इंदौर HC ने जैन को हिंदू मैरिज एक्ट से अलग मानने के फैमिली कोर्ट के आदेश को किया खारिज

हाईकोर्ट में डबल बेंच द्वारा जारी आदेश में इस आदेश को लेकर तीखी टिप्पणी भी की गई है। बेंच ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख को हिंदू मैरिज एक्ट में सभी पक्षों से बात करते हुए रखा था।

author-image
Vishwanath Singh
एडिट
New Update
The Sootr

The Sootr

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

इंदौर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट एडिशनल प्रिंसीपल जज के जैन समाज को लेकर आए विवादित आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही इस आदेश को लेकर गहरी नाराजगी जताई है और इस आदेश को औचित्यहीन करार दिया है। हाईकोर्ट ने इस आदेश को पूरी तरह से गलत करार दिया।

हाईकोर्ट ने की तीखी टिप्पणी

हाईकोर्ट में जस्टिस एसए धर्माधिकारी व जस्टिस संजीव कलगांवकर की डबल बेंच द्वारा जारी आदेश में इस आदेश को लेकर तीखी टिप्पणी भी की गई है। बेंच ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख को हिंदू मैरिज एक्ट में सभी पक्षों से बात करते हुए रखा था। ऐसे में एडिशनल प्रिंसीपल जज फैमिली कोर्ट को इसे अपने विचारों से अलग करने की जरूरत नहीं थी। वह इस केस को चाहे तो हाईकोर्ट को रेफर कर सकते थे। 

यह खबर भी पढ़ें...इंदौर लोकसभा चुनाव में अक्षय बम के बीजेपी में जाने पर ऑन रिकॉर्ड सबसे बड़ा खुलासा

The Sootr
The Sootr

OMG! इंदौर के होटल अमर विलास में चिली पनीर में चिकन मिलाकर परोसा

 

यह हुआ था मामला

आवेदक नितेश सेठी और शिखा सेठी ने जुलाई 2017 में शादी की थी। बाद में वे अलग रहने लगे और उन्होंने हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक का आवेदन फैमिली कोर्ट में लगाया। इस दौरान एडिशनल प्रिंसीपल जज ने 8 फरवरी 2025 को आदेश देते हुए आवेदन खारिज कर दिया। इसमें कहा गया कि केंद्र के माइनॉरिटी विभाग के 7 नवंबर 2014 के नोटिफिकेशन के तहत जैन समाज अल्पसंख्यक में आता है। ऐसे में हिंदू मैरिज एक्ट उन पर लागू नहीं हो सकता है।

यह खबर भी पढ़ें...इंदौर HDFC बैंक स्टाफ ने कस्टमर के खाते से राशि चुराकर भर दिया दूसरे के क्रेडिट कार्ड का बैलेंस

The Sootr
The Sootr

यह खबर भी पढ़ें...इंदौर की दवा कंपनियां मॉडर्न, नंदिनी सहित जेनेथ, सिंडिकेट के सैंपल लगातार फेल

 

एक अन्य मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा

इसी तरह का एक अन्य मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा है। उसमें भी फैमिली कोर्ट ने जैन समाज के तलाक के मामलों में सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। उनका तर्क था कि जैन समाज को माइनॉरिटी का दर्जा मिल गया है तो उनके तलाक के केस को भी स्पेशल कोर्ट में ही सुना जाए। इसी को जैन समाज की महिला के एडवोकेट रोहित मंगल की तरफ से हाईकोर्ट में चैलेंज करते हुए पिटीशन दायर की थी।

इंदौर हाईकोर्ट हाईकोर्ट जैन समाज इंदौर हिंदू केस एमपी हाईकोर्ट एमपी न्यूज एमपी न्यूज हिंदी