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Monalisa in kumbh
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में लोग न केवल स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। बल्कि, कई लोग अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए भी यहां पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में साधुओं के नाम हमेशा सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन इस बार यहां कुछ अलग ही हो रहा है। हर दिन कोई न कोई विडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहती है।
पहले आईआईटी के अभय सिंह, एंकरिंग छोड़कर शिष्या बनी हर्षा रिछारिया और अब मोनालिसा का नाम भी चर्चा में है। खबरों के मुताबिक, मोनालिसा 16 साल की है और वो इंदौर से यहां माला बेचने के लिए आई हैं। उसकी कई वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं, जिसमें उसकी सादगी और मासूमियत को देखकर लोग उसकी सराहना कर रहे हैं। आइए जानते हैं, मोनालिसा कौन हैं और क्यों वह महाकुंभ में चर्चा का विषय बनीं।
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कजरारी आंखों से चर्चा में
ऐसा माना जा रहा है कि मोनालिसा, जिनकी आंखें ब्राउन हैं, सोशल मीडिया पर ‘महाकुंभ की ब्राउन आंखों वाली लड़की’ के नाम से वायरल हो रही हैं। सोशल मीडिया पर लोग उसके वीडियो बना रहे हैं और उसके साथ सेल्फी लेने के लिए भागते हैं। उसे सोशल मीडिया पर दुनिया की खूबसूरत लड़कियों में से एक कहा जा रहा है।
साधारण माला बेचने वाली लड़की बनी इंटरनेट सेंसेशन
बता दें कि, मोनालिसा किसी आश्रम में नहीं रुकी हैं और ना ही किसी संत की शिष्या हैं। वो साधु-संतों को रंग-बिरंगी मालाएं बेचने के लिए महाकुंभ आई हैं। वो सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं, बल्कि काशी और गुजरात जैसी धार्मिक जगहों पर भी अपनी मालाएं बेचने जाती हैं। सोशल मीडिया पर लोग उसके वीडियो बनाकर उसे वायरल कर रहे हैं।
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बातों में झलकती है मासूमियत
जब लोगों ने मोनालिसा से पूछा कि वो महाकुंभ में क्यों आई हैं। तो मोनालिसा सादगी से बताती हैं कि, वो यहां साधु-संतों को मालाएं बेचने आई हैं। उनके पास कई रंग-बिरंगी मालाएं होती हैं। मोनालिसा का कहना है कि, वो देशभर में धार्मिक आयोजनों में जाती हैं और वहां भी मालाएं बेचती हैं।
इंदौर की मोनालिसा की जीवनशैली
खबरों की मुताबिक, किसी का कहना है कि मोनालिसा मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की रहने वाली हैं तो वहीं कोई उन्हें अशोक नगर का बता रहा है। वो अपनी बहन के साथ मिलकर मालाएं बेचती हैं। मोनालिसा कंजर समाज से आती हैं।
सोशल मीडिया पर उनकी वीडियो वायरल होने के बाद अब लोग उनसे मिलने और सेल्फी लेने के लिए कतार लगाते हैं। लोग उनकी खूबसूरती और काम को देखकर प्रभावित हो रहे हैं और उनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
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क्या है कंजर समाज
कंजर समाज भारत का एक पारंपरिक घुमंतू और जनजातीय समुदाय है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत, मध्य भारत और राजस्थान में पाया जाता है। ये समुदाय ऐतिहासिक रूप से घुमंतू जीवनशैली अपनाता था और पारंपरिक व्यवसायों में शामिल था।
कंजर समाज की विशेषताएं
इतिहास और उत्पत्ति:
कंजर समाज का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और ऐतिहासिक दस्तावेजों में मिलता है। ये समाज अपनी पारंपरिक और स्वतंत्र जीवनशैली के लिए जाना जाता था।
पारंपरिक व्यवसाय:
माना जाता है कि, पहले ये समुदाय बांस और लकड़ी से घरेलू उपयोग की वस्तुएं बनाने का काम करते थे। कुछ लोग लोक नृत्य, संगीत और मनोरंजन में भी व्यस्त रहते थे। समय के साथ, ये समुदाय विभिन्न व्यवसायों में जुड़ गया।
सामाजिक पहचान:
कंजर समाज को समाज में एक विशेष पहचान मिली हुई है। ऐतिहासिक रूप से, उन्हें "अपराधी जनजाति" के रूप में भी वर्गीकृत किया गया था, जो औपनिवेशिक काल की नीतियों के कारण हुआ। हालांकि, आज ये धारणा धीरे-धीरे बदल रही है।
भाषा और संस्कृति:
कंजर समाज के लोग अपनी अलग भाषा और परंपराएं रखते हैं। वे मुख्य रूप से हिंदी और स्थानीय बोलियों का उपयोग करते हैं। उनकी संस्कृति में त्योहार, नृत्य और पारंपरिक गीत प्रमुख हैं।
आधुनिक स्थिति:
आज के समय में कंजर समाज के लोग मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रयासरत हैं। सरकार द्वारा घुमंतू और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ ये समाज भी उठा रहा है।
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