तीन फर्जी अस्पतालों की शिकायत पहुंची हाईकोर्ट, सामने आए 36 अस्पतालों के फर्जीवाड़े

इंदौर में तीन अस्पतालों की शिकायत से शुरू हुआ मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। जांच में 36 से अधिक अस्पतालों में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। कोर्ट ने पुलिस को जांच रिपोर्ट एक माह में पेश करने के निर्देश दिए हैं।

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Amresh Kushwaha
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INDORE. शहर के निजी अस्पतालों के संबंध में बड़ा खुलासा सामने आया है। जब संबंधित विभागों में तीन अस्पतालों में चल रहे फर्जीवाड़े की शिकायत की गई, तो जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। साथ ही, मामले को दबाने की कोशिश की गई।

शिकायतकर्ता ने हार नहीं मानी और हाईकोर्ट में तीन अस्पतालों के विरुद्ध याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट में मामले की पड़ताल के दौरान पता चला कि शहर के 36 और अस्पतालों में भी फर्जीवाड़ा हुआ है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह सभी अस्पतालों के कागजात सौंपें। साथ ही जिन तीन अस्पतालों के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, उनके खिलाफ संबंधित पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

याचिकाकर्ता अधिवक्ता चर्चित शास्त्री ने बताया कि हाईकोर्ट ने फर्जी अस्पतालों के खिलाफ संबंधित पुलिस स्टेशन को शिकायत करने का आदेश दिया है। यह आदेश उनके जरिए पेश किए गए याचिकाएं संख्या 33782, 33802 और 33771 में फर्जी अस्पताल - तुलसी वरदान (गांधीनगर), शेख हबीब (कोहिनूर कॉलोनी) व अविरल हॉस्पिटल (शांतिनाथपुरी/हवा बंगला) के लिए दिया है।

फर्जी भवन अनुमति पत्र से बना रजिस्ट्रेशन

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि स्वास्थ्य विभाग में इन अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित दस्तावेजों के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन दिया गया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने दस्तावेज उपलब्ध कराए थे।

इस दस्तावेज से स्पष्ट हुआ कि अस्पताल संचालकों ने कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रेशन प्राप्त किया था। नगर पालिका निगम का फर्जी भवन अनुमति प्रमाणपत्र तैयार कर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन लिया गया। अस्पताल संचालकों ने भवन अधिकारी एवं निगम अधिकारियों के कथित फर्जी हस्ताक्षरों वाला भवन अनुमति प्रमाणपत्र नगर निगम के लेटरपैड पर तैयार किया था।

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सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा

याचिकाकर्ता ने नगर निगम से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत कुछ दस्तावेजों की पुष्टि के लिए आवेदन दिया था। जब जवाब आया तो नगर निगम ने साफ कहा कि ये दस्तावेज उनके द्वारा जारी ही नहीं किए गए थे।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने कई विभागों में शिकायतें कीं, लेकिन जब कहीं से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो आखिरकार उन्होंने इंदौर हाईकोर्ट का रुख किया।

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रुपए लेकर तैयार किए जाते थे दस्तावेज

अधिवक्ता चर्चित शास्त्री ने हाईकोर्ट में बताया कि स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ कुछ अधिकारियों के जरिए पैसे लेकर अस्पताल संचालकों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते थे।

इंदौर हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि याचिकाकर्ता संबंधित पुलिस थानों में शिकायत दर्ज करा सकता है। यदि शिकायत दर्ज कराई जाती है तो संबंधित पुलिस थाने के जरिए कानूनी कार्यवाई की जाएगी।

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अन्य अस्पतालों की जांच रिपोर्ट एक माह में मांगी गई

आरटीआई के जरिए मिले दस्तावेजों को कोर्ट ने गंभीरता से लिया। हाईकोर्ट की डबल बेंच- जज विवेक रूसिया और जज आलोक अवस्थी ने न केवल तीन अस्पतालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए, बल्कि इंदौर के अन्य दर्जनों अस्पतालों की भी जांच रिपोर्ट एक माह में पेश करने का आदेश दिया है।

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अवैध कॉलोनियों में निर्माण

अधिवक्ता चर्चित शास्त्री ने याचिका में बताया कि इंदौर में 40 से अधिक ऐसे अस्पताल संचालित हो रहे हैं, जो फर्जी दस्तावेजों और बिना वैध अनुमति के चल रहे हैं। कई अस्पतालों ने अवैध कॉलोनियों में निर्माण किया है। साथ ही, मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

सूची: जिन अस्पतालों में फर्जीवाड़ा चलने का आरोप है

(कोर्ट के आदेश/याचिका में जिन नामों का उल्लेख है)

  • लेडी हलीमा अस्पताल

  • तुलसी वरदान अस्पताल

  • अविरल हॉस्पिटल

  • शेख हबीब अस्पताल

  • गीतांजलि अस्पताल

  • ब्रीथ केयर हॉस्पिटल

  • रॉयल केयर अस्पताल

  • अल हयात अस्पताल

  • सिटी नर्सिंग होम

  • अंकुर अस्पताल

  • मेट्रो अस्पताल

  • प्रशांति हॉस्पिटल

  • स्टार हेल्थ अस्पताल

  • फील अस्पताल

  • पल्स हॉस्पिटल

  • श्रीपद अस्पताल

  • निरमा अस्पताल

  • मातृव अस्पताल

  • मास्क अस्पताल

  • श्री जी अस्पताल

  • समर मैटरनिटी

  • नक्षत्र हॉस्पिटल

  • जेनिथ हॉस्पिटल

  • एंजेल हॉस्पिटल

  • श्री बालाजी हॉस्पिटल

  • शिफा हॉस्पिटल

  • मयूर अस्पताल

  • श्री हरि अस्पताल

  • नाहर केयर अस्पताल

  • ऐश्वर्य अस्पताल

  • चौधरी अस्पताल

  • लोटस अस्पताल

  • सहज अस्पताल

  • श्रीकृष्णा अस्पताल

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