानाशाही जैसा था। छात्रों की समस्याओं को लगातार अनदेखा किया जा रहा था।
इस अनदेखी के कारण 26 नवंबर को हजारों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन कर हंगामा किया। उच्च शिक्षा विभाग ने आयोग की रिपोर्ट पर सात दिन के अंदर यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है।
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घटिया भोजन-पानी से था असंतोष
आयोग की तीन सदस्यीय जांच समिति ने हंगामे के बाद सीहोर यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों से बात की। छात्रों ने खाने की गुणवत्ता और गंदे पानी की शिकायत की। जांच समिति ने वीआईटी प्रबंधन से पीलिया पीड़ित छात्रों की संख्या पूछी। प्रबंधन ने बताया कि 14 से 24 नवंबर तक 35 छात्र पीलिया से प्रभावित थे। जांच समिति ने 1 नवंबर से रिकार्ड मांगा, लेकिन प्रबंधन यह रिकार्ड नहीं दे सका।
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कैंपस को बनाया किला
जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वीआईटी मैनेजमेंट ने कैंपस को किला बना दिया था। यहां तानाशाहीपूर्ण रवैया था। कैंपस के अंदर छात्र डर के माहौल में रहते थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रबंधन ने दो घंटे तक सीएमएचओ सीहोर को गेट पर रोके रखा, जो तानाशाही व्यवहार था।
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कितने छात्र बीमार, मैनेजमेंट को नहीं पता
जांच टीम ने पाया कि वीआईटी कैंपस में छात्र लगातार बीमार हो रहे थे, लेकिन प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दे रहा था। प्रबंधन के पास यह रिकार्ड भी नहीं था कि कितने छात्रों को पीलिया हुआ। वीआईटी के स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं थे।
स्थितियां संभालने में फेल हुआ प्रबंधन
जांच रिपोर्ट में यह बात भी कही गई कि प्रबंधन उग्र छात्रों को संभालने में फेल हुआ। जब छात्र अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे, तो उनके साथ गार्ड और अन्य लोगों ने मारपीट की। इसी घटना ने छात्रों को और उग्र कर दिया। मैनेजमेंट बीमार छात्रों का इलाज कराने की बजाय उन्हें घर भेज रहा था, जिससे छात्र नाराज थे। वीआईटी कैंपस में निर्णय लेने के अधिकारी केवल दो-तीन अधिकारियों के पास थे, बाकी सभी केवल नाममात्र के अधिकारी थे।
समिति सदस्यों को भी नहीं किया सहयोग
विश्वविद्यालय नियामक आयोग की जांच टीम को भी मैनेजमेंट ने सहयोग नहीं किया। वीआईटी मैनेजमेंट ने जांच के दौरान जांच टीम से सहयोग करने के बजाय पूर्वाग्रह दिखाया।
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सात दिन में देना है जवाब, नहीं तो एकपक्षीय कार्रवाई
मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने नोटिस में वीआईटी मैनेजमेंट से तय बिंदुओं पर जवाब मांगा है। यह जवाब मैनेजमेंट को सात दिन के अंदर देना है। समयसीमा में जवाब नहीं मिलने पर विभाग द्वारा एकतरफा कार्रवाई की जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग ने मप्र निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2007 की धारा 41-1 के तहत तय बिंदुओं पर जवाब मांगा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर मैनेजमेंट पर धारा 42-2 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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