इंदौर में 500 करोड़ लैंटर्न प्रोजेक्ट में बिल्डर शरद डोसी और नेताओं को बड़ा झटका

इंदौर में 500 करोड़ के लैंटर्न प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। प्रोजेक्ट में शरद डोसी, विकास चौधरी, अरविंद मंडलोई और कुछ नेताओं की भागीदारी थी।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर में 500 करोड़ से ज्यादा कीमत का लैंटर्न होटल प्रोजेक्ट फंस गया है। इस प्रोजेक्ट में बिल्डर शरद डोसी, विकास चौधरी और अरविंद मंडलोई को बड़ा झटका लगा है।

इस प्रोजेक्ट में पर्दे के पीछे कुछ नेताओं की भी भागीदारी रही है। खासकर इंदौर के दो बड़े कांग्रेसी नेताओं की। इनमें से एक अब बीजेपी में आ गए हैं। उन्हें भी इस मामले से तगड़ा झटका लग गया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से झटका

इंदौर में प्राइम लोकेशन रेसकोर्स रोड पर स्थित लैंटर्न होटल की जमीन पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स आ रहा था। यहां की जमीन को लेकर विवाद उठा और नगर निगम ने अपना स्वामित्व बताया था।

हाईकोर्ट में जुलाई 2023 में डोसी, चौधरी, मंडलोई की कंपनी एमएसडी रियल एस्टेट के पक्ष में फैसला आया था। इसमें निगम के मालिकाना दावे को खारिज किया गया था।

इसके खिलाफ नगर निगम ने आपत्ति ली और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें अब सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है।

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पहले स्वामित्व तय होगा, तभी निर्माण- SC

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि जमीन का स्वामित्व सिविल सूट से ही तय हो सकता है।

ऐसे में इसे तय करने के लिए जिला कोर्ट में वाद लगाया जाए। वहां से फैसला होगा। ऐसे में तब तक किसी भी तरह के निर्माण व अन्य काम की मंजूरी नहीं दी जा सकती है।

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यह है पूरा विवाद

पलासियाहाना रेसकोर्स रोड पर एक लाख हजार वर्गफीट करीब की इस जमीन का यह विवाद है। नगर निगम का दावा था कि मिसल बंदोबस्त 1925-26 में यह जमीन नगर निगम की थी।

साल 1946 में यह जमीन होलकर महाराजा ने अपने वित्तमंत्री कैप्टन एचसी ढांढा को गिफ्ट की थी। इसी आधार पर 1952 में यहां लैंटर्न होटल व अन्य निर्माण की मंजूरी भी हुई।

कैप्टन ने मौत से पहले होटल पारिवारिक ट्रस्ट को दिया था। इसमें था कि जमीन ट्रस्ट नहीं बेच सकता है। होटल की कमाई परिवार के भरण-पोषण के लिए होगी।

वहीं, होटल बंद होने पर जमीन एमएसडी रियल एस्टेट कंपनी को बेच दी गई थी। कंपनी ने यहां पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स नक्शे की मंजूरी का आवेदन कर दिया था। बाद में इसमें निगम ने आपत्ति ली और कहा कि यह जमीन उनकी है।

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