इंदौर के मेडिकल गिरवा रहे अनचाहा गर्भ, ड्रग इंस्पेक्टरों की नाक के नीचे हो रहा यह धंधा
द सूत्र की टीम को मूसाखेड़ी और रोबोट चौराहे के कुछ मेडिकल से गर्भ गिराने की दवाओं के अवैध रूप से धड़ल्ले से बेचे जाने की सूचना मिली थी। इस पर हमने 15 दिन तक उन मेडिकल स्टोर पर नजर रखी और पड़ताल की।
इंदौर के मेडिकल अब अनचाहे गर्भ को गिरवाने का काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें ना तो डॉक्टर की पर्ची की जरूरत होती है और ना ही किसी दवाई के जानकार (फार्मासिस्ट) की आवश्यक्ता है। वे तो सिर्फ 450 रुपए के लालच में यह गंदा काम कर रहे हैं। खास बात तो यह है कि ये गर्भ गिराने की दवाएं प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र से भी बेची जा रही हैं। प्रत्येक मेडिकलों से रोज 5 के करीब ये दवाईयां बेची जा रही हैं। यह धंधा मूसाखेड़ी और रोबोट चौराहा क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा है, लेकिन यहां पर ड्रग इंस्पेक्टर झांकने तक नहीं जाते हैं।
15 दिन तक रखी नजर फिर किया स्टिंग ऑपरेशन
द सूत्र की टीम को मूसाखेड़ी और रोबोट चौराहे के कुछ मेडिकल से गर्भ गिराने की दवाओं के अवैध रूप से धड़ल्ले से बेचे जाने की सूचना मिली थी। इस पर हमने 15 दिन तक उन मेडिकल स्टोर पर नजर रखी और पड़ताल की। इस दौरान कई लोग इन मेडिकल से गर्भ गिराने की दवाएं लेकर जाते मिले। इसके बाद तीन मेडिकल का स्टिंग ऑपरेशन किया और फिर इस गोरखधंधे की जड़ तक गए।
द सूत्र: भाई प्रेगनेंसी किट में पॉजीटिव आ गया है, दवाई मिल जाएगी क्या? दुकानदार: मिल जाएगी, कितना टाइम ऊपर हुआ है? द सूत्र: शायद 20 से 25 दिन हुए हैं? दुकानदार: थोड़ा ज्यादा समय हो गया है। मिल तो जाएगी गोली लेकिन 500 रुपए की है, तुम्हें 450 रुपए में दे देंगे। द सूत्र: कैसे लेना है इस गोली को? दुकानदार: पहली गोली आज रात को 8 बजे, दो गोली अगली रात 8 बजे लेनी है, बाकी की दो गोली तीसरी रात को 8 बजे लेनी है। द सूत्र: खाने में क्या खिला सकते हैं? दुकानदार: खाने में गर्म चीजें ही खिलाना है जैसे खिचड़ी या दलिया। द सूत्र: इससे कोई तकलीफ तो नहीं होगी? दुकानदार: कोई दिक्कत नहीं हाेगी। ब्लीडिंग ज्यादा हो तो घबराना मत। उसके लिए भी गोली मिल जाएगी, आ जाना।
1. बालाजी मेडिकल स्टोर: शाहीन नगर में लाल मंदिर के पास स्थित यह मेडिकल है। यहां पर प्रोपराइटर लाला शिवरा खुद बैठकर बिना पर्ची के गर्भ गिराने की दवाई देते मिले। द सूत्र की टीम ने जब इनसे दवाई मांगी तो बिना डॉक्टर की पर्ची देखे वे दवाई देने लगे। यही नहीं उन्होंने यह तक समझाया कि दवाई को लेना कैसे है। 2. बालाजी मेडिकल: धीरज नगर मे रोबोट चौराहे के पास स्थित यह मेडिकल है। यहां पर बैठे धीरज शिवरा नामक व्यक्ति से जब गर्भ गिराने की दवाई मांगी तो वह बेखौफ तरीके से दवाई देने लगा। यहां पर दवाई देने के लिए फार्मासिस्ट भी मौजूद नहीं था। 3. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र: विराट नगर मूसाखेड़ी चौराहा में यह मेडिकल है। इस मेडिकल पर आमतौर पर ना तो प्रोपराइटर बैठता है और ना ही फार्मासिस्ट मौजूद रहता है। इन दोनों की ही अनुपस्थिति में दुकान का नौकर ही गर्भ गिराने की दवाई देता रहता है।
ग्राहक से पूछते हैं, लड़की मोटी है या पतली, हाइट कितनी है
इन मेडिकल पर जब द सूत्र की टीम गर्भ गिराने की दवाई लेने पहुंची तो उन्होंने पहले पूछा कि लड़की का पिछली बार महीना कब आया था? उसकी हाइट कितनी है? लड़की मोटी है या दुबली है? लड़की का वजन ज्यादा तो नहीं है? ये ग्राहकों से कुछ इस तरह की बातें करते हैं जिससे कि उन्हें भरोसा हो जाए कि वे दवाई के जानकार हैं। साथ ही दवाई पर ब्लैक मार्कर से गोले बनाकर उसे लेने का तरीका भी बताते हैं।
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प्रत्येक मेडिकल से रोज पांच दवाई बिक रही
ये तो केवल वे मेडिकल हैं जिनका स्टिंग ऑपरेशन करके द सूत्र की टीम ने दवाई खरीदी। सूत्रों के मुताबिक मूसाखेड़ी और रोबोट चौराहा क्षेत्र में इस तरह के और भी दर्जनों मेडिकल संचालित हैं, जहां से कि इस तरह की गर्भ गिराने की दवाईयां बिना डॉक्टर की पर्ची के धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। ये मेडिकल एक दिन में 5 टैबलेट बेच देते हैं। ऐसे में अकेले ये 3 मेडिकल ही रोज लगभग 15 दवाईयां बेच रहे हैं।
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फार्मासिस्ट के लायसेंस टंगे रहते हैं दुकानों पर
मेडिकल दुकानों को लेकर जो नियम सरकार की तरफ बनाया गया है उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि अगर किसी भी मेडिकल से दवाई की बिक्री की जा रही है तो उसे फार्मासिस्ट की मौजूदगी में ही देना अनिवार्य है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। मूसाखेड़ी तो छोड़िए शहर के अधिकतर क्षेत्रों में मेडिकल दुकानों पर फार्मासिस्ट के सिर्फ लायसेंस ही टंगे दिखाई देते हैं और फार्मासिस्ट जिन्हें दुकानों पर होना चाहिए वे किसी दवा कंपनी में काम करते मिलते हैं।
ड्रग इंस्पेक्टरों की रुचि सिर्फ दुकानों की साइज में रहती है
बिना फार्मासिस्ट के शहर के अधिकांश हिस्सों में मेडिकल दुकानें संचालित हो रही हैं। जहां से बड़ी संख्या में लोग दुकानदारों के भरोसे दवाई लेकर खा भी रहे हैं, लेकिन इससे ड्रग इंस्पेक्टरों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। वे तो सिर्फ लायसेंस जारी करते समय दुकानों की साइज की नपती करने पहुंच जाते हैं। बस दुकान की साइज नियम अनुसार होनी चाहिए। बाकी दुकान में फार्मासिस्ट बैठे या नहीं उसकी जानकारी लेने के लिए वे कभी दुकानों पर झांकने तक नहीं जाते हैं।