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INDORE. इंदौर के भागीरथपुरा में जहरीली शराब नहीं, बल्कि नर्मदा के जीवनदायिनी पानी पीने से एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे आठ लोगों की जान जा चुकी है। सफाई के सिरमौर इंदौर ऐसा शहर बन गया जहां पीने के पानी से मौत हुई है।
सरकारी सिस्टम ने तो पहले दो दिन तक इस घटना को दबाए रखा। वहीं, जब अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ने लगी, तो फिर फ्री इलाज का नगाड़ा बजाने के लिए बाहर आ गए। हालांकि, यह नगाड़ा भी मौतों को नहीं रोक सका।
इस मामले में एक-एक कर आठ मौतें हो गईं है। इसके बावजूद, यहां भी सिस्टम केवल तीन मौतों को ही मान रहा है। अब तक 1100 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा चुका है। साथ ही, 111 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। जिन्हें सस्पेंड किया गया है, उन्हें बाद में बावड़ी हादसे की तरह स्टाफ की कमी बताकर बहाल कर दिया जाएगा।
कार्रवाई टालते रहे, सीएम भड़के तो हुई कार्रवाई
इस मामले में मंगलवार, 30 दिसंबर को दिन भर दोषियों पर कार्रवाई की बात उठी। जिसे सभी यह कहकर टालते रहे कि कार्रवाई होगी, लेकिन बाद में देखेंगे, अभी तो प्रमुखता उपचार की है। वहीं, जब शाम को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसकी मांग कर दी, तो सरकार घिरी नजर आई।
आखिरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ही आगे आना पड़ा। साथ ही, नगर निगम के तीन कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई, लेकिन वह केवल सस्पेंशन की।
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इन पर कार्रवाई की गई
इस संबंध में भागीरथपुरा के जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले, सहायक यंत्री योगेश जोशी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। प्रभारी उपयंत्री पीएचई शुभम श्रीवास्तव को सेवा से पृथक किया गया है।
साथ ही आईएएस नवजीवन पंवार के निर्देशन में जांच समिति बनाई गई। समिति में प्रदीप निगम, सुप्रिडेंट इंजीनियर और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय को भी शामिल किया गया है।
यह गैर-इरादतन हत्या है और ये हैं जिम्मेदार
पेयजल पीने से लोग मर जाएं, बीमार हो जाएं, यह कहां होता है? यह देश के सबसे साफ शहर इंदौर में हो गया है। यह आठ मौतें, 1100 से ज्यादा बीमारियां, गैर-इरादतन सामूहिक हत्याकांड हैं, क्योंकि जिम्मेदारों को इसकी जानकारी थी।
लंबे समय से यहां गंदे पानी की शिकायतें हो रही थीं। जोन में 1200 से ज्यादा शिकायतें इस संबंध में थीं, जिन्हें दबा दिया गया। सीएम हेल्पलाइन और निगम के एप पर इन शिकायतों को फोर्स क्लोजर कर दिया गया।
यहां पर पानी की लाइन डालने के लिए टेंडर जो अगस्त में हो चुके थे, उन्हें जिम्मेदार खोलना ही भूल गए। करीब 2.40 करोड़ की राशि से यह लाइन डलनी थी, जब मौतें हुईं, तब यह जागे। फिर सोमवार, 29 दिसंबर को यह टेंडर खोले गए।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव
महापौर एप पर लगातार लोगों ने गंदे पानी की शिकायतें की। महापौर परिषद में विपक्ष ने कई बार गंदे पानी का मुद्दा उठाया। हर बार अमृत 2 के कामों की बात की गई। निगम में सबसे ज्यादा शिकायतें गंदे पानी की ही आती हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उल्टा जलकर 200 से बढ़ाकर 300 रुपए प्रति माह किया गया, वह भी बेहतर जल प्रबंधन के नाम पर।
निगमायुक्त दिलीप यादव
निगमायुक्त अपनी तेज तर्रार शैली के रूप में पहचान बना रहे हैं। वहीं, शिकायतों के निराकरण पर बस नहीं चल रहा है। यह मामला उनके संज्ञान में आ चुका था। इसके बाद भी जिम्मेदारों से इस पर काम नहीं कराया गया। टेंडर भी समय पर नहीं खुलवा सके।
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अपर आयुक्त आईएएस रोहित सिसोनिया
अगस्त में टेंडर हो चुके थे, खुलवाने की जिम्मेदारी इनकी थी, लेकिन नहीं खुल सके। साथ ही गंदे पानी की आ रही शिकायतों के बाद भी इनका निराकरण नहीं कराया गया और ना ही कोई जागरूकता कैंप एरिया में लगाया गया।
एमआईसी सदस्य बबलू शर्मा
यह एमआईसी सदस्य हैं और जलकार्य प्रभारी भी हैं। जल वितरण व्यवस्था इन्हीं के जिम्मे है। इसके बावजूद, गंदे पानी की आ रही शिकायतों का तीन साल में कोई निराकरण नहीं हुआ। बीते दो माह से इस क्षेत्र से शिकायतें थीं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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कमल वाघेला पार्षद
यह क्षेत्र के पार्षद हैं। रहवासी सबसे पहले इन्हीं के पास गए। इतने बड़े क्षेत्र में दो महीने से गंदा पानी आता रहा और बीते सात दिन से लोग बीमार होते रहे, लेकिन पार्षद महोदय ने कोई सुध नहीं ली। ना ही जिम्मेदार निगम कर्मचारियों को जगाया।
हादसे के समय चल रही थी जलकार्य प्रभारी की पार्टी
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नगर निगम इंदौर के जलकार्य समिति प्रभारी अभिषेक उर्फ बबलू शर्मा इन समस्याओं से बेफिक्र होकर अपने क्षेत्र में पार्टी कर रहे थे। वह कान्हा रिसोर्ट में मिलन समारोह की पार्टी चला रहे थे। इसमें महापौर पुष्यमित्र भार्गव, एमआईसी मेंबर मनीष मामा, अश्विनी शुक्ला और अन्य नेता भी थे। इसी दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अस्पताल मरीजों को देखने के लिए पहुंचे थे। यानी लोग गंभीर होकर अस्पताल पहुंचने लगे थे।
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