सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाएं सप्लाई पर आजीवन कारावास की मांग

महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय ने बताया कि भोपाल में हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक में महासंघ के पदाधिकारियों ने प्रमुख सचिव और आयुक्त के सामने सरकारी अस्पतालों में घटिया दवाओं की सप्लाई की वर्तमान व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया।

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Vishwanath Singh
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मध्य प्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाओं की सप्लाई को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। महासंघ ने लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से इस गंभीर समस्या पर तुरंत कठोर कदम उठाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उनकी मांग है कि शासकीय अस्पतालों में अमानक दवाओं की सप्लाई के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए और दोषियों पर आजीवन कारावास की कठोर सजा का प्रावधान किया जाए।

बैठक में उठी प्रमुख मांगें

महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय और संयोजक डॉ. माधव हसानी ने बताया कि भोपाल में हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक में महासंघ के पदाधिकारियों ने प्रमुख सचिव और आयुक्त के सामने सरकारी अस्पतालों में घटिया दवाओं की सप्लाई की वर्तमान व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया। महासंघ ने कहा कि यह समस्या न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि इससे सरकारी अस्पतालों पर जनता का विश्वास भी कम हो रहा है।

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मरीजों के हित में होगा सरकार का कदम

महासंघ ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि अमानक दवाओं की आपूर्ति को रोकना सरकार और स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। महासंघ ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार इस दिशा में सख्त कदम उठाती है, तो यह न केवल मरीजों के हित में होगा, बल्कि सरकारी अस्पतालों में जनता का विश्वास भी बढ़ेगा। इस गंभीर विषय पर सरकार को शीघ्र निर्णय लेना चाहिए ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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अमानक दवाओं के खिलाफ चिकित्सक महासंघ के सुझाव

  1. जीरो टॉलरेंस नीति और कठोर दंड: अमानक दवाओं की सप्लाई करने वालों को मानव जाति का दुश्मन मानते हुए उनके खिलाफ आजीवन कारावास जैसी कठोर सजा का प्रावधान किया जाए।
  2. दोषी कंपनियों पर एफआईआर दर्ज हो: यदि किसी कंपनी की दवा NABL लैब में अमानक पाई जाती है, तो संबंधित कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए।
  3. भविष्य में टेंडर प्रक्रिया से प्रतिबंध: जिन कंपनियों की दवाएं अमानक पाई गई हैं, उन्हें भविष्य में किसी भी सरकारी टेंडर में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाए।
  4. संभागीय ड्रग वेयरहाउस की स्थापना: प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालयों पर ड्रग वेयरहाउस बनाए जाएं, जिससे आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
  5. दवा स्टोरेज की मानक व्यवस्था: सरकारी अस्पतालों के ड्रग स्टोर्स में दवाओं के भंडारण की उचित व्यवस्था की जाए ताकि उनकी गुणवत्ता प्रभावित न हो।
  6. एक्सपायरी के करीब की दवाओं की सप्लाई रोकी जाए: सरकारी अस्पतालों में केवल लंबी एक्सपायरी वाली दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
  7. एल-1 दर पर सप्लाई के नियम में सुधार: MPPHSCL द्वारा केवल एक L-1 कंपनी से दवा सप्लाई कराने की नीति में बदलाव किया जाए ताकि समय पर दवाओं की उपलब्धता बनी रहे।
  8. ड्रग इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम को ऑनलाइन किया जाए: सभी सरकारी अस्पतालों में दवाओं की मांग, भंडारण और सप्लाई की प्रक्रिया को पारदर्शी और ऑनलाइन किया जाए।
  9. अधिकारियों और कर्मचारियों का नियमित रोटेशन: मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में क्रय एवं स्टोर शाखा में कार्यरत अधिकारियों का नियमित रोटेशन सुनिश्चित किया जाए।

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जीरो टॉलरेंस नीति की आवश्यकता

प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने बताया कि महासंघ ने प्रदेश में अमानक दवाओं के खिलाफ सख्त कानून और नीतियों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। महासंघ ने कहा कि यदि यह नीति लागू की जाती है, तो इससे न केवल मरीजों को गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिलेंगी, बल्कि दोषी कंपनियों पर भी लगाम लग सकेगी। चिकित्सक महासंघ का मानना है कि सरकार की यह नीति अमानक दवा निर्माताओं को उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं सप्लाई करने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। 

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