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Indore. इंदौर बीआरटीएस हटाने की घोषणा सीएम डॉ. मोहन यादव 21 नवंबर को इंदौर में कर चुके हैं। लेकिन इंदौर का बीआरटीएस टूटेगा या नहीं, इस पर इंदौर से जबलपुर शिफ्ट हुई पीआईएल पर लंबे समय बाद मंगलवार (11 फरवरी) को जबलपुर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बेंच में सुनवाई हुई। इसमें वीसी के जरिए अधिवक्ता जुड़े, खासकर हाईकोर्ट ने सीनियर एडवोकेट अमित अग्रवाल जो इंदौर हाईकोर्ट के आदेश से बनी कमेटी के प्रमुख हैं उन्हें बुलाया गया। इसके बाद आदेश दिए गए कि कमेटी 25 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट बनाकर हाईकोर्ट को पेश करें। इसमें अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।
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हाईकोर्ट ने यह दिए आदेश
हाईकोर्ट ने इसमें पहले कमेटी के प्रमुख सीनियर एडवोकेट अमित अग्रवाल का पक्ष सुना। अग्रवाल ने बताया कि हाईकोर्ट इंदौर में बीआरटीएस की समय के साथ उपयोगिता को लेकर 23 सितंबर को कमेटी बनाने का आदेश दिया था। कमेटी 16 नवंबर को बनी थी और एक ही मीटिंग हुई लेकिन इसके बाद खबरें आईं कि बीआरटीएस हटेगा इसके बाद मीटिंग नहीं हुई, इसलिए इसकी रिपोर्ट भी नहीं बनी। इस पर चीफ जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने आदेश दिए कि कमेटी एक सप्ताह के भीतर इंदौर में बैठक करें और जरूरत हो तो 23 फरवरी तक दूसरी बैठक करे। इसके बाद 25 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट पेश करे। इसके बाद इसमें 27 फरवरी को सुनवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को दिए थे आदेश
हाईकोर्ट इंदौर ने 23 सितंबर को याचिकाकर्ता किशोर कोडवानी की दो याचिकाओं पर आदेश दिए थे कि पूर्व में जो रिपोर्ट बनी थी बीआरटीएस को लेकर उसे लंबा समय हो गया है। इसलिए समय के साथ अब इसमें नई कमेटी बनाकर बीआरटीएस को लेकर रिपोर्ट बनाई जाए। इसमें अग्रवाल के साथ ही आईआईटी, आईआईएम के एक-एक एक्सपर्ट और आरटीओ से एक एक्सपर्ट और ट्रैफिक एक्सपर्ट व आईआईटी ग्रेजुएट अंशुल अग्रवाल को लेने के लिए कहा गया था। कमेटी को आठ सप्ताह में रिपोर्ट देना थी लेकिन मामला जबलपुर शिफ्ट होने के बाद मामला रुक गया।
इसके पहले निगम ने हाईकोर्ट में यह बात रखी थी
बीआरटीएस को लेकर समाजसेवी किशोर कोडवानी द्वारा 2013 व 2015 में लगी दो याचिकाओं पर सुनवाई पर 23 सितंबर 2024 को इस मामले में हाईकोर्ट इंदौर ने पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी की बनाने की बात कही। इस फैसले में नगर निगम द्वारा रखे गए पक्ष को भी ऑन रिकार्ड लिया गया है। इसमें निगम ने कहा है कि- बीआरटीएस का यह पायलट प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक चल रहा है और आम जनता के बीच लोकप्रिय हो रहा है। कई मौकों पर बीआरटीएस का इस्तेमाल ग्रीन कॉरिडोर के तौर पर किया गया है। इंदौर नगर निगम बीआरटीएस की लंबाई बढ़ाने के बारे में सोच रहा है और भारत सरकार से कई आई बसों की मांग कर रहा है।
हाईकोर्ट ने पांच सदस्यीय कमेटी बनाई
उधर इस मामले में 23 सितंबर को हुई हाईकोर्ट ने अहम बातें कही- दस साल पहले 2013 में बीआरटीएस की उपयोगिता व व्यावहारिकता को लेकर सक्सेना कमेटी बनी, जिसमें बीआरटीएस को उपयुक्त पाया गया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दस साल के बाद काफी कुछ बदला है, एबी रोड की चौड़ाई बढ़ी, फ्लाईओवर बन रहे हैं, वाहनों की संख्या बढ़ी, बीआरटीएस भी चौड़ा हुआ, मेट्रो पर भी काम चल रहा है। ऐसे में अब समय की जरूरत है कि फिर से पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी गठित की जाए, जो नए परिदृश्य में इस पर अपनी रिपोर्ट देगी। यह रिपोर्ट पेश होना था लेकिन फिर केस को जबलपुर ट्रांसफर कर दिया गया है।
सीएम ने यह की थी घोषणा
सीएम डॉ. मोहन यादव ने 21 नवंबर को इंदौर एयरपोर्ट पर कहा था कि भोपाल की तरह ही इंदौर में हम बीआरटीएस को हटाएंगे। इससे ट्रैफिक सुगम होगा, यह भोपाल में देखा गया है। इसके लिए कोर्ट में भी बात रखी जाएगी।