झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा अब विदेशों में भी लोकप्रिय हो गया है। इसकी पहचान काले रंग के शरीर और मांस से है। यह मुर्गा स्वस्थ लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसकी कीमत 800 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गई है।
खंडवा जिले के किसानों ने इसे बड़े पैमाने पर पालन करना शुरू कर दिया है। सरकार और कृषि संस्थान किसानों को प्रशिक्षण और मदद दे रहे हैं। कड़कनाथ मुर्गा अब नेपाल भूटान और मलेशिया जैसे देशों में निर्यात हो रहा है। यह किसानों के लिए आय का नया स्रोत बन गया है।
कड़कनाथ मुर्गा की खासियत क्या है?
1. पूरी तरह से काला (Completely Black)
कड़कनाथ मुर्गा की सबसे बड़ी पहचान इसका गहरा काला रंग है। इसकी त्वचा, मांस और खून भी काले रंग के होते हैं, जो इसे अन्य मुर्गों से अलग बनाता है।
2. हाई प्रोटीन और लो कोलेस्ट्रॉल (High Protein and Low Cholesterol)
कड़कनाथ का मांस पोषण से भरपूर होता है। यह हाई प्रोटीन, लो फैट और लो कोलेस्ट्रॉल वाला होता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
3. सेहत के लिए वरदान (Health Benefits)
- हीमोग्लोबिन और आयरन से भरपूर
- इम्यून सिस्टम मजबूत करने वाले अमीनो एसिड और फैटी एसिड
- डायबिटीज और हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद
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कड़कनाथ मुर्गा की झाबुआ से खंडवा तक की यात्रा
कड़कनाथ मुर्गा मूलतः झाबुआ जिले की आदिवासी नस्ल है। जहां यह पहले केवल एक स्थानीय पहचान था, वहीं अब खंडवा जिले के किसान इसे बड़े स्तर पर पालन कर रहे हैं। खंडवा कृषि कॉलेज और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से कड़कनाथ पालन की ट्रेनिंग, टीकाकरण और मार्केटिंग की सुविधा दी जा रही है।
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विदेशों में कड़कनाथ मुर्गा की बढ़ती मांग
कड़कनाथ मुर्गा अब नेपाल, भूटान और मलेशिया जैसे देशों में भी लोकप्रिय हो चुका है। इसकी अनोखी गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभ की वजह से विदेशों में इसके निर्यात में तेजी आई है।
- किसानों के लिए मुनाफे का जरिया
- कड़कनाथ मुर्गा पालन किसानों के लिए फायदे का सौदा बन चुका है।
- 100 मुर्गों से 2-3 महीने में 1 से 1.5 लाख रुपए तक की कमाई संभव है।
- चूजे की कीमत 80-100 रुपए तक होती है।
- व्यस्क मुर्गा 800 से 1200 रुपए प्रति किलो तक बिकता है।
यह मुनाफा किसानों को पारंपरिक खेती छोड़कर कड़कनाथ पालन की ओर आकर्षित कर रहा है।
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सरकार और संस्थानों की योजनाएं
खंडवा एग्रीकल्चर कॉलेज और पोल्ट्री यूनिट किसानों को पालन, उपचार, फीडिंग और मार्केटिंग की ट्रेनिंग देते हैं। इसके साथ ही सरकार की सब्सिडी योजनाएं भी किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती हैं।
राकेश पाटीदार, खंडवा के किसान बताते हैं कि हमने शुरुआत 50 मुर्गों से की थी। अब हमारी आय 25-30 हजार रुपए प्रति महीने है। विदेशों से भी मांग बढ़ रही है।
कड़कनाथ मुर्गा | कड़कनाथ मुर्गा बिजनेस | कड़कनाथ की डिमांड
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