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इंदौर के कन्फेक्शनरी कारोबारी नरेश गंगवानी की मुश्किलें अब बड़ गई हैं। उसके खिलाफ खाद्य विभाग ने जिला कोर्ट में केस लगाया है। असल में उसकी बेकरी व कन्फेक्शनरी से खाद्य विभाग की टीम ने मैदे का सौंपल लेकर जांच के लिए भेजा था जो कि अनसेफ (असुरक्षित) आया था। वहीं, अब कारोबारी पर कुल 3 केस हो गए हैं। जिसमें से 2 केस मिस ब्रांडेड के एडीएम कोर्ट और 1 केस अनसेफ का जिला कोर्ट में दर्ज किया है। इसके संबंध में जब गंगवानी से उनका पक्ष जानने के लिए कॉल किया तो उन्होंने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। वहीं, उसके भाई की दवा कंपनी पर भी कार्रवाई हुई है। प्रदूषण विभाग ने बिजली कंपनी को दवा कंपनी गरिमा हेल्थ केयर की बिजली काटने के लिए पत्र भी लिखा है।
गंगवानी की कन्फेक्शनरी और बेकरी में मिलावट
खाद्य विभाग के मुताबिक कन्फेक्शनरी कारोबारी नरेश गंगवानी द्वारा बच्चों के लिए तैयार की जाने वाली जैली में एक्सपायरी डेट के कलर और फ्लेवर का उपयोग किया जा रहा था। इसके अलावा 6 महीने पहले जो मैदा इसकी बेकरी से अनसेफ मिला था उसी मैदे का उपयोग कर यह बेकरी आयटम बनाता मिला। उस मैदे की रिपोर्ट पुणे की रैफरल लैब से भी मिल चुकी है। जिसमें मैदा अनसेफ बताया गया है। इसी कड़ी में धारा 59 के तहत जिला कोर्ट में केस लगाया गया है।
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गंगवानी ने मानी थी अपनी गलती
खाद्य विभाग द्वारा पूर्व में की गई कार्रवाई में नरेश गंगवानी ने अपनी गलती को मानते हुए कहा था कि अब वह ऐसी मिलावट नहीं करेगा, लेकिन दूसरी बार जब अफसरों ने छापा मारा तो वह फिर वही मिलावट करते हुए पकड़ा गया। अब उस पर एडीएम कोर्ट के अलावा जिला कोर्ट में भी केस चलेगा। गंगवानी इसके पूर्व में भी विवादित रहा है और इसके पूर्व शुरू की गई दवा कंपनी के सैंपल भी कई राज्यों में फेल हुए थे। तब दवा कंपनी बंद कर इसने कन्फेक्शनरी और बेकरी का काम शुरू किया था।
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यह है पूरा मामला
कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देशन में खाद्य विभाग ने 22 नवंबर 2024 को तिरूपति बेकर्स एवं कन्फेक्शनर्स, ग्राम बड़ियाकीमा, नेमावर रोड का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान बच्चों की चॉकलेट जैली व वेफर्स, मैदा और खारी के सैंपल लिए थे। जिनमें से वेफर्स मिस ब्रांडेड मिला था। इस पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा प्रकरण को एडीएम कोर्ट में पेश कर दिया है।
मैदा मिला था अनसेफ
इसी पते पर पहली मंजिल पर नरेश गंगवानी द्वारा फर्म तिरूपति कन्फेक्शनर्स का संचालन भी किया जा रहा था। इसके निरीक्षण निरीक्षण में मौके पर खाद्य पदार्थ खारी व मैदा के कुल दो सैंपल लिए थे। इसकी रिपोर्ट में मैदा अनसेफ आया था। इस पर व्यापारी गंगवानी ने रिपोर्ट को चैलेंज करते हुए उसे जांच के लिए रेफरल लैब पुणे भेजा था। उसकी रिपोर्ट भी दो महीने पहले ही आई थी। जिसमें भी मैदा अनसेफ आया है। इसके बाद असुरक्षित खाद्य पदार्थ से संबंधित प्रकरण अभियोजन स्वीकृति के लिए भोपाल में खाद्य सुरक्षा आयुक्त के पास भेजा गया था।
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बिना लायसेंस के चला रहा था बेकरी
