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INDORE. शहर में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बड़ा खेल सामने आया है। इंदौर के 34 निजी अस्पतालों को फर्जी या अधूरे डॉक्यूमेंटस के आधार पर रजिस्ट्रेशन और मान्यता दी गई है। जांच में पता चला कि कई अस्पताल बिना फायर सेफ्टी और भवन अनुमति के चल रहे हैं। ये अस्पताल फर्जी लेटर पैड और सील-साइन के सहारे सालों से काम कर रहे हैं।
वहीं इसकी पूरी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को है। हैरानी की बात यह है कि इनमें कई अस्पतालों ने जरूरी दस्तावेज फर्जी बनवाए या फिर बनवाए ही नहीं है। इनमें भवन अनुमति प्रमाणपत्र, फायर सेफ्टी NOC, रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण जैसे अनिवार्य दस्तावेज शामिल है। बावजूद इसके मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) दफ्तर ने इन्हें मान्यता दे दी। जबकि भारी अनियमितताएं डॉक्यूमेंटस में साफ-साफ दिखाई दे रही हैं। इस पूरे मामले में सीएमएचओ कार्यालय की भारी लापरवाही सामने आ रही है।
इस मामले में thesootr ने सीएमएचओ डॉक्टर माधव हसानी से बात की। इसके जवाब में उन्होंने कहा, पूरा मामला न्यायालय में है, इसलिए मैं इसको लेकर कुछ नहीं बोल सकता।
ऐसे खुली फर्जी हॉस्पिटल की पोल!
इंदौर में फर्जी डॉक्यूमेंटस के सहारे चल रहे अस्पतालों की पोल एक साधारण RTI आवेदन ने खोल दी है। याचिकाकर्ता चर्चित शास्त्री ने साल 2024 में CMHO इंदौर से शहर के सभी अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन दस्तावेज मांगे थे। वहीं, जो जवाब मिला, उसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।
चर्चित शास्त्री ने सबसे पहले RTI के जरिए इंदौर के सभी अस्पतालों के दस्तावेज मांगे। उन्होंने भवन अनुमति प्रमाण पत्र, फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज मांगे थे। CMHO कार्यालय ने इन दस्तावेजों को उपलब्ध करा दिया।
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पहली परत - फर्जी Building Permission का खेल
कई अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन में नगर निगम इंदौर के जरिए जारी भवन अनुमति प्रमाणपत्र संलग्न थे। वहीं, याचिकाकर्ता ने जब उन्हीं कॉलोनियों की प्रमाणिकता जांचने के लिए नगर निगम में RTI लगाई, तो सामने आया बड़ा खुलासा हुआ।
नगर निगम से मिले जवाब में सामने आया कि जिन कॉलोनियों में अस्पताल चल रहे हैं, वे अवैध कॉलोनी हैं। वहीं अवैध कॉलोनियों में नगर निगम कभी भवन अनुमति जारी नहीं करता है। इसका मतलब अस्पतालों ने नगर निगम के फर्जी लेटर पैड और कूटरचित सील-साइन से नकली Building Permission बनाई थी।
इंदौर फर्जी अस्पताल की खबर पर एक नजर...
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पहली परत - फर्जी Building Permission का खेल
कई अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन में नगर निगम इंदौर के जरिए जारी भवन अनुमति प्रमाणपत्र संलग्न थे। वहीं, याचिकाकर्ता ने जब उन्हीं कॉलोनियों की प्रमाणिकता जांचने के लिए नगर निगम में RTI लगाई, तो सामने आया बड़ा खुलासा हुआ।
नगर निगम से मिले जवाब में सामने आया कि जिन कॉलोनियों में अस्पताल चल रहे हैं, वे अवैध कॉलोनी हैं। वहीं अवैध कॉलोनियों में नगर निगम कभी भवन अनुमति जारी नहीं करता है। इसका मतलब अस्पतालों ने नगर निगम के फर्जी लेटर पैड और कूटरचित सील-साइन से नकली Building Permission बनाई थी।
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दूसरी परत - फर्जी या पुरानी Fire NOC की पोल
याचिकाकर्ता ने फायर NOC की सत्यता जांचने के लिए फर्मों से संपर्क किया। इस दौरान पता चला कि कई फायर NOC फर्जी थीं। कुछ अस्पतालों ने पुरानी, सालों पुरानी NOC लगाई थी। आधे से ज्यादा अस्पतालों ने NOC का नवीनीकरण भी नहीं करवाया था। इसका मतलब है कि ये अस्पताल बिना आग सुरक्षा के चल रहे थे। किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता था।
फर्जी दस्तावेजों पर मान्यता कैसे मिली?
