IDA की ड्राइव इन सिनेमा की 500 करोड़ की जमीन बची, 'द सूत्र' खुलासे पर विकास मंजूरी निरस्त

'द सूत्र' के पास आई दस्तावेजी जानकारी में खुलासा हुआ था कि इस मामले में आईडीए और भू स्वामी तख्तानी परिवार के बीच चले विवाद के दौरान रिट पिटीशन 3479/2015 लगी थी, जिसमें स्टे आर्डर है। जो जारी है।

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Sanjay gupta
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Indore. इंदौर विकास प्राधिकरण यानी IDA की स्कीम 114 पार्ट टू निरंजनपुर की 500 करोड़ से अधिक कीमत की 3.318 हेक्टेयर जमीन पर गुपचुप होने वाले निर्माण काम का खुलासा 'द सूत्र' ने किया था। इसके बाद दूसरा खुलासा किया कि इस बेशकीमती जमीन पर हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी नगर निगम इंदौर की कॉलोनी सेल ने विकास मंजूरी ही जारी कर दी। इन खुलासे के बाद आईडीए ने नगर निगम को विकास मंजूरी निरस्ती का पत्र लिखा और अब सोमवार शाम को निगम ने यह विकास मंजूरी निरस्त कर दी है।

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आईडीए और नगर निगम ने दिखाई तत्परता

इस मामले में 'द सूत्र' खुलासे पर आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार ने तत्काल एक्शन ली और पहले तो काम रूकवाया और फिर इसकी फाइल खुलवाई। वहीं 'द सूत्र' ने खुलासा किया कि आवेदकों ने हाईकोर्ट स्टे के बाद भी डीम्ड टीएएनसीपी और डीम्ड डायवर्सन के आधार पर यहां विकास मंजूरी जारी कर ली है। इस खुलासे पर आईडीए सीईओ ने नगर निगम को पत्र लिखा और विकास मंजूरी निरस करने की मांग की। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने इसकी जांच तत्काल अपर आयुक्त आईएएस रोहित सिसोनिया को दी। 'द सूत्र' का खुलासा बिल्कुल सही था। नगर निगम ने अब तख्तानी परिवार को मिली विकास मंजूरी निरस्त कर दी है।

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यह आदेश जारी किया नगर निगम ने

नगर निगम ने आदेश जारी किया है कि आवेदक रेवाचंद पिता सेवाराम, लालचंद्र पिता सेवाराम, राजकुमार पिता सेवाराम, कन्हैयालाय पिता सेवाराम, प्रकाश पिता सेवाराम सभी निवासी 189 पलसीकर कॉलोनी द्वारा टू निरंजनपुर सर्वे नंबर 416/4, 416/4, 417/2, 417/3 की 3.176 हेक्टेयर भूमि में से 20 हजार 290 वर्गमीटर पर आवासीय सह वाणिज्यिक प्रयोजकन के संबंध में विकास मंजूरी ली थी। यह विकास मंजूरी रिट पिटीशन 8176/2014 में 27 जनवरी 2016 को पास आदेश के क्रम में 21 मार्च 2018 को जारी हुई थी। लेकिन इस मामले में सामने आया है कि विकास मंजूरी जब ली गई तब रिट पिटीशन 3479/2015 में एक जून 2015 को पास आदेश के तहत स्टे था। वहीं टीएएनसीपी से नक्शा पास नहीं था यह डीम्ड था और डायवर्सन भी स्पष्ट नहीं होकर डीम्ड था। ऐसे में विकास मंजूरी निरस्त किया जाना उचित होगा। वैसे भी मंजूरी शर्त उल्लंघन के कारण खुद ही यह समाप्त हो जाती है। इसलिए मार्च 2018 की विकास मंजूरी को निरस्त किया जाता है। इस संबंध में अब इस मंजूरी के आधार पर कोई विकास निर्माण काम नहीं किया जाए।

बिना दस्तावेज जारी हुई थी विकास मंजूरी

'द सूत्र' के पास आई दस्तावेजी जानकारी में खुलासा हुआ था कि इस मामले में आईडीए और भू स्वामी तख्तानी परिवार के बीच चले विवाद के दौरान रिट पिटीशन 3479/2015 लगी थी, जिसमें स्टे आर्डर है। जो जारी है। इस मामले में 10 मार्च को सुनवाई भी होना है। लेकिन इस स्टे के बाद भी नगर निगम द्वारा 21 मार्च 2018 को आवेदक रेवाचंद्र पिता सेवाराम तख्तानी, लालचंद्र पिता सेवाराम, राजकुमार पिता सेवाराम, कन्हैयालाल पिता सेवाराम, प्रकाश पिता सेवाराम को विकास मंजूरी जारी कर दी गई। वहीं विकास मंजूरी में साफ है कि टीएएनसीपी इंदौर से तो नक्शा ही मंजूर नहीं हुआ। इसमें आवेदक ने टीएंडसीपी में नक्शा पास के लिए लगाया, और तय तारीख तक पास नहीं होने पर डीम्ड परमीशन मानी गई और वहीं निगम के आवेदन में लगा दी गई। हद तो यह है कि यहां पर तो डायवर्सन भी विधिवत कलेक्टोरेट एसडीएम से जारी नहीं हुआ, बल्कि इसके लिए भी आवेदन लगा और डीम्ड परमीशन मानकर निगम में यह सभी डीम्ड परमीशन के आवेदन लगा दिए। इसी के आधार पर ही निगम ने विकास मंजूरी भी जारी कर दी।

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यह है वह जमीन और पूरा विवाद

योजना क्रमांक 114 भाग टू निरंजनपुर सर्वे नंबर 416/4, 416/4, 417/2, 417/3 के कुल एरिया 3.318 हेक्टेयर जमीन है। इसकी मौजूदा कीमत 500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। आईडीए ने यहां पर स्कीम लांच की थी लेकिन तब इस जमीन के स्वामी देव श्री सिनेमा के मालिक मनोहर देव ने धारा 50(3) के तहत छूट ली और कहा कि उन्होंने यहां पर ड्राइव इन सिनेमा खोलने की मंजूरी ले रखी है। आईडीए ने संकल्प 221 से 30 नवंबहर 1992 द्वारा निजी विकास की सशर्त मंजूरी दे दी। शर्त थी कि यहां ड्राइव इन सिनेमा ही बनेगा और इसके सिवा अन्य कोई काम नहीं होगा और ना ही भूमि का हस्तांतरण होगा। लेकिन सिनेमा नहीं बना और यह जमीन भी तख्तानी परिवार को बेच दी गई। इस पर आईडीए ने संकल्प 105 जो दो जून 2014 को पास किया उसके तहत जमीन को अपनी स्कीम में ले लिया और निजी विकास मंजूरी संबंधी करार को रद्द कर दिया। उधर निजी भूमिस्वामी ने इस पर आवासीय/व्यावसायिक नक्शा पास करने की पहल टीएंसपी में की जिस पर आईडीए ने आपत्ति लगाई। यह पूरा विवाद अब हाईकोर्ट में चल रह है और औपचारिक तौर पर यह जमीन आईडीए की स्कीम में घोषित हैं।

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