इंदौर प्रशासन ने शहर को भिखारियों से मुक्त करने के उद्देश्य से भीख मांगने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस योजना के तहत, प्रशासन ने लोगों को भिखारियों को भीख देने या सामान खरीदने से मना किया है और उन्हें भिखारियों के बारे में जानकारी देने पर 1000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की है। यह कदम नागरिकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर रहा है, और लोग इस योजना में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
इंदौर में भीख मांगने वालों की सूचना देने पर एक हजार रुपए का इनाम
इंदौर प्रशासन का नया कदम
इंदौर जिला प्रशासन ने 2 जनवरी 2025 को एक निषेधाज्ञा जारी की, जिसके तहत भिखारियों के बारे में जानकारी देने वालों को 1000 रुपए का इनाम दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य शहर में भिखारियों की संख्या को कम करना और उन्हें पुनर्वासित करना है। इसके तहत प्रशासन ने एक मोबाइल नंबर भी जारी किया है, जिस पर लोग भिखारियों के बारे में सूचना दे सकते हैं।
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भिखारियों के खिलाफ कार्रवाई और जुर्माना
इंदौर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भीख मांगने के लिए प्रतिबंध के उल्लंघन पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। इसके तहत दोषियों को एक साल तक की सजा या 5,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है, या दोनों दंड दिए जा सकते हैं।
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पुनर्वास कार्यक्रम और आश्रय गृह
इंदौर प्रशासन ने पिछले चार महीनों में 400 से अधिक भिखारियों को पुनर्वास के लिए आश्रय गृह भेजा है, जबकि 64 बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों में भेजा गया है। इस कदम का उद्देश्य भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें सामाजिक ताने-बाने में पुनः समाहित करना है।
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केंद्रीय मंत्रालय का सहयोग और पायलट प्रोजेक्ट
इंदौर सहित 10 प्रमुख शहरों में भिखारी मुक्त बनाने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस परियोजना के तहत, इंदौर को भिखारियों से मुक्त बनाने के प्रयास को सरकार का समर्थन प्राप्त है।