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INDORE. इंदौर विधानसभा चुनाव 2023 में सभी नौ की नौ सीटें बीजेपी ने जीती थीं। कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत का मार्जिन करीब 4 लाख 18 हजार वोटों का था।
वहीं, अब इंदौर जिले में 5 लाख मतदाता मिल नहीं रहे हैं। यह जिले के कुल मतदाताओं का 18.90 प्रतिशत है, जो बहुत बड़ी संख्या है। इंदौर की 5 सीटों पर गायब मतदाताओं की संख्या चुनाव में जीत के अंतर से भी ज्यादा है।
इंदौर में इस तरह गायब हैं मतदाता
इंदौर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का काम 98.61 प्रतिशत हो चुका है। यह शुक्रवार, 05 दिसंबर की रात तक सौ प्रतिशत हो जाएगा। जिले के कुल 28.67 लाख मतदाताओं में से 22.28 लाख तो मिल गए हैं।
वहीं, 5.42 लाख नहीं मिले हैं। इसमें से करीब 41 हजार मतदाता मृत हो चुके हैं, इनकी स्थिति तो साफ है। बाकी करीब 5 लाख मतदाता ढूंढे भी नहीं मिल रहे हैं, जो बहुत बड़ी संख्या है।
इस तरह से 5.42 लाख मतदाता गायब
41 हजार 168 मतदाता - मृत
2.53 लाख मतदाता - ठिकानों पर नहीं मिले
2.02 लाख मतदाता - शिफ्ट हो चुके हैं
करीब 44 हजार - अन्य कारण
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5 सीटों पर जीत के अंतर से ज्यादा गायब मतदाता
इंदौर 1 - यहां कैलाश विजयवर्गीय 57 हजार 939 वोट से जीते, मतदाता अभी 97 हजार 215 गायब
इंदौर 3 - गोलू शुक्ला 14 हजार 757 वोट से जीते, मतदाता 32 हजार 195 गायब
इंदौर 5 - महेंद्र हार्डिया 15 हजार 671 वोट से जीते, मतदाता 1.01 लाख गायब
देपालपुर - मनोज पटेल 13 हजार 698 वोट से जीते, मतदाता 34 हजार गायब
राऊ - मधु वर्मा 35 हजार 522 वोट से जीते, मतदाता 73 हजार 795 गायब
इन 4 सीटों पर जीत बड़ी, मतदाता कम गायब
इंदौर 2 - रमेश मेंदोला 1.07 लाख वोट से जीते, मतदाता 89 हजार गायब
इंदौर 4 - मालिनी गौड़ 69 हजार 837 वोट से जीती, मतदाता 49 हजार 871 गायब
महू - उषा ठाकुर 34 हजार 392 वोट से जीती, मतदाता 33 हजार 321 गायब
सांवेर - तुलसी सिलावट 68 हजार 854 वोट से जीते, मतदाता 31 हजार 350 गायब
यहां गायब मतदाता बहुत ज्यादा
यदि विधानसभा वार दर्ज मतदाताओं से गायब मतदाताओं का प्रतिशत देखा जाए तो जिले में ओवरऑल यह 18.90 प्रतिशत है। इसमें सबसे बड़ा अंतर इंदौर 1 में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की विधानसभा में 25.52 प्रतिशत है।
वहीं इंदौर 2 में भी यह आंकड़ा 25.26 प्रतिशत है। साथ ही, 20 प्रतिशत से ज्यादा में इंदौर विधानसभा 5 भी है। इसमें 23.51 प्रतिशत मतदाता गायब हैं। ग्रामीण विधानसभाओं में यह कम है। देपालपुर में केवल 12 प्रतिशत, सांवेर में 9.95 प्रतिशत, महू में 11.52 प्रतिशत है।
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अब आगे क्या होगा?
नहीं मिलने वाले मतदाताओं को ढूंढने का काम जारी है। मतदाता पुनरीक्षण का काम 11 दिसंबर को पूरा हो जाएगा। इसके बाद 12 से 16 दिसंबर तक आयोग से ही जनरेटेड नोटिस जारी होंगे। इसमें जवाब आया तो नाम जुड़ जाएगा।
इसके बाद मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। इसमें नाम नहीं आने पर मतदाता तय 11 दस्तावेजों में से एक के साथ फार्म भरना होगा। फिर, चुनाव अधिकारी को नाम जुड़वाने के लिए आवेदन करना होगा। इसमें दावे-आपत्ति होंगे। साथ ही, इसके निराकरण के बाद सही फार्म पाए जाने पर नाम अंतिम प्रकाशन में जोड़े जाएंगे। यह प्रक्रिया फरवरी में होगी।
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