विवाह में फेरे की जगह रील बनाने में बिता रहे समय, इसलिए हो रहे तलाक: संत-पुजारी

संतों ने विवाह संस्कार और सात फेरों के महत्व को समझाने की आवश्यकता पर जोर दिया, साथ ही दांपत्य जीवन में विकृतियों की शुरुआत होने की चिंता व्यक्त की। साथ ही, समाज सेवा और धार्मिक स्थल प्रबंधन की आवश्यकता पर चर्चा की।

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Sandeep Kumar
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भोपाल के हिंदी भवन में आयोजित कार्यक्रम में संतों को सम्मानित किया गया। इस दौरान हिंदुओं के संत समाज ने सनातन समाज के विवाह संस्कार को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा है कि आधुनिकता का प्रभाव समाज में गहरी छाप छोड़ता नजर आ रहा है। जहां एक ओर शादी के मंडप में फेरों और मंत्रोच्चार के समय जल्दबाजी की जा रही है, वहीं दूसरी ओर वरमाला के दौरान फोटोशूट, नृत्य, और संगीत पर घंटों खर्च किए जा रहे हैं। यह मुद्दा मध्य प्रदेश संत पुजारी संघ के स्थापना दिवस पर उठाया गया, जहां संतों और विद्वानों ने इस प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि ऐसे व्यवहार से दांपत्य जीवन में विकृतियां आ रही हैं, जिससे विवाह संस्कार का असल महत्व खो रहा है।

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सात फेरों और सात वचनों का महत्व

विवाह संस्कार का एक अहम हिस्सा सात फेरों और सात वचनों का पालन करना है, जिन्हें वर और वधु को गंभीरता से समझाना चाहिए। संतों का कहना है कि यदि शादी के इन महत्वपूर्ण पहलुओं को बिना समझे पार किया जाता है तो जीवन के मूल्यों को सही से नहीं अपनाया जा सकता। पं. एएस रामनाथन ने बताया कि विवाह संस्कार जल्दबाजी में नहीं होने चाहिए और इस दौरान संस्कारों का महत्व समझाना आवश्यक है।

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विवाह संस्कार की परंपरा और आवश्यकता

संत वैभव भटेले ने विवाह संस्कार के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार विवाह के साथ नहीं, बल्कि 12 वर्ष की आयु से पहले करना चाहिए। इसके अलावा, पं. राकेश चतुर्वेदी और पं. दिलीप शास्त्री ने गर्भाधान संस्कार के महत्व को रेखांकित किया और इसके लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता बताई। इस पर पं. नरेंद्र दीक्षित ने कहा कि संत पुजारी संघ इस दिशा में संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करेगा।

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समाज और देश सेवा की दिशा में पहल

संतों ने ब्राह्मण समाज की एकता को मजबूत करने के साथ-साथ सनातन संस्कृति की रक्षा के प्रयासों को तेज करने की अपील की। पं. राजौरिया ने एक संतान को समाज और देश सेवा के लिए समर्पित करने का आह्वान किया। इस दिशा में संतों और पुजारियों ने समाज में जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया।

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धार्मिक स्थल प्रबंधन और पुजारियों के अधिकार

संतों और पुजारियों ने कार्यक्रम में देव स्थान उत्थान बोर्ड और हिंदू धार्मिक स्थल प्रबंधन बोर्ड बनाने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने मंदिरों के पुजारियों के मानदेय में वृद्धि की मांग की और जिन पुजारियों को मानदेय नहीं मिल रहा है, उन्हें जल्द से जल्द दिए जाने की अपील की।

 

 

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