BHOPAL. मध्य प्रदेश में रोजाना किसी न किसी कारण से किसान सुसाइड ( Farmers suicide ) कर रहे हैं । पिछले 6 साल में 1318 किसानों ने आत्महत्या ( Farmers suicide ) की है। इन किसानों की आत्महत्या का सरकारी रिकॉर्ड में बड़ा अजीब तर्क दिया गया है । सरकारी रिपोर्ट ( Government records ) के मुताबिक किसानों की मौत का कारण विक्षिप्त, नशेड़ी या कलह बताया गया है। वहीं किसानों की आत्महत्या पर किसानों के परिजनों का कहना है कि कर्ज और दोगुना ब्याज इनकी जान ले रहे हैं।
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खुदकुशी मामले में कर्ज का जिक्र ही नहीं
मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों में जितने भी किसानों ने खुदकुशी की, उनमें से एक भी मामले में कर्ज का जिक्र नहीं है। पुलिस जांच बिंदु में कर्ज से मौत का कॉलम ही नहीं है। गरीबी जांच के बिंदु में है, पर इससे एक भी मौत नहीं दिखाई गई। साल 2020 में 235 किसानों ने आत्महत्या की। इसमें 73 का कारण पारिवारिक कलह, 55 की वजह पागलपन, मानसिक बीमारी और तीसरा अहम कारण- नशे की लत बताया गया। एनसीआरबी के मुताबिक, 2017 से 2022 के बीच प्रदेश के 1318 किसानों ने आत्महत्या की।
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परिजनों का दावा
वहीं किसान आचड़िया (Kisan Achadia ) के परिजनों का दावा है कि मूंग, उड़द, सोयाबीन बर्बाद हुई तो तनाव में आकर आत्महत्या कर ली है। किसान आचड़िया की पत्नी कुबई बताती हैं कि 2018 में मूंग, उड़द और सोयाबीन की फसल सही से नहीं पकी। कर्ज के दबाव में थे ही तो पति ने यह कदम उठा लिया। सरकार का कोई भी नुमाइंदा मिलने तक नहीं आया। बेटे इंदर सिंह कीर ने बताया कि पिता दुलीचंद ने 12 जून 2017 को खुदकुशी की थी। उन पर किसान क्रेडिट, बैंक ऑफ इंडिया व साहूकारों का 8 लाख का कर्ज था।
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