MP News: मध्य प्रदेश के सागर जिले में उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (Consumer Disputes Redressal Commission) ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें टोल प्लाजा की ओर से की गई गलत वसूली पर उपभोक्ता को न्याय मिला है।
यह मामला एडवोकेट जितेंद्र सिंह राजपूत द्वारा दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने डबल टैक्स के रूप में 25 रुपए वसूली जाने और मानसिक पीड़ा का आरोप लगाया था। यह फैसला उपभोक्ता आयोग ने महज तीन महीने में सुनाया गया है। महज 25 रुपए के लिए लड़ी गई यह लड़ाई लाखों उपभोक्ताओं को जागरूक करती है कि वे अपने अधिकारों को लेकर सजग रहें।
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क्या था मामला
31 दिसंबर 2024 को एडवोकेट राजपूत जब दमोह जा रहे थे, तब उनका वाहन चनाटोरिया टोल प्लाजा (Chanatoria Toll Plaza) पर रुका। उनकी कार मफास्ट टैग (FASTag) सक्रिय था और पर्याप्त बैलेंस मौजूद था। इसके बावजूद, टोलकर्मी ने उन्हें बताया कि कैमरे काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए उन्हें 25 रुपए नकद देने होंगे। एडवोकेट ने आग्रह किया कि वे ऑनलाइन भुगतान करेंगे, लेकिन कर्मचारी नहीं माना और मजबूरी में नकद पैसे लिए गए। इसके एक मिनट बाद ही उनके फास्ट टैग खाते से भी 25 रुपए कट गए। जब उन्होंने पैसे वापस मांगे तो उन्हें शिकायत पुस्तिका तक नहीं दी गई।
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आयोग की सुनवाई और फैसला
एडवोकेट पवन नन्होरिया ने आयोग में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान टोल प्रबंधन ने स्वीकार किया कि सर्वर डाउन था और कर्मचारी ने अतिरिक्त राशि वसूली। लेकिन उन्होंने उसे फास्ट टैग या खाते में वापस नहीं किया। आयोग के अध्यक्ष श्री राजेशकुमार कोष्टा और सदस्या श्रीमती अनुभा वर्मा ने माना कि टोल प्रबंधन की मंशा पैसे लौटाने की नहीं थी। उन्होंने आदेश दिया कि उपभोक्ता को 25 रुपए मय ब्याज वापस किए जाएं, मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 5000 रुपए, अदालती खर्च के लिए 2000 रुपए। यानी कुल मिलाकर 7025 रुपये का भुगतान किया जाए।
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