IIT इंदौर की कोविड रिसर्च में खुलासा- इसी के कारण आ रहे हैं साइलेंट हार्ट अटैक

आईआईटी इंदौर द्वारा शीर्ष भारतीय संस्थानों के सहयोग से किए प्रमुख अध्ययन को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित किया है। अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 वायरस के विभिन्न वेरिएंट ने मानव शरीर को किस प्रकार प्रभावित किया।

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Vishwanath Singh
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इंदौर आईआईटी के प्रोफेसर ने कोविड–19 को लेकर एक महत्वपूर्ण रिसर्च किया है। ICMR के साथ मिलकर किए गए रिसर्च में उन्होंने बताया कि कोविड के कारण लंबे समय तक लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं। यह भी पता चला है कि कोविड के वायरस से लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक आ रहे और थायराइड हो रहा है।

आईआईटी इंदौर ने की कोविड को लेकर बड़ी खोज

आईआईटी इंदौर द्वारा शीर्ष भारतीय संस्थानों के सहयोग से किए प्रमुख अध्ययन को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ प्रोटिओम रिसर्च में प्रकाशित किया है। अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 वायरस के विभिन्न वेरिएंट ने मानव शरीर को किस प्रकार प्रभावित किया। वहीं, रोग की गंभीरता के विभिन्न स्तरों का कारण बना। इस रिसर्च का नेतृत्व आईआईटी इंदौर के डॉ. हेमचंद्र झा, केआईएमएस भुवनेश्वर के डॉ. निर्मल कुमार मोहकुद ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और आईआईटी इंदौर के सहयोग से किया है।

यह पता लगाया रिसर्च में

इस टीम ने SARS-CoV-2 के विभिन्न वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOCs) से जुड़े प्रमुख बायोकेमिकल, हेमटोलॉजिकल, लिपिडोमिक और मेटाबॉलिक परिवर्तनों का अध्ययन किया। विशेष रूप से मूल वाइल्ड टाइप (WT), अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट। भारत में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के 3134 रोगियों के डेटा का उपयोग किया गया। रिसर्चकर्ताओं ने बीमारी की गंभीरता से संबंधित 9 महत्वपूर्ण मापदंडों की पहचान करने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया। सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), डी-डाइमर, फेरिटिन, न्यूट्रोफिल स, व्हाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) का काउंट, लिम्फोसाइट्स, यूरिया, क्रिएटिन और लैक्टेट डिहाइड्रोजनेज (एलडीएच)।

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कोविड के वायरस से आए साइलेंट हार्ट अटैक और थायराइड

रोगी के डेटा का विश्लेषण करने के अलावा, रिसर्चकर्ताओं ने इन वायरस वेरिएंट से विभिन्न स्पाइक प्रोटीन के संपर्क में आने वाले फेफड़े और कोलन कोशिकाओं का अध्ययन किया। इन सभी में से, डेल्टा वेरिएंट ने शरीर के रासायनिक संतुलन में सबसे महत्वपूर्ण व्यवधान दिखाया। इससे कैटेकोलामाइन और थायरॉइड हार्मोन उत्पादन से संबंधित मार्ग प्रभावित हुए। जिसके परिणामस्वरूप जटिलताएं उत्पन्न हुईं, जिनमें साइलेंट हार्ट फेलुअर और थायरॉइड विकार शामिल हैं। इन निष्कर्षों को मेटा-एनालिसिस द्वारा भी समर्थन मिला, जिसमें यूरिया और अमीनो एसिड मेटाबॉलिज्म में व्यवधानकी ओर इशारा कियागया है।

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कोविड के डेल्टा वेरिएंट ने की बड़ी गड़बड़ियां

आईआईटी इंदौर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेमचंद्र झा ने कहा कि हमारे रिसर्च से पता चला है कि अलग-अलग कोविड-19 वेरिएंट शरीर को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करते हैं। खासकर डेल्टा वेरिएंट ने शरीर की कार्यप्रणाली और हार्मोन से जुड़ी प्रक्रियाओं में बड़ी गड़बड़ियां कीं। यह अध्ययन उन लोगों के लंबे समय तक चलने वाले कोविड लक्षणों को समझने और उनका सही इलाज ढूंढ़ने में मदद कर सकता है।

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रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी से जाना रोगियों में क्या बदलाव हुए

रोगियों के डेटा और लैब में किए गए परीक्षणों के इस संयुक्त अध्ययन से यह पता चला कि कोविड-19 शरीर को अंदर से किस तरह से प्रभावित करता है। इस रिसर्च में मल्टी-ओमिक्स और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया, जिनका इस्तेमाल आईआईटी इंदौर में प्रोफेसर राजेश कुमार की टीम ने शरीर में हुए बदलावों को समझने के लिए किया। वहीं, रोगियों के डेटा का विश्लेषण आईआईआईटी इलाहाबाद की प्रोफेसर सोनाली अग्रवाल के मार्गदर्शन में किया गया।

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हमारे अलग–अलग विशेषज्ञ कई नई रिसर्च कर रहे

इस बारे में आईआईटी इंदौर के डायरेक्टर प्रोफेसर सुहास एस. जोशी ने कहा, "यह रिसर्च दिखाता है कि आईआईटी इंदौर में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ मिलकर उन्नत स्तर पर रिसर्च कर रहे हैं। कोविड-19 के शरीर पर लंबे समय तक पड़ने वाले असर को गहराई से समझना जरूरी है, ताकि बेहतर इलाज और स्वास्थ्य सेवाएं तैयार की जा सकें।

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