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भोपाल के पुराने शहर में स्थित छोला दशहरा मैदान पर हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह फैसला एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में लिया गया है। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि छोला मैदान में किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण या अतिक्रमण न हो।
अवैध रूप से बनाई जा रही 14 से अधिक दुकानें
इस मामले में याचिकाकर्ताओं मनोज शुक्ला और मनोज ठाकुर की ओर से अधिवक्ता राजीव मिश्रा ने कोर्ट में रखा है। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि भोपाल प्रशासन के जरिए यह तर्क दिया जा रहा है कि छोला मंदिर के आसपास जो अस्थायी बाजार है, उसे व्यवस्थित रूप से इस मैदान में स्थानांतरित किया जा रहा है। लेकिन असलियत यह है कि बिना किसी टेंडर प्रक्रिया, अनुमति या सार्वजनिक सूचना के 14 से अधिक दुकानें इस ऐतिहासिक स्थल पर अवैध रूप से खड़ी की जा रही थीं। सबसे गंभीर बात यह है कि इन दुकानों के निर्माण के दौरान किसी पर्यावरणीय मानदंड का ध्यान नहीं रखा गया है। साथ ही स्थानीय लोगों की सहमति भी नहीं ली गई। इस तरह यह कार्रवाई सीधे-सीधे भोपाल की विरासत के साथ विश्वासघात है।
भोपाल म्युनिसिपल कमिश्नर से भी हुई थी शिकायत
बीते दिनों कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला ने प्रशासन को चेताया था। उन्हे बताया था कि छोला दशहरा मैदान, जो हिंदू समाज की आस्था और धार्मिक आयोजनों का केंद्र है, वहां गुपचुप तरीके से दुकानों का निर्माण हो रहा है। मनोज शुक्ला ने बताया था कि यह मैदान सालों से रामलीला, दशहरा, होली मिलन जैसे आयोजनों का प्रमुख केंद्र रहा है। साथ ही भोपाल की पहचान में रचा-बसा है। इसकी शिकायत भोपाल म्युनिसिपल कमिश्नर को भी दी गई थी। इसके बाद यह निर्माण कुछ दिनों के लिए तो रुकवा दिया गया था। लेकिन बीते मंगलवार से दोबारा निर्माण शुरू हो गया था। अब कोई कार्यवाई न होने के बाद जनहित याचिका के जरिए से इंसाफ की मांग की गई है।
कलेक्टर, कमिश्नर सहित शासन को नोटिस
इस जनहित याचिका की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका के आधार पर अब भोपाल प्रशासन की जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोर्ट ने भोपाल के कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर छोला मैदान में हो रहे अतिक्रमण पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने प्रतिवादियों को यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि इस मैदान में किसी भी तरह का अतिक्रमण या अवैध निर्माण न हो। कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई 21 जुलाई के बाद रखी है। इसमें भोपाल प्रशासन को इस मैदान में हुए अतिक्रमण पर जवाब देना होगा।
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याचिकार्ताओं को मिली धमकी
याचिकाकर्ता मनोज शुक्ला और मनोज ठाकुर की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस अवैध गतिविधि को उजागर करने के बाद उन्हें अतिक्रमणकारियों से धमकियां मिलने लगीं है। इस जानकारी पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर भोपाल को भी एक आदेशित किया है। इसमें कोर्ट ने कहा कि वे याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा की मांग पर तुरंत निर्णय लें और यदि आवश्यक हो तो उन्हें पुलिस की आर्म्ड सिक्योरिटी मुहैया कराई जाए।
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