भागीरथपुरा में दूषित जल से अब तक 8 मौतें,  100 से ज्यादा अभी भी अस्पताल में भर्ती, सीएम का सख्त एक्शन

भागीरथपुरा में दूषित जल से आठ मौत, सौ से ज्यादा अस्पताल में भर्ती। सीएम ने सख्त कार्रवाई करते हुए दो अफसरों को सस्पेंड और एक इंजीनियर की सेवा समाप्त की है।

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Rahul Dave
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Photograph: (THESOOTR)

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INDORE.  भागीरथपुरा कांड: शहर के भागीरथपुरा में दूषित जल पीने से बीमार हुए लोगों का आंकड़ा जहां सैकड़ों में पहुंच गया है, वहीं मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तक आठ लोगों की जान जा चुकी है। 

जिनकी मौत हुई है उनमें नंदलाल पाल, मंजूला पति दिगंबर, सीमा प्रजापति, उर्मिला यादव, तारा बाई कोरी, गौमती रावत, उमा कोरी और संतोष बिगोलिया शामिल हैं। हालांकि, जिला प्रशासन ने 3 लोगों की मौत की ही पुष्टि की है। जबकि 111 लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनका उपचार चल रहा है। बहीं, एक बच्चे में हैजे की पुष्टि की गई है। 

शिकायतें होती रहीं, जिम्मेदार सोते रहे

यह कोई अचानक हुआ हादसा नहीं, बल्कि लगातार अनदेखी, शिकायतों की अनसुनी और सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है। इसका पता इससे भी चलता है कि भागीरथपुरा में बीते कई दिनों से गंदे और बदबूदार पानी की शिकायतें की जा रही थीं।

26 दिसंबर को पहली मौत हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी न तो जलप्रदाय रोका गया और न ही तकनीकी जांच गंभीरता से हुई। सोमवार को जब सैकड़ों लोग उल्टी-दस्त से अस्पताल पहुंचे, तब प्रशासन को स्थिति की भयावहता का अंदाजा हुआ।   

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बच्चे ज्यादा प्रभावित

दूषित पानी से फैली बीमारी ने सबसे ज्यादा बच्चों को निशाना बनाया। चाचा नेहरू अस्पताल में भागीरथपुरा के 5 बच्चे भर्ती हैं।  सभी को उल्टी-दस्त की शिकायत है। अस्पताल में तेजस, शिवा (11 माह), यश, लक्ष्मी, लाणव्या का इलाज चल है। वहीं शिवा की दादा उर्मिला की मौत हो चुकी है।

नर्मदा जल में मिल रहा था ड्रेनेज 

मामले को लेकर नगर निगम की जांच में जो सामने आया, वह और भी चौंकाने वाला है। जिस मुख्य पाइपलाइन से पूरे क्षेत्र में पानी सप्लाई होता है, उसी के ऊपर सार्वजनिक शौचालय बना हुआ था। पाइपलाइन में लीकेज के कारण ड्रेनेज सीधे नर्मदा जल में मिल रहा था। यानी लोगों के घरों तक सीधा सीवेज मिला पानी पहुंच रहा था।

मंगलवार को सुबह से रात तक प्रशासन की कवायद चली 64 घरों से पानी के सैंपल लिए गए तो वहीं ड्रेनेज चेंबर की सफाई की गई। साथ ही जेसीबी वह शौचालय तोड़ा गया, जहां से सीवेज सीधे नर्मदा जल में मिल रहा था। 

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मानिटरिंग की कमी 

भागीरथपुरा में हुई घटना केवल तकनीकी गलती नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता भी है। जोन स्तर से लेकर सहायक व कार्यपालन यंत्री अपर आयुक्त से लेकर नगर निगम आयुक्त तक हर स्तर पर मॉनिटरिंग की कमी सामने आई है।

2703 घरों में सर्वे, 12 हजार लोगों की जांच 

घटना के बाद मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने भागीरथपुरा क्षेत्र में सर्वे किया। 2703 घरों का सर्वे किया गया, इस दौरान 12 हजार लोगों की जांच की गई और 1146 मरीजों को प्राथमिक उपचार दिया गया। सर्वे में पता चला कि अधिकतर घरों में उल्टी-दस्त के मरीज हैं। 

