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INDORE. ब्राह्मण पर विवादित बयान देने वाले आईएएस संतोष वर्मा के पुराने केस की परतें फिर से खुलने लगी हैं। वर्मा पर इंदौर के लसूडिया थाने में महिला अपराध संबंधी केस दर्ज हुआ था। जब यह केस इंदौर जिला कोर्ट में चला तो फिर इसमें नया विवाद खड़ा हुआ था।
सुनवाई करने वाले न्यायाधीश विजेंद्रसिंह रावत ने लसूडिया थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके साथ ही, पुलिस को बताया कि उनकी कोर्ट का फर्जी आदेश बनाया गया है। इसमें संतोष वर्मा को बरी होना बताया गया है। इसके बाद अज्ञात आरोपियों पर नया केस दर्ज हुआ था। अब फरियादी न्यायाधीश रावत खुद इसमें उलझ रहे हैं।
इसलिए उलझ रहे हैं न्यायाधीश रावत
रावत हाल ही में करीब 20 दिन पहले निलंबित हुए हैं। उधर इस केस में पुलिस को इंदौर हाईकोर्ट ने आगे जांच करने और कोर्ट से दस्तावेज लेने, पूछताछ करने की मंजूरी दी है।
इसी मंजूरी के बाद अब रावत ने जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत का आवेदन लगाया है। जबकि वह खुद केस में फरियादी हैं। पुलिस वर्मा के बरी होने वाले आदेश की सच्चाई पता करने के लिए जांच कर रही है।
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मोबाइल नहीं दे रहे हैं रावत
बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस मामले में न्यायाधीश रावत से कई जानकारियां और मोबाइल मांगा है। वहीं, उन्होंने पुलिस को बताया कि मोबाइल टूट गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस इस मामले में कोर्ट के कंप्यूटर से आदेश की कॉपी ले चुकी है। कुछ अन्य दस्तावेज भी ले चुकी है। इसके बाद ही मामला उलझ गया है।
वर्मा के लिए जरूरी था बरी होने का आदेश
यह आदेश वर्मा के लिए बहुत जरूरी था। बिना बरी आदेश के वह IAS नहीं बन सकते थे। इसलिए पदोन्नति DPC के पहले यह आदेश लेना उनकी प्राथमिकता थी। बताया जाता है कि इसी के चलते यह आदेश बना और इसे DCP के समय दिया गया था। इसके बाद ही उन्हें IAS अवार्ड हो सका है।
वर्मा पर एक युवती ने आरोप लगाए थे
प्रशासनिक अधिकारी संतोष वर्मा पर एक युवती ने आरोप लगाए थे। इस केस के चलते उनके पदोन्नत होकर IAS बनने की राह में रोड़ा आ गया था। आरोप है कि इस मामले में बरी होने का फर्जी आदेश पारित कराया था।
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न्यायाधीश ने थाने में यह कराई थी शिकायत
MG रोड थाने में 27 जून 2021 को यह फर्जी कोर्ट आदेश बनाने का केस दर्ज हुआ था। इसमें अज्ञात आरोपी पर IPC धारा 120B, 420, 467, 468, 471 व 472 में केस हुआ था। अपराध होने का समय 6 अक्टूबर 2020 बताया गया था। थाने में न्यायाधीश विजेंद्रसिंह रावत के जरिए केस दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था।
न्यायाधीश रावत ने आवेदन में कहा कि लसूडिया थाने में संतोष वर्मा पर FIR दर्ज है। FIR नंबर 851/2016 में धारा 323, 294 और 506 के तहत मामला चल रहा है। इसके अलावा, फौजदारी केस नंबर 1621/2019 भी चल रहा है।
यह केस अन्य कोर्ट से ट्रांसफर होकर मेरी (न्यायाधीश रावत) कोर्ट में 3 अक्टूबर 2020 को चढ़ाया गया था। सुनवाई के लिए 23 नवंबर 2020 लगाई गई थी। फिर इसमें साक्ष्य के लिए 22 फरवरी 2021 तारीख लगाई गई थी। इसके बाद, अगली तारीख 31 मई 2021 लगी थी।
इस मामले में मेरी कोर्ट ने 6 अक्टूबर 2020 को कोई आदेश पारित नहीं किया था। कोर्ट की डायरी व CIS में इस दिन का कोई रिकॉर्ड नहीं है। न ही इस दिन मेरे हस्ताक्षर से कोई निर्णय हुआ है। मेरी पत्नी बीमार है, इसलिए इस दिन 6 अक्टूबर को मैं अवकाश पर था।
जिला अभियोजन अधिकारी अकरम शेख ने कोर्ट में आकर बताया कि इस केस में समझौता हो गया है। उन्होंने कहा कि इस आधार पर निर्णय लिया गया है और इसकी स्कैन कॉपी मौजूद है।
इसमें भी इस निर्णय की तारीख 6 अक्टूबर लिखी हुई थी। सील मेरी कोर्ट की लगी थी। हस्ताक्षर अंग्रेजी में अपठनीय थे। वहीं, इस दिनांक को मेरे जरिए कोई आदेश नहीं किए गए था। यह फैसला कॉपी कूटरचित तैयार की गई है।
वर्मा पर महिला ने क्या लगाए हैं आरोप
संतोष वर्मा, पिता रूमाल सिंह वर्मा पर एक महिला ने 18 नवंबर 2016 को लसूडिया थाने में केस दर्ज कराया था। केस IPC की धारा 493, 494, 495, 323, 294 और 506 के तहत दर्ज किया गया था।
केस नंबर 851/2016 है। तब वर्मा उज्जैन में अपर कलेक्टर पद पर पदस्थ थे। शिकायत में था कि साल 2010 से वह वर्मा को जानती हैं। मेलजोल के दौरान वर्मा ने शादी का प्रस्ताव रखा था। दोनों ने चुपके से मंदिर रिद्धिनाथ, हंडिया जिला धार में शादी कर ली थी।
पूर्व में वह शादीशुदा थे। पत्नी की तरह चुपचाप रखा था। शारीरिक संबंध बनाए। जैसे ही पूर्व शादीशुदा होने की बात चली और विरोध किया तो वर्मा ने मारपीट शुरू कर दी थी।
बीते तीन सालों से इंदौर में एक टाउनशिप में उनके साथ रह रही हैं। बीच में गर्भवती हुई तो वर्मा ने दबाव डालकर दो बार एबॉर्शन कराया था। बालाघाट में अपर कलेक्टर पद पर पदोन्नत हुए, फिर सीहोर एडीएम बने थे। इसके बाद राजगढ़ में CEO जिला पंचायत और इसके बाद उज्जैन अपर कलेक्टर हैं। मुझसे धोखाधड़ी करते हुए शादी की गई थी।
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