दोनों RTI के जवाब मिलाकर तस्वीर साफ हो गई। कुछ अस्पतालों ने फर्जी बिल्डिंग परमिशन लगाई। कुछ अस्पतालों ने फर्जी फायर NOC लगाई, जबकि कुछ ने दस्तावेज ही नहीं बनाए। कुछ अस्पतालों ने पुराने कागज जोड़कर रजिस्ट्रेशन कराया था। CMHO दफ्तर ने बिना जांच के इन सभी को रजिस्ट्रेशन दे दिया। यह पूरा काम भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत अपराध है।
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तीसरी परत - शिकायतें कीं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
दस्तावेजों का खुलासा होने के बाद CMHO, इंदौर और नगर निगम में शिकायत की गई थी। शिकायतें मुख्य चिकित्सा अधिकारी, आयुक्त, भवन अधिकारी, पुलिस आयुक्त, और जिला कलेक्टर तक पहुंचाई गई थी। आठ महीने तक किसी भी जगह कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बजाय, शिकायतों को दबा दिया गया। यह चुप्पी यह दिखाती है कि या तो मामले को अनदेखा किया गया, या फिर किसी बड़े संरक्षण का संकेत है।
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कैसे खुली यह भारी गड़बड़ी? - RTI का बड़ा योगदान
यह पूरा घोटाला केवल एक RTI की वजह से सामने आया है। एक RTI ने अस्पतालों के दस्तावेज दिखाए, जबकि दूसरी ने उनकी सच्चाई खोली। CMHO के जरिए दिए गए दस्तावेज और नगर निगम व फायर फर्मों के असली जवाब में फर्क था। इसने यह साफ कर दिया कि इंदौर में कई अस्पताल फर्जी दस्तावेजों से चल रहे थे। इसके बावजूद प्रशासन आंखें बंद किए बैठा था।
ये फर्जीवाड़ा सिर्फ नियम उल्लंघन नहीं, कानूनन अपराध
यह पूरा मामला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के साथ कानूनन अपराध भी है। भारतीय न्याय संहिता (BNS) धारा 318(4), धारा 338, धारा 336(3), धारा 340(2) इन धाराओं के तहत अपराध बनता है।
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ये हैं वो हॉस्पिटल जहां फर्जी रजिस्ट्रेशन रैकेट का खेल
- अविरल हॉस्पिटल (3-A शांतिनाथपुरी, वार्ड 82)
नगर निगम के फर्जी लेटर पैड पर भवन अनुमति प्रमाणपत्र बनाया गया।
अस्पताल का वर्तमान रजिस्ट्रेशन स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में मौजूद नहीं।
- सबसे बड़ा खुलासा यह है कि अविरल हॉस्पिटल ने नगर निगम के फर्जी लेटर पैड पर भवन अनुमति तैयार की थी। यह कूटरचना भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत गंभीर अपराध है। इसके बावजूद जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन खामोश है। विभागों की यह खामोशी कई सवाल खड़े करती है।
तुलसी वरदान हॉस्पिटल (ओमकार मार्ग, गांधी नगर)
भवन अनुमति प्रमाणपत्र नहीं
फायर सेफ्टी NOC नहीं
रॉयल केयर हॉस्पिटल (हाजी कॉलोनी, खजराना)
फर्जी फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र
ब्रीथ केयर हॉस्पिटल (शुभम पैलेस, छोटा बांगड़दा)
फर्जी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट
