मकान पर नंबर प्लेट लगाने के नाम पर उमरिया में ग्रामीणों से रुपए की वसूली

उमरिया जिले की पाली और करकेली जनपद की पंचायतों में बिहार से आए युवा घर-घर जाकर नंबर प्लेट लगा रहे हैं। इसके लिए उन्हें जनपद सीईओ द्वारा अधिकृत किया गया है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. जनपद पंचायत के एक आदेश के सहारे उमरिया जिले के आदिवासी अंचल के गांवों में वसूली का खेल जारी है। पाली और करकेली जनपद के गांवों में युवक ग्रामीणों से 50-50 रुपए लेकर घरों पर नंबर प्लेट लगा रहे हैं। मामूली टीन की पत्ती की इस प्लेट के बदले ग्रामीणों से चार से पांच गुना राशि की वसूली की शिकायतें जिला प्रशासन और जिला पंचायत सीईओ तक पहुंच गई हैं। जिसके बाद गांवों से नंबर प्लेट लगाने वाले युवक गायब हो गए हैं। 

हर एक घर से ले रहे 50 रुपए 

उमरिया आदिवासी आबादी बाहुल्य जिला है। बीते कुछ दिनों से जिले के गांवों में युवकों की टोली घर- घर पहुंचकर नंबर प्लेट लगाकर लोगों से रुपए ले रही है। नंबर प्लेट लगाने वाले युवक बिहार के निवासी हैं। उनके द्वारा नंबर  प्लेट लगाने के बदले में 50 रुपए लेने का दवाब भी बनाया जाता है। ग्रामीणों के सवाल उठाने पर ये युवक उन्हें जनपद पंचायत सीईओ द्वारा जारी किया गया एक पत्र दिखा देते हैं। नंबर प्लेट लगाने के बदले में गांव में रुपए न मिलने की स्थिति को टालने के लिए आदेश का सहारा लेने का भी अनुमान है।  

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आदेश में सरपंच-सचिवों को निर्देश

पाली जनपद की मलियागुड़ा पंचायत के रहवासियों का कहना है जो पत्र दिखाया जा रहा है वह सरपंच और सचिव के नाम पर जारी किया गया है। इसमें मकानों पर जन जागरुकता के संदेशों के साथ नंबर प्लेट लगाने के लिए बिहार के कैमूर जिले के अखिलेश प्रसाद को अधिकृत किया गया है। आदेश में सरकार की योजनाओं के प्रचार - प्रसार का उल्लेख भी किया गया है। 

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योजनाओं के प्रसार के नाम पर वसूली

ग्रामीणों ने योजनाओं के प्रचार और जागरुकता के नाम पर 5 रुपए की नंबर प्लेट के बदले 50 रुपए की वसूली की शिकायत की है।उनका कहना है स्वयं को अधिकृत बताकर बिहार के युवक गांव- गांव में घूम रहे हैं। सीईओ के पत्र में इस नंबर प्लेट लगाने के काम को पूरी तरह स्वैच्छिक बताया गया है। इसके बावजूद ग्रामीणों पर इसके लिए दबाव बनाया जा रहा है। इन नंबर प्लेटों पर मध्य प्रदेश सरकार की स्वच्छ गांव, स्वस्थ गांव, वृक्ष लगाएं- जल बचाएं, नशामुक्त भारत, बाल विवाह और सामाजिक अभियानों के प्रचार- प्रसार के लिए नारे या स्लोगन लिखे होना जरूरी है। 

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दूसरों के नाम पर दर्ज मोबाइल नंबर

जारी पत्र में ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सहयोगी की भूमिका में रखा गया है। जनपद कार्यालय के इस आदेश में बिहार के कैमूर जिले में रहने वाले अखिलेश प्रसाद को अधिकृत किया गया है। अखिलेश के नाम के साथ दर्ज मोबाइल फोन नंबर भी किसी और के नाम पर दर्ज हैं। मोबाइल नंबरों पर बात करने पर युवक ने अपना नाम उत्तम गुप्ता बताया। जब उससे नंबर प्लेट लगाने के संबंध में बात की तो उसने इंकार कर दिया। उत्तम का कहना था वह बिहार के रहने वाले हैं लेकिन न तो वे उमरिया आए हैं और ऐसा कोई काम किया है।   

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जांच के बाद निरस्त हो सकता है आदेश

उमरिया की पाली और करकेली जनपदों में 500 से ज्यादा गांवों में मकानों पर नंबर प्लेट लगाई जा रही हैं। अधिकारी के एक पत्र के सहारे ये लोग गांवों में लाड़ली बहना योजना के सर्वे या दूसरी योजनाओं के नाम का सहारा लेकर भ्रम फैला रहे हैं। जिला पंचायत सीईओ अभय सिंह ओहरिया का कहना है शिकायतों को देखते हुए जांच कराई जा रही है। इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। सरकारी योजनाओं के नाम पर वसूली के प्रमाण मिलने पर कार्रवाई करेंगे। यदि जनपद सीईओ के आदेश से भ्रम की स्थिति बन रही है तो उसे निरस्त किया जाएगा।   

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