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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर के पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय में देश के पहले सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र का लोकार्पण किया। उन्होंने मध्यस्थता को न्याय और सामाजिक सद्भाव का सशक्त माध्यम बताया। यह लोकार्पण कार्यक्रम कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस संजीव सचदेवा और प्रशासनिक न्यायाधिपति जस्टिस विवेक रूसिया की गरिमामय उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त दीपक सिंह, पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह, कलेक्टर आशीष सिंह और मध्यस्थता से जुड़े विशेषज्ञ मौजूद रहे।
मध्यस्थता: आधुनिक समाधान, प्राचीन सोच की पुनर्परिभाषा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यस्थता न केवल विवादों का समाधान देती है, बल्कि समाज में विश्वास और सौहार्द्र का वातावरण बनाती है। यह हमारे देश की पारंपरिक पंचायत व्यवस्था का आधुनिक और संगठित स्वरूप है, जिसे आज के समय में गांवों तक ले जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समाज के ताने-बाने को मजबूत रखने के लिए रिश्तों की मरम्मत जरूरी है और मध्यस्थता इसका संवेदनशील जरिया बन सकती है।
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पुलिस और न्यायपालिका की संयुक्त पहल
इस सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र की स्थापना पुलिस कमिश्नरेट इंदौर और उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति इंदौर के संयुक्त प्रयासों से की गई है। पुलिस कमिश्नरेट परिसर, पलासिया में स्थापित यह केंद्र बीते 4 माह से ट्रायल आधार पर सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा था, जिसके सकारात्मक परिणामों को देखते हुए इसे औपचारिक रूप से लोकार्पित किया गया।
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मध्यस्थता के आंकड़े में इंदौर बना मिसाल
कार्यक्रम में जस्टिस विवेक रूसिया ने बताया कि इंदौर में 22 मध्यस्थता केंद्रों के जरिए 125 प्रशिक्षित मध्यस्थों ने 5000 से अधिक मामलों का समाधान किया है। ये मध्यस्थ 27 सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। इंदौर देश का इकलौता शहर है, जहां कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर कार्यालय दोनों में मध्यस्थता केंद्र स्थापित किए गए हैं। यह मॉडल अन्य शहरों के लिए अनुकरणीय बनता जा रहा है।
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रिश्तों को जोड़ने की प्रक्रिया
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि, “मध्यस्थता केवल कानूनी समाधान नहीं, बल्कि मानवीय संबंधों को पुनर्स्थापित करने का माध्यम है।” पश्चिमी देशों में इसे ‘मेडिएशन’ कहा जाता है, लेकिन भारत में इसकी जड़ें सदियों पुरानी पंचायत परंपरा में निहित हैं। अब इसे व्यवस्थित रूप देकर समाज में नये भरोसे की नींव रखी जा रही है। कार्यक्रम के अंत में पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
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CM बोले, बुजुर्गों को मिला सम्मान, सुरक्षा और सहारा
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में बुजुर्गों के लिए एक नई सामाजिक पहल ‘स्नेहधाम’ का लोकार्पण किया। करीब 18 करोड़ रुपये की लागत से बना यह सर्वसुविधायुक्त सीनियर सिटीजन कॉम्प्लेक्स प्रदेश में अपनी तरह की पहली अभिनव योजना है। कार्यक्रम में उन्होंने इसे सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि बुजुर्गों के सम्मान, सुरक्षा और सेवा का प्रतीक बताया।
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‘स्नेहधाम’ सिर्फ आवास नहीं, बल्कि आत्मसम्मान की संरचना
मुख्यमंत्री ने कहा, “बुजुर्गों की सेवा और सम्मान भारतीय संस्कृति की आत्मा है। समाज में तेजी से बदलते पारिवारिक ढांचे के बीच वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह प्रकल्प एक वरदान साबित होगा।” उन्होंने बताया कि “स्नेहधाम” जैसी योजनाएं बुजुर्गों को न सिर्फ छत देंगी, बल्कि एक ऐसा वातावरण भी प्रदान करेंगी जिसमें वे सम्मानपूर्वक, सुरक्षित और आत्मनिर्भर जीवन जी सकें।
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