जीएडी के दो आदेशों से गफलत, कहीं खटाई में न पड़ जाए आईएएस सर्विस मीट

मध्यप्रदेश के आईएएस अधिकारी इन दिनों पशोपेश में हैं। मामला ऐसा है कि राजधानी भोपाल में 20 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच तीन दिन आईएएस सर्विस मीट प्रस्तावित है। ये खटाई में पड़ती नजर आ रही है।

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Ravi Kant Dixit
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मध्यप्रदेश के आईएएस अधिकारी इन दिनों पशोपेश में हैं। इसकी वजह भी बड़ी दिलचस्प है। मामला ऐसा है कि राजधानी भोपाल में 20 दिसंबर से 22 दिसंबर के बीच तीन दिन आईएएस सर्विस मीट प्रस्तावित है। जोर शोर से इसकी तैयारियां चल रही हैं। इस बीच सामान्य प्रशासन विभाग की दो अलग अलग शाखाओं के दो अलग-अलग आदेशों ने अधिकारियों को मुश्किल में डाल दिया है। दोनों की अपनी अपनी शर्तें हैं, ऐसे में चुनिंदा आईएएस अधिकारी खफा हो गए हैं। 

दरअसल, जीएडी कार्मिक और जीएडी ने दो आदेश जारी किए हैं। कार्मिक ने लिखा है कि मध्यप्रदेश भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी संघ की ओर से 20 दिसंबर 2024 को "विकसित भारत 2047" विषय पर सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। इसमें जी-20 इंडिया के शेरपा अमिताभ कांत मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल होंगे। इसके अलावा 20 से 22 दिसंबर 2024 के बीच सर्विस मीट का भी आयोजन होगा।

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कार्मिक ने इस तरह बताईं अपनी शर्तें

कार्मिक ने लिखा है, सेमिनार और सर्विस मीट में भाग लेने के लिए अनुमति दी गई है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं। इसके तहत संभागीय आयुक्त यानी कमिश्नर, कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी यानी जिला पंचायत सीईओ मुख्यालय छोड़ने से पहले अपने क्षेत्र की कानून-व्यवस्था की स्थिति का पूरी तरह से आकलन करें। मीट के बाद सभी अधिकारी 23 दिसंबर को कार्यालय समय में वापस लौटना सुनिश्चित करें। कमिश्नर अपने संभाग के सभी जिलों की कानून-व्यवस्था की समीक्षा करें। यदि किसी जिले में कानून व्यवस्था की संवेदनशील या खराब स्थिति हो, तो उस जिले के जिम्मेदार अधिकारी मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे।

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वहीं, जीएडी ने अलग से एक आदेश जारी किया है, इसमें प्रदेश के सभी आईएएस अधिकारियों को सुशासन दिवस को लेकर गाइडलाइन दी गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने बाकायदा इसके लिए आदेश भी जारी किया है। इस आदेश में लिखा है कि 19 दिसंबर से 24 दिसंबर के बीच प्रदेश में सुशासन सप्ताह मनाया जाना है। इसके लिए प्रशासन गांव की ओर थीम तय की गई है। यानी प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में जाकर सरकार की योजनाओं से गांव वालों को रुबरू कराना है। इस कार्यक्रम के तहत लोगों की समस्याओं को सुनकर उनका तत्काल निराकरण भी करना है। 

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अधिकारियों में रोष और चिंता दोनों 

अब बड़ा सवाल यह है कि जब आईएएस अधिकारी और कलेक्टर तीन दिन भोपाल में होने वाली सर्विस मीट में रहेंगे तो गांव की ओर प्रस्थान करेगा कौन? दूसरा, पहले दिन ही कार्मिक ने विकसित भारत के विषय पर सेमिनार रख लिया है, ऐसे में सर्विस मीट का उद्घाटन ही फीका हो जाएगा। कुल मिलाकर नियम बनाने वालों ने अपनी ही बिरादरी का मजा किरकिरा ​कर दिया है। ऐसे ही सरकार की तरफ से जो दिशा-निर्देश आए हैं, उनका भी पूरा तरह पालन नहीं हो पाएगा। कुल मिलाकर इन दोनों आदेशों से अधिकारियों में रोष भी है और वे सरकारी आयोजनों को लेकर चिंतित भी हैं।

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