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इंदौर पुलिस की तरह ही जिला प्रशासन ने भी हाईप्रोफाइल मामलों में बड़ों को बचाने का काम शुरू कर दिया है। इंदौर के सबसे चर्चित भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा को लेकर साल भर से शिकायतों का दौर चल रहा है। लेकिन 100 से ज्यादा अवैध कॉलोनी का केस दर्ज करने वाले कलेक्टोरेट के अधिकारियों ने ना अवैध कॉलोनी का केस बनाया और ना ही वहां हो रही अवैध प्लॉटिंग, बिक्री को रोका। हद तो यह हो गई कि तहसीलदार साहब ने चंपू के लिए सीएम हेल्पलाइन ही झूठ बोलकर बंद कर दी।
यह है मामला
फिनिक्स टाउनशिप कैलोद हाला, जिसका विवाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हाईकोर्ट में चल रहा है और प्लॉटधारक 20 साल से भटक रहे हैं, वहां का है। इसमें आरोपी में चंपू अजमेरा प्रमुख है। यहां एक सर्वे नंबर 292 भी है, जिसे किसान ने चंपू को बेचा ही नहीं। लेकिन बाद में चंपू के करीबी सावन जैन और हेमेन्द्र राणावत के नाम से लिगेसी इंफ्रा नाम से कंपनी बनती है, इसका पता फ्लैट नंबर 401, आई ब्लॉक एड्रेस टाउनशिप है जो चंपू के अन्य कंपनियों में भी नजर आता है।
लिगेसी इन्फ्रा किसान से डील कर इस सर्वे नंबर की जमीन ले लेता है, फिर इसके बाद प्लॉट काटकर यहां पर धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। जबकि इस सर्वे नंबर की अलग से ना टीएंडसीपी है, ना विकास मंजूरी है, इसे फिनिक्स के अंदर ही कृपा विहार कॉलोनी बताकर अलग से बेचा जा रहा है। यदि यह फिनिक्स का हिस्सा है तो फिर इसे लिक्वीडेशन में होना चाहिए क्योंकि पूरी कॉलोनी लिक्वीडेटर के पास है। यदि ऐसा नहीं तो फिर यह अवैध प्लॉटिंग और बिक्री है जिस पर केस होना चाहिए। दोनों में ही प्रशासन चुप है। सवाल है कि फिर कॉलोनी सेल और अवैध कॉलोनी के मामले में अधिकारी हाईप्रोफाइल मामले में चुप क्यों हैं।
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अब तहसीलदार की जादूगरी देखिए
दो आवेदक रामकृष्ण और अंकित परमार ने इसी 292 सर्वे नंबर के पास दूसरे सर्वे नंबर में विधिक प्लॉट 1059 नीलू राठौर से खरीदा था। जब इन्होंने यहां निर्माण शुरू करने की कोशिश की तो गनमैन ने आकर जो चंपू अजमेरा का आदमी था, ने निर्माण से रुकवा दिया। इसकी शिकायत इन्होंने तहसीलदार कमलेश कुशवाहा के पास की ही थी कि दो घंटे में ही उन्होंने तत्काल चंपू को अपने दफ्तर में बुलाकर आवभगत की, इस पर भी द सूत्र ने सवाल किया तो बोले शिकायत आई थी इसलिए पक्ष सुनने के लिए बुला लिया। लेकिन इसके बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिला तो दोनों ने सीएम हेल्पलाइन में अवैध कब्जे की शिकायत कर दी।
इस पर अब तहसीलदार कुशवाह के ऑफिस से अंकित को फोन गया और सीएम हेल्पलाइन को लेकर कहा कि इसे बंद कर दें, फिर झूठा बोला कि आप यह कर दो आपकी शिकायत का निराकरण अभी हो रहा है, हम कब्जा हटवा देंगे। उनसे ओटीपी ले लिया और शिकायत बंद कर दी। झूठ बोलकर शिकायत बंद कर दी। वहीं रामकृष्ण उनके झूठ में नहीं फंसा, वह शिकायत सीएम हेल्पलाइन में जारी है। चंपू के फेवर में खुलकर काम करते हुए तहसीलदार ने शिकायत का निराकरण कर दिया और मौके पर कोई जांच नहीं कराई।
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इसके पहले पटवारी को हटवाया
चंपू की मिलीभगत इतनी अधिक है कि इसके पहले के पटवारी को उनके हिसाब के काम नहीं करने देने के चलते उसे हटवा दिया गया। इसके बाद पटवारी आए सुमेर सिंह मीणा, जो खुलकर चंपू के लिए काम कर रहे हैं और प्रतिवेदन बनाकर उनके खिलाफ आई शिकायतों को बंद करा रहे हैं।
अब आते हैं पंजीयन विभाग पर, यहां तो गजब खेल
अब बात करते हैं पंजीयन विभाग की। जिनका काम है क्रिएशन ऑफ ऑनरशिप देखना, यानि यदि कोई संपत्ति बेच रहा है तो उसे उसके राइट है या नहीं यह देखना उप पंजीयक और पंजीयक का काम होता है। वह अभी रजिस्ट्री रोकने के अधिकार नहीं होने का बोलकर पल्ला झाड़ते हैं लेकिन जहां करना होती है, मिलीभगत होती है वहां कर भी देते हैं। इस मामले में पंजीयन कार्यालय तीन की उपपंजीयक ज्योति रावत ने क्रिएशन ऑफ ऑनरशिप देखा ही नहीं और यहां लिगेसी इन्फ्रा द्वारा लाए गए दस्तावेज को धड़ल्ले से रजिस्ट्री करती चली गई।
थाने में पीड़ितों के आवेदन में कई बातें साफ
लसूडिया पुलिस के पास इस मामले में प्लॉट के पीड़ितों ने शिकायत दी है। इसमें साफ कहा गया है कि रितेश अजमेरा के गनमैन ने उन्हें पहले फरवरी में धमकाया था। इसके बाद हमने तहसीलदार को सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की थी। उन्होंने हमें कब्जा सौंपा जाना बता दिया। इस जमीन पर कब्जे के लिए फिर हम रविवार को गए तो वहां पर गनमैन आ गया और कहा कि भाग जाओ नहीं तो गोली मार दूंगा। मेरे बॉस रितेश अजमेरा ने कहा है कि कोई भी आए तो गोली मार देना। तहसीलदार को भी हमने फोन किया लेकिन उन्होंने बात सुनने के बाद भी फोन काट दिया। जबकि उन्होंने सीएम हेल्पलाइन पर हमें कब्जा मिलना बताया है।
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