एडीएम गौरव बैनल ने बताया कि व्यापारी नरेश गंगवानी की नेमावर रोड़ पर एक ही परिसर में दो फेक्ट्री तिरूपति बेकर्स एवं कन्फेक्शनर्स और तिरूपति कन्फेक्शनर्स हैं। यहां पर गंगवानी कन्फेक्शनरी और बेकरी आयटम का निर्माण कार्य करता है। एक बार कार्रवाई किए जाने के बाद अफसरों को दूसरी बार भी शिकायत मिली कि यहां पर मिलावट का काम अभी भी किया जा रहा है। इस पर जब अफसरों ने मौके पर छापा मारा तो पता चला कि जिस मैदे को अनसेफ मानते हुए दूसरी बार जांच के लिए पुणे की लैब भेजा था। उसी मैदे का उपयोग करके बेकरी आयटम का निर्माण किया जा रहा था। साथ ही इसने बेकरी का लायसेंस ही नहीं ले रखा है। केवल कन्फेक्शनरी के लायसेंस पर ही बेकरी का संचालन भी कर रहा है।
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एक्सपायरी कलर और फ्लेवर भी मिले
उन्होंने बताया कि अफसरों को मौके से एक्सपायरी फ्लेवर और एक्सपायरी कलर भी मिला थे। गंगवानी से इसके बारे में पूछा गया तो वह बोला कि इसे ऐसे ही रखा है, जबकि मौके पर मिले साक्ष्य के आधा पर ऐसा पाया गया कि खाद्य पदार्थों के निर्माण में वह इसका उपयोग कर रहा था। पहली बार की कार्रवाई में अफसरों ने गंगवानी के एक प्रतिष्ठान को बंद कर दिया था। तब उसने अपनी गलती मानते हुए स्वीकार किया था कि ऐसी मिलावट वापस नहीं करेगा। दूसरी बार भी जब अफसरों ने छापा मारा तो वह फिर मिलावट करता मिला।
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पहले दवाई का करता था कारोबार, तब भी हुए थे सैंपल फेल
सूत्रों के मुताबिक खाद्य कारोबारी नरेश गंगवानी इससे पूर्व में उत्तराखंड में दवा मेन्यूफेक्चरिंग का काम करता था। उस दौरान भी इसके सैंपल बड़ी मात्रा में अलग–अलग राज्यों मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड में फेल हो गए थे। इस पर गंगवानी ने अपनी दवाई फेक्ट्री बंद की और इंदौर में आकर वेफर्स और चॉकलेट बनाने का काम शुरू कर दिया था। बताया गया कि गंगवानी पूर्व में भी कई बार विवादित रह चुका है। इसने अभी तक जो भी फर्म खोली और कारोबार किया तो उसमें मिलावट और अनियमितताएं ही पाई गईं।
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गंगवानी के भाई की दवा कंपनी की बिजली काटी
एक ओर जहां कन्फेक्शनरी कारोबारी नरेश गंगवानी पर 3 केस हो गए हैं तो उसके भाई हरीश गंगवानी पर भी कार्रवाई हुई है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी ने बताया कि दवा कारोबारी हरीश गंगवानी की सांवेर रोड़ के एफ सेक्टर में गरिमा हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी है। प्रदूषण विभाग के अफसरों ने 23 मई 2025 को कंपनी का निरीक्षण किया था। उस दौरान ईटीपी प्लांट बंद मिला था। इसको लेकर उनसे पूछताछ की गई तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद दो बार उन्हें नोटिस दिए गए। इसके बाद विभाग ने जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 33A के तहत कार्रवाई की गई। जिसमें 11 जून 2025 को बिजली कंपनी को बिजली काटने के लिए पत्र लिखा गया था। जिसके बाद कंपनी की बिजली काट दी गई है। इसके संबंध में हरीश गंगवानी से उनका पक्ष जानने के लिए फोन कर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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