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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. मध्य प्रदेश का प्रभावशाली संगठन अजाक्स (SC-ST अधिकारियों का राज्य स्तरीय मंच) इन दिनों सुर्खियों में है। 23 नवंबर 2025 को हुए एक कार्यक्रम ने पूरे संगठन में घुसपैठ, फर्जी नियुक्ति और अनुशासनहीनता के आरोपों की आग भड़का दी है।
अनाधिकृत अधिवेशन से शुरू हुआ विवाद
अजाक्स के प्रांतीय महासचिव मुरारीलाल लिधोरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी मुकेश मौर्य ने मुख्यमंत्री को भेजे शिकायत पत्र में बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के मुताबिक, सेवानिवृत्त IAS जेएन कांसोटिया ने संघ के विधान को दरकिनार करते हुए
डॉ. अंबेडकर मैदान, तुलसी नगर में अनधिकृत प्रांतीय अधिवेशन कर डाला। शिकायतकर्ताओं के शब्दों में यह सब सोची-समझी रणनीति के तहत संगठन की छवि खराब करने के लिए किया गया।
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सबसे बड़ा आरोप- फर्जी प्रांताध्यक्ष?
आईएएस संतोष वर्मा की नियुक्ति पर बवाल खड़ा हो गया है। उन्हें अजाक्स का ‘प्रांताध्यक्ष’ घोषित कर दिया गया, जबकि वे अजाक्स के सदस्य तक नहीं हैं। उन्हें प्राथमिक सदस्यता भी नहीं मिली। कार्यकारिणी ने उन्हें न चुना, न मनोनीत किया। अजाक्स पदाधिकारियों का कहना है कि यह नियुक्ति पूरी तरह अवैधानिक और संगठन-विरोधी है।
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अमर्यादित बयान बने वजह
शिकायत में संतोष वर्मा के वर्ग विशेष की महिलाओं को लेकर दिए गए विवादित बयान के लेकर दावा किया है। कहा गया कि सोशल मीडिया पर वायरल क्लिप्स ने प्रदेशभर में सामाजिक तनाव और सरकारी कर्मियों के बीच मतभेद पैदा कर दिए। अजाक्स का सीधा आरोप है कि देश-प्रदेश में संगठन की छवि धूमिल हुई है।
पुरानी फाइलें भी खुलीं
शिकायत में संतोष वर्मा पर लगे पहले के आरोप भी जोड़े गए। चरित्रगत विवाद अवैधानिक गतिविधियों की शिकायतें और कई बार वायरल हुए आपत्तिजनक बयान इन सभी को “पैटर्न” बताते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
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संगठन नहीं, व्यक्ति जिम्मेदार
अजाक्स ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति संगठन के नाम पर सौहार्द बिगाड़ने वाला बयान देता है, तो यह उसका व्यक्तिगत अपराध माना जाए। संगठन का ऐसे किसी भी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। यानी अजाक्स ने संतोष वर्मा से दूरी तय कर ली है।
अंदरूनी राजनीति या बाहरी प्लान?
क्या यह पूरा मामला अजाक्स के भीतर नेतृत्व की खींचतान का परिणाम है? या फिर संगठन को कमजोर करने की बाहरी कोशिश? अभी इसका जवाब नहीं, लेकिन मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत के बाद यह मामला अब राज्य स्तर का मुद्दा बन गया है।
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विवादित गतिविधि नहीं करेंगे बर्दाश्त
संगठन का कहना है कि हम एससी-एसटी अधिकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने हैं। किसी भी अवैधानिक/विवादित गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यानि संगठन अब पूरी तरह डिफेंस से ऑफेंस मोड में आ चुका है।
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