इंदौर में छांव के नाम से ट्रैफिक सिग्नल पर लगे विज्ञापन स्ट्रक्चर आंधी में गिरे, वाहन चालक बचे

सबसे पहले 'द सूत्र' ने यह मुद्दा दमदारी से उठाया था। इसमें मुख्य बात इनके स्ट्रक्चर मजबूत नहीं होने की थी और दूसरे इन पर मुफ्त की हो रही विज्ञापनबाजी की। छांव के नाम पर बिना जांच, लोड टेस्ट के ही यह स्ट्रक्चर खड़े कर दिए गए थे।

author-image
Sanjay Gupta
New Update
Indore advertising structure
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

MP NEWS: मध्य प्रदेश के इंदौर में वाहन चालको को छांव देने के नाम पर ट्रैफिक सिग्नल पर लगाए गए भारी-भरकम विज्ञापन स्ट्रक्चर में वही हुआ जो 'द सूत्र' ने चेताया था। यह स्ट्रक्चर बुधवार को चली आंधी में ताश के पत्तों की तरह बिखर गए और चौराहों पर खतरनाक तरीके से लटक गए और नीचे गिए गए। इस घटना में वाहन चालक बाल-बाल बच गए। वहीं घटना से सबक लेते हुए निगम ने अब इन स्ट्रक्चर पर जेसीबी चलाना शुरू कर दिया, खासकर जो नीचे लटक गए और घातक हो चुके उन्हें हटाया जाना रात को ही शुरू कर दिया गया।

शुक्र है कोई वाहन चालक गंभीर नहीं हुआ

हाईकोर्ट चौराहे पर कल्याण ग्रुप द्वारा यह विज्ञापन स्ट्रक्चर के जंगले बनाए गए थे, यह सबसे ज्यादा गंभीर तौर पर वाहन चालकों पर गिरे। किस्मत रही कि वाहन चालक सुरक्षित रहे। वहीं लैंटर्न चौराहे पर भी यह लगे हुए थे, जो लटक गए। इसी तरह हुकमचंद घंटाघर के यहां मोयरा ग्रुप और मदनलाल-छगनलाल ज्वेलर्स ने यह छांव की आंड़ में विज्ञापन वाले जंगले लगाए थे, जो प्रभावित हुए और पलासिया पर श्रीधी दूध और जैन ग्रुप द्वारा लगाए गए स्ट्रक्चर के भी हाल बुरे हुए। वह शुक्र रहा कि किसी को चोट नहीं आई।

ये खबर भी पढ़िए... कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी के आतंकवाद पुतला दहन में लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, थाने में शिकायत

निगम के फोन घनघनाने लगे, निगमायुक्त हुए सख्त

आंधी के बाद इन स्ट्रक्चर को गिरने के साथ ही प्रमुख चौराहों का ट्रैफिक बाधित हो गया। एक ओर रोड़ बंद करने लगे और ट्रैफिक की हालत खऱाब हो गई। इसके बाद निगमायुक्त शिवम वर्मा ने सख्त रूख अपनाया और अधिकारियों को आदेश दिए कि जो भी घातक स्ट्रक्चर है उन्हें तत्काल जेसीबी से पूरी तरह हटा दिया जाए। इसके बाद इन पर जेसीबी चलना शुरू हो गई।

ये खबर भी पढ़िए... जातीय जनगणना : भारत के सामाजिक ढांचे की नई तस्वीर , हमेशा से रहा राजनीतिक मुद्दा

ये खबर भी पढ़िए... मध्य प्रदेश कोर्ट में दो पत्नियों की जंग, बाल खींचकर की मारपीट, वीडियो वायरल

निगम की टीम ने बोलने के बाद भी नहीं की स्ट्रक्चर जांच

सबसे पहले 'द सूत्र' ने यह मुद्दा दमदारी से उठाया था। इसमें मुख्य बात इनके स्ट्रक्चर मजबूत नहीं होने की थी और दूसरे इन पर मुफ्त की हो रही विज्ञापनबाजी की। छांव के नाम पर बिना जांच, लोड टेस्ट के ही यह स्ट्रक्चर खड़े कर दिए गए थे। करीब 50-100 वर्गफीट लंबे और 30 फीट तक चौड़े इन स्ट्रक्चर को विज्ञापनों से लाद दिया गया था। 'द सूत्र' के मुद्दा उठाने के बाद निगमायुक्त ने हटाने के आदेश दिए। बाद में महापौर के साथ बैठक में तय हुआ कि विज्ञापन नहीं लगेंगे और केवल जिस संगठन ने यह लगाया है उसके एक पट्टी में नाम रहेंगे और निगम का रहेगा। साथ ही स्ट्रक्चर की जांच होगी। लेकिन क्या जांच हुई यह तो इस आंधी में स्ट्रक्चर के गिरने से ही पता चल गया, जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की गई। इन स्ट्रक्चर को जांचा नहीं गया, केवल विज्ञापन के लिए अंदर जो होर्डिंग लगे थे वह हटाए गए। स्ट्रक्चर मजबूती के नाम पर केवल लोहे के पाइप के आसपास ढाई फीट ऊंचाई तक सीमेंट के पिलर बना दिए गए।

ये खबर भी पढ़िए... दो विषय में फेल होने की आशंका है क्या पास करवा देंगे

 

हाईकोर्ट इंदौर द सूत्र MP News मध्य प्रदेश