विधायक ने किया था संत रविदास, डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण, अब प्रतिमा हटा पैरों के बीच रखी

इंदौर में कांग्रेस जय बाबू, जय भीम, जय संविधान की सभा को महू में तैयारी कर रही है और इसी दौरान जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम के एक काम से बखेड़ा खड़ा हो गया है। जानें क्या हा पूरा मामला इस लेख में....

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Sanjay gupta
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Controversy over Ambedkar
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इंदौर में कांग्रेस जय बाबू, जय भीम, जय संविधान की सभा को महू में तैयारी कर रही है और इसी दौरान जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम के एक काम से बखेड़ा खड़ा हो गया। आरई टू में 19 जनवरी को ही लगाई गई प्रतिमा संत शिरोमणि रविदास जी महाराज और डॉ. भीमराव अंबेडकर को हटा दिया गया। जबकि इन प्रतिमाओं का अनावरण खुद विधानसभा पांच के विधायक महेंद्र हार्डिया ने ही किया था। उधर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए कार्रवाई की मांग की है, उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं को पैरों के बीच में रखकर ले जाना घोर निंदनीय है। 

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क्यों हुआ बखेड़ा

प्रशासन ने सरकारी जमीन पर लगाई गई इन प्रतिमाओं को अवैध कब्जा मानते हुए हटा दिया। यह तो विवाद है ही, लेकिन इसमें एक वीडियो सामने आया, जिसमें इन प्रतिमाओं को नगर निगम की टीम ने ओटले से हटाया और इसे जीप में नीचे रख लिया, जिसमें निगम कर्मचारी बैठे हुए थे। भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) के मुकेश करोसिया का आरोप है कि यह इन प्रतिमाओं का घोर अपमान है और इन्हें अधिकारी, कर्मचारी अपमानजनक तरीके से पैरों के बीच में रखकर ले गए। 

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प्रशासन का कहना अतिक्रमण हो रहा था

वहीं प्रशासन का कहना है कि प्रतिमा को कब्जा करने की नियत से ही सरकारी जमीन पर रखा गया था। यहां पर ओटला बनाकर पहले प्रतिमाओं को रखा और फिर टेंट आदि भी बना लिए और कब्जे का प्रयास किया गया। यह जमीन आरई टू की कीमती जमीन है, जिसकी कीमत दस करोड़ से ज्यादा की है। यदि यह नहीं हटाते तो कुछ असामाजिक तत्व जमीन पर कब्जा कर लेते। प्रतिमाओं को सम्मान से ऊपर रखकर ले जाया गया है और ससम्मान ही इन्हें रखा गया है। 

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इधर दिया अल्टीमेटम

उधर भीम आर्मी (भारत एकता मिशन) व आजाद समाज पार्टी व भीम आर्मी छात्र संगठन ने घटना का विरोध किया है। साथ ही अल्टीमेटम भी दिया है कि जूनी इंदौर तहसील प्रशासन को 48 घंटे का समय देते हैं कि जो बाबा साहब की व रविदास जी की मूर्ति को पैरों में रख कर ले गए है उन पर पुलिस प्रशासन कनाडिया द्वारा कार्रवाई हो। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे और शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करेंगे।

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