BJP इंदौर नगराध्यक्ष में टीनू, सुमित, मुकेश और बबलू में कौन, उधर चिंटू मुश्किल में

बीजेपी इंदौर नगराध्यक्ष के लिए चार चेहरे कुल मिलाकर चर्चाओं में हैं,। वहीं इंदौर महानगर के चुनाव अधिकारी रणवीर सिंह रावत और ग्रामीण के चुनाव अधिकारी यशपाल सिसौदिया के इंदौर आने की खबर है।

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Sanjay gupta
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बीजेपी इंदौर नगराध्यक्ष में पेंच फंसेगा, यह पहले से ही साफ था, व्यावसायिक राजधानी में इतनी आसानी से किसी को कुर्सी मिल जाए, यह संभव ही नहीं है। उम्मीद के मुताबिक सारे नेता इंदौर के लिए दांव-पेंच में जुटे हैं और थ्रिलर मूवी की तरह सभी के समीकरण पल-पल में बदल रहे हैं। नगराध्यक्ष के लिए चार चेहरे कुल मिलाकर चर्चाओं में हैं, उधर बात जिलाध्यक्ष ग्रामीण की करें तो चिंटू वर्मा की कुर्सी खतरे में है। वहीं बुधवार को इंदौर महानगर के चुनाव अधिकारी रणवीर सिंह रावत और ग्रामीण के चुनाव अधिकारी यशपाल सिसौदिया के इंदौर आने की खबर है।

पहले जोर आजमाइश की बात

इंदौर के प्रभारी मंत्री खुद सीएम डॉ. मोहन यादव हैं, वह गृहमंत्री भी हैं। इंदौर पर पकड़ किसी भी स्तर पर ढीली नहीं चाहेंगे। ऐसे में वह किस पर हाथ रखेंगे यह बहुत कुछ तय करेगा। मंत्री विजयवर्गीय के पत्ते खुले हैं और सभी को पता है उनकी पसंद कहां पर कौन है। लेकिन मंत्री की नगर और ग्रामीण दोनों ओर चले यह हाल ही में फिर पावर में लौटी विधायक मालिनी गौड़ तो पसंद नहीं करेंगी और उन्हें ताई सुमित्रा महाजन का भी समर्थन मिलेगा ही और मंत्री का दूसरा विरोधी धड़ा भी रहेगा। उधर ऐनवक्त पर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा संगठन में क्या जादू चला देंगे यह कोई नहीं जानता है। उधर वैसे भी दौड़ में टीनू, राजावत और बबूल शर्मा तीनों उनके ही पाले में हैं।

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नगराध्यक्ष के लिए बदलते समीकरण

टीनू जैन- दीपक टीनू जैन का नाम तय हो चुका था, लेकिन रायशुमारी के आधार पर जिलाध्यक्ष ग्रामीण चिंटू वर्मा का पत्ता कटने की खबर आने के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय गुट ने भी रायशुमारी वाली लाइन पकड़ी और सुमित मिश्रा का नाम आगे किया, क्योंकि सबसे ज्यादा रायशुमारी नगराध्यक्ष में उन्हीं के लिए थी। ऐसे में टीनू पिछड़ गए। 

सुमित मिश्रा- विधानसभा एक, दो और तीन तीनों ही जगह से रायशुमारी में सुमित मिश्रा पहले नंबर पर थे। बीजेपी दफ्तर में रायशुमारी के दौरान विधायक रमेश मेंदोला ने सभी को कोने में ले जाकर इनके लिए जमकर पैरवी की। मंत्री गुट इसी बात पर अड़ा है कि चिंटू और सुमित दोनों ही चाहिए। यदि चिंटू का विरोध ग्रामीण की तीनों विधायक कर रहे हैं तो फिर सुमित को नगर में चाहिए ही। कुल मिलाकर इनका नाम डील में उलझा है। नाम आएगा तो डील के तहत ही आएगा, चिंटू और सुमित दोनों का एक साथ नाम होना टेढ़ी खीर है। खासकर जीतू कांड के बाद यह आसान नहीं है। यह हुआ तो मंत्री गुट संगठन पर पूरा हावी होगा, यह विरोधी गुट संदेश पहुंचाने में जुटा है।

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मुकेश राजावत- दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा, यह बात अभी मुकेश राजावत की ओर जा रही है। राजावत एबीवीपी में जुड़े रहे हैं और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के यह भी करीबी हैं। सभी गुटों को साधने के चक्कर में इनका नाम ऐनवक्त पर आगे करके सभी को समझाया जा सकता है। हालांकि मंत्री गुट तो इन्हें पसंद नहीं करता। 

बबलू शर्मा- यह भी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के करीबी हैं, वैसे वीडी के करीबी राजावत के साथ ही टीनू जैन भी हैं। इंदौर में अविवादित नाम भी है। एमआईसी पद छोड़ने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन दौड़ में यह बाकी तीन के बाद ही है। यानी ऊपर के नाम पर पेंच होने पर फिर यह विकल्प।

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चिंटू वर्मा क्यों खतरे में

उधर चिंटू वर्मा पूरी तरह से खतरे में घिरे हुए हैं, भले ही उन्हें कुर्सी संभाले 9 माह हुए हैं लेकिन मंत्री विजयवर्गीय के करीबी चिंटू को ग्रामीण के तीनों विधायक मंत्री तुलसीराम सिलावट, उषा ठाकुर और मनोज पटेल पसंद नहीं कर रहे हैं और साथ ही सांसद शंकर लालवानी का भी साथ मिला है। सिलावट की पसंद अंतर दयाल पर मुहर लगने की पूरी संभावना है और मंत्री को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी साथ मिल रहा है।

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