भवन अनुमति प्रमाणपत्र नहीं
गीतांजलि हॉस्पिटल (रामचंद्र नगर चौराहा)
फायर NOC नहीं
भवन अनुमति आवासीय उपयोग के लिए, लेकिन यहां अस्पताल चल रहा है
अलहयात हॉस्पिटल (ग्राम खजराना)
कूटरचित / फर्जी फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र
फील हॉस्पिटल (नूरानी नगर)
भवन अनुमति नहीं
फायर NOC नहीं
मेट्रो हॉस्पिटल (अंतिम चौराहा)
फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं
श्रीपद हॉस्पिटल (स्वास्तिक नगर)
भवन अनुमति नहीं
फायर NOC नहीं
सिटी नर्सिंग होम (जवाहर मार्ग)
वर्तमान वर्ष का फायर NOC नहीं
आयुष्मान हॉस्पिटल (नगीन नगर)
भवन अनुमति नहीं
फायर NOC नहीं
अमोल हॉस्पिटल (यशवंत निवास रोड)
वर्तमान भवन अनुमति उपलब्ध नहीं
ऐश्वर्य हॉस्पिटल (ग्रेटर ब्रजेश्वरी)
फायर NOC नहीं
प्रशांति हॉस्पिटल (सिमरोल रोड, महू)
वर्तमान वर्ष की फायर NOC नहीं
स्टार हेल्थ हॉस्पिटल (खजराना मेन रोड)
फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र नहीं
पल्स हॉस्पिटल (माणिक बाग रोड)
मौजूदा भवन अनुमति उपलब्ध नहीं
मस्क हॉस्पिटल (स्कीम 140, पिपलियाहाना)
फायर NOC नहीं
श्री जी हॉस्पिटल (यशवंत निवास रोड)
वर्तमान वर्ष का फायर सर्टिफिकेट नहीं
नक्षत्र हॉस्पिटल (स्कीम 94, रिंग रोड)
फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र नहीं
जेनिथ हॉस्पिटल (कनाडिया रोड)
वर्तमान वर्ष का फायर NOC उपलब्ध नहीं
शिफा हॉस्पिटल (झाला कॉलोनी, खजराना रोड)
फायर NOC नहीं
श्रीहरी हॉस्पिटल (अम्बिकापुरी, एयरपोर्ट रोड)
भवन अनुमति नहीं
नाहर केयर हॉस्पिटल (अमीना मार्केट, खजराना)
वर्तमान वर्ष का फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र नहीं
चौधरी हॉस्पिटल (धार रोड, बेटमा)
भवन अनुमति नहीं
फायर NOC नहीं
सुन्दरम हॉस्पिटल (उषा नगर)
फायर NOC नहीं
मुल्तानी हॉस्पिटल (कमल नगर, राऊ)
भवन अनुमति नहीं
फायर NOC नहीं
सिटीजन हॉस्पिटल (कान्यकुब्ज नगर)
फायर NOC नहीं
द्वारकाधीश हॉस्पिटल (ग्राम कछालिया, सांवेर रोड)
भवन अनुमति नहीं
फायर NOC नहीं
H.J. मेमोरियल हॉस्पिटल (गुलजार कॉलोनी)
फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र नहीं
आनंद हॉस्पिटल (सिंधी कॉलोनी)
फायर NOC नहीं
निर्मला हॉस्पिटल (बरौली, सांवेर)
फायर NOC नहीं
हाईकोर्ट में चल रहा मामला
जब विभाग ने शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं की, तो चर्चित शास्त्री ने जनहित याचिका दायर की। यह मामला इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच में चल रहा है। बेंच में विजय कुमार शुक्ला और जस्टिस आलोक अवस्थी सुनवाई कर रहे हैं।
कोर्ट ने 34 अस्पतालों की विस्तृत जांच रिपोर्ट छह सप्ताह में पेश करने का आदेश दिया है। मामले में शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी पैरवी कर रहे हैं।
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