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खुदाई की गई तो खुला राज 

घटना के बाद मंगलवार दोपहर में निगम के अफसरों पानी की टंकी से रहवासी क्षेत्रों को सप्लाई करने वाली पाइप लाइन के ऊपर पुलिस चौकी का सुविधाघर बने होने की जानकारी मिली। इसे तोड़ा गया।

जब खुदाई की गई तो नीचे की मिट्टी गीली मिली यानि पाइप लाइन से लीकेज हो रहा था। शौचालय के निकासी पाइप लाइन को ड्रेनेज लाइन से नहीं जोड़ा गया था और इसका पानी सोकपिट में जा रहा था। इसके बाद शौचालय को तोड़ दिया गया। 

मृतकों के परिवार को 2-2 लाख रुपए

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने मृतकों के परिजन को 2-2 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। उधर, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मंगलवार को इलाके का दौरा किया।

अस्पताल पहुंचकर मरीजों का हालचाल भी जाना। उन्होंने कहासभी मरीजों का इलाज सरकार के खर्च पर होगा। जिन लोगों ने इलाज के लिए पहले से पैसे जमा किए हैं, उन्हें रिफंड कराया जाएगा।

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मुख्यमंत्री का सख्त एक्शन

मामले में संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ी कार्रवाई की। जोनल अधिकारी शालिग्राम शितोले को निलंबित किया गया। प्रभारी असिस्टेंट इंजीनियर (पीएचई) योगेश जोशी भी सस्पेंड। प्रभारी डिप्टी इंजीनियर (पीएचई) शुभम श्रीवास्तव की सेवा समाप्त की गई।

मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। समिति के अध्यक्ष- आईएएस नवजीवन पंवार को बनाया गया है, जबकि सदस्य सुपरिटेंडेंट इंजीनियर प्रदीप निगम हैं। 

मौतों के लिए जिम्मेदार कौन?

भागीरथपुरा में जहरीले पानी से हुई मौतों के बाद सवाल सिर्फ सिस्टम का नहीं, जिम्मेदारी निभाने वालों का भी है। जलप्रदाय और निगरानी से जुड़े जिन अधिकारियों पर क्षेत्र की सीधी जवाबदेही थी, उनकी भूमिका अब कटघरे में है।

 शुभम श्रीवास्तव, 

पद: उपयंत्री, जोन-4

  • जिम्मेदारी...
    भागीरथपुरा क्षेत्र की टंकी से जल वितरण
  • रहवासी इलाकों में सप्लाई की निगरानी
  • दूषित जल की शिकायतों का तत्काल निराकरण

योगेश जोशी

पद: सहायक यंत्री (पीएचई)

जिम्मेदारी...

  • इंदौर-311 हेल्पलाइन पर आने वाली जलप्रदाय शिकायतों का निराकरण
  • अधीनस्थ इंजीनियरों व रामकी कंपनी के इंजीनियरों से समन्वय
  • नर्मदा पाइपलाइन में गंदे पानी की मिलावट, लीकेज की पहचान व सुधार

संजीव श्रीवास्तव

पद: कार्यपालन यंत्री

जिम्मेदारी...

  • पूरे शहर की जलप्रदाय व्यवस्था की मॉनिटरिंग
  • जोन व हेल्पलाइन स्तर की शिकायतों की समीक्षा
  • अधिक समस्या वाले इलाकों में औचक निरीक्षण

 रोहित सिसोनिया

पद: अपर आयुक्त, नगर निगम

जिम्मेदारी...

  • ड्रेनेज व नर्मदा जलप्रदाय विभाग की निगरानी
  • शिकायतों की मॉनिटरिंग
  • समस्या वाले क्षेत्रों का निरीक्षण
  • लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई

दिलीप कुमार यादव

पद: निगमायुक्त, इंदौर

जिम्मेदारी...

  • नगर निगम के प्रमुख के रूप में संपूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी
  • स्वच्छता, पेयजल व ड्रेनेज व्यवस्था की नियमित समीक्षा
  • संबंधित विभागों की जवाबदेही तय करना
  • मैदान में औचक निरीक्षण

जब जिम्मेदार तय थे, शिकायतें लगातार आ रही थीं, तो दूषित पानी लोगों के घरों तक कैसे पहुंचा? और  मौतों के बाद ही सिस्टम क्यों जागा?

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