एमपी गजब है का जुमला भले ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गढ़ा गया हो, लेकिन यह जुमला यहां की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर भी सटीक बैठता है। यहां भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारियों को पुरस्कृत किए जाने की परंपरा पुरानी है।
ताजा मामला स्वास्थ्य संचालनालय मध्य प्रदेश से जुड़ा बताया जा रहा है। गत दिनों स्वास्थ्य विभाग में ताबड़तोड़ तबादले और प्रमोशन किए गए। इन प्रमोशनों में योग्य डाॅक्टर तो बैठे रह गए। वहीं दागदार वरिष्ठ चिकित्सकों को पुरस्कृत करते हुए सीएमएचओ जैसे बडे़ पद थमा दिए गए। अब इन दागी अधिकारियों की नियुक्तियां सवालों के घेरे में है।
इंदौर और भोपाल में दागदार को कमान
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग द्वारा एक पखवाड़ा पूर्व प्रदेशभर के 41 जिलों में थोकबंद तबादले और पदस्थापना की गई थी। इस पदस्थापना में प्रदेश के दो बड़े जिलों में जिन डॉक्टर्स को सीएमएचओ के पद पर पदस्थ किया गया है। उन दोनों के विरुद्ध ही किसी न किसी प्रकार की आर्थिक अनियमितता की जांच विचाराधीन है। इसके बाद भी स्वयं विभाग के नियमों को दरकिनार कर इन्हें उपकृत कर दिया गया। भोपाल में जहां डाॅ. मनीष शर्मा को प्रभारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बनाया गया है तो इंदौर में इसी पद पर डाॅ. माधव हसानी को पदस्थ किया गया है।
ये भी पढ़ें...
महिला की मौत के बाद दत्तक पिता ने जताया संपत्ति पर अधिकार, हाईकोर्ट ने किया खारिज
अरुण यादव और हिना कावरे को कांग्रेस ने दी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी
दोनों अधिकारियों के विरुद्ध लंबित हैं जांच
जानकारी के अनुसार इंदौर और भोपाल दोनों जगह सीएमएचओ पदस्थ दोनों चिकित्सकों के विरुद्ध जांच लंबित है। भोपाल के प्रभारी सीएमएचओ डाॅ. मनीष शर्मा के विरुद्ध इओडब्ल्यू में 11 मार्च को प्रकरण संख्या 872 वर्ष 2022 में दर्ज हुआ था। लोक स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस मामले में कार्रवाई के लिए 7 जुलाई को पत्र लिखा गया। इसमें अभी भी जांच चल रही है।
इसी प्रकार डाॅ. माधव हसानी के विरुद्ध इंदौर सिविल सर्जन की पदस्थापना के दौरान वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया था। उस समय फर्जी बिलों के मामले में लोकायुक्त ने जांच के बाद मामले में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि की थी, जिसके बाद डाॅ. हसानी पर तीस हजार 100 रुपए की वसूली व एक वेतनव्रद्धि रोकने की कार्रवाई की गई थी।
विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों में नाराजगी
मनमाने तरीके से दागदार चिकित्सकों को वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति को लेकर विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों में रोष देखा जा रहा है। इन वरिष्ठ चिकित्सकों के अनुसार गोपनीय चरित्रावली, सर्विस रिकॉर्ड, एमएमआर और आईएमआर की रिपोर्ट को विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ही दरकिनार कर रहे हैं।
किसी भी दोषी अधिकारी या जांच लंबित होने पर सीएमएचओ जैसे वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति नहीं की जा सकती है, लेकिन विभाग के अधिकारी अपने ही नियमों को दरकिनार कर रहे है। इससे वरिष्ठता व योग्यता रखने वाले चिकित्सकों में मायूसी व आक्रोश है।
ये भी पढ़ें...
MPPSC ने इंटरव्यू बोर्ड पर उठ रहे सवाल को दूर करने लिया बड़ा फैसला, ये सब रहेगा गोपनीय
विदेश यात्रा के लिए जीतू पटवारी को हाईकोर्ट से आंशिक राहत, बेटी के दीक्षांत समारोह में होंगे शामिल
छूट का लाभ सभी को मिलना चाहिए
यह कहना है मध्यप्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष शेखर जोशी का। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार डाॅ. हसानी के मामले में आरोपों में छूट देकर पदोन्नति दी गई है। उसी प्रकार अन्य आर्थिक अपराधों, गबन के आरोपियों को भी छूट मिलना चाहिए। यदि ऐसी छूट देना गलत है तो फिर कोई भी हो उसे दंडित किया जाना चाहिए।
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃
🤝💬👩👦👨👩